कोटा. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में अंक बढ़ाने और पास करने की एवज में छात्राओं से अस्मत मांगने के मामले में निलंबित एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार, स्टूडेंट अर्पित अग्रवाल व और ईशा यादव 10 जनवरी तक न्यायिक अभिरक्षा में हैं. बुधवार को ईशा यादव की जमानत अर्जी पर न्यायालय ने फैसला सुनाया, जिसमें एससी-एसटी कोर्ट ने जमानत को (Court Rejected Isha Yadav Bail Application) खारिज कर दिया.
विशिष्ट लोक अभियोजक हितेश जैन ने बताया कि न्यायाधीश ने अपने जमानत अर्जी पर सुनाए फैसले में साफ टिप्पणी करते हुए लिखा है कि सह अभियुक्त गिरीश परमार के घर जाकर ईशा यादव ने कॉपियों की जांच की है. खाली कॉपियों में भी ईशा यादव ने अर्पित अग्रवाल के साथ मिल 6-6 नंबर दिए थे. ईशा यादव ने स्वयं छात्रा होते हुए अन्य छात्राओं पर फिजिकल रिलेशन बनाने का दबाव डाला है. यह गुरु-शिष्य के संबंधों को शर्मसार करने जैसा है. इसीलिए ईशा यादव को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता है. साथ ही न्यायालय ने यह भी लिखा है कि ईशा यादव को अगर जमानत का लाभ दिया जाता है तब अनुसंधान और साक्ष्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. इसीलिए न्यायालय ने ईशा यादव की जमानत अर्जी को खारिज किया है.