कोटा.राजस्थान विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब 3 दिसंबर को मतगणना है. इस दिन प्रदेश के सभी दलों और प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा. वहीं, रविवार सुबह 9 बजे से प्रारंभिक रुझान आने शुरू हो जाएंगे तो 12 बजे तक काफी हद तक तस्वीरें साफ जाएगी. हाड़ौती में इस बार कांग्रेस-भाजपा के 34 प्रत्याशी 17 सीटों पर चुनावी मैदान में है. इनमें साथ मजबूत बागियों को मिलाकर कुल 128 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे. सियासी विश्लेषकों की बात मानी जाए तो हाड़ौती में कांग्रेस-भाजपा को छोड़कर अन्य पार्टियों व निर्दलीयों को ज्यादा जीत नहीं मिली है.
साल 2003 में बारां में प्रमोद जैन भाया और हेमराज मीणा निर्दलीय चुनाव जीते थे. उसके बाद हाड़ौती की सीटों से कोई भी प्रत्याशी निर्दलीय या अन्य पार्टी का प्रत्याशी चुनाव नहीं जीता है. यहां ज्यादातर सीटों पर मुकाबला भी भाजपा और कांग्रेस के बीच ही हुआ है. इस बार भी यही तस्वीर देखने को मिल रही है. लगभग सभी सीटों पर भाजपा और कांग्रेस का ही मुकाबला है. हालांकि, छबड़ा, बूंदी, केशोरायपाटन, मनोहरथाना और डग सीट पर निर्दलीय भी चुनौती दे रहे हैं. इन सीटों पर भी भाजपा-कांग्रेस के बागी बतौर निर्दलीय में उतरे हैं.
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3 पूर्व विधायक हुए बागी, एक बैठे दो मैदान में :बागियों की बात की जाए तो हाड़ौती से तीन पूर्व विधायक भाजपा और कांग्रेस के सात मजबूत बागी चुनावी मैदान में थे. इनमें पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत ने लाडपुरा से भाजपा प्रत्याशी कल्पना देवी को अपना समर्थन चुनाव के पहले दे दिया था, जबकि मनोहर थाना सीट से पूर्व विधायक कैलाश मीणा कांग्रेस के बागी के रूप में चुनावी मैदान में थे. इसी तरह से भाजपा के बागी के रूप में डग विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक रामचंद्र सुनारीवाल मैदान में थे. रामचंद्र सुनारीवाल और कैलाश मीना दोनों ही जीत का दावा कर रहे हैं. जिस पार्टी से विधायक रहे हैं उसको हराने का दावा कर रहे हैं. हालांकि, यह कितने वोट ले पाए हैं और कितना नुकसान की अपनी पार्टी का कर पाएंगे, यह परिणाम आने पर पता चलेगा.
विधानसभावार प्रत्याशियों की संख्या ये चार बागी भाजपा-कांग्रेस के लिए बड़ा खतरा :हाड़ौती के अन्य बागियों की बात की जाए तो बूंदी सीट से भाजपा के रुपेश शर्मा बागी हो गए थे. उन्होंने अच्छा प्रचार भी किया है. ऐसे में बताया जा रहा है कि काफी संख्या में उन्हें वोट भी मिले हैं. यह नुकसान भारतीय जनता पार्टी को बूंदी में हो सकता है. दूसरी तरफ केशोरायपाटन सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी सीएम प्रेमी को नुकसान पहुंचाने के लिए बागी के रूप में राकेश बोयत चुनावी मैदान में थे. पूर्व जिला प्रमुख व 2018 में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी बोयत थे. इस समय सीएल प्रेमी निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर गए थे और नुकसान पहुंचा था. वहीं छबड़ा में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के लिए बागी मुसीबत बने हुए हैं. कांग्रेस की तरफ से नरेश मीणा व भाजपा के बागी उपेंद्र कुमार चुनावी मैदान में है. दोनों ने प्रचार भी किया है. यहां कांग्रेस प्रत्याशी करण सिंह और भाजपा प्रत्याशी प्रताप सिंह सिंघवी को खतरा बागियों ने पहुंचाया है.
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भाजपा-कांग्रेस को छोड़ 432 प्रत्याशियों की दांव पर लगी प्रतिष्ठा : हाड़ौती में 2003 के बाद 570 कैंडिडेट दावेदारी जाता चुके हैं. इसमें साल 2013 में कोटा दक्षिण विधानसभा में हुए उपचुनाव के दावेदार भी शामिल हैं. इनमें से 70 विधायक चुने गए हैं, जिनमें महज दो ही निर्दलीय उम्मीदवार हैं. जबकि निर्दलीय या अन्य पार्टी के दावेदारों की संख्या 432 है. इनके अलावा भाजपा और कांग्रेस की तरफ से घोषित कैंडिडेट्स की संख्या 140 है. साल 2003 में 87 प्रत्याशी मैदान में थे. इसी तरह 2008 में 152, 2013 में 150 और 2014 के उपचुनाव में दावेदार कोटा दक्षिण से उतरे थे. इसी तरह से 2018 के चुनाव में 174 दावेदार मैदान में थे. इस बार 2023 के चुनाव में 128 प्रत्याशी मैदान में है, जिनमें कांग्रेस-भाजपा के 34 प्रत्याशी भी शामिल हैं.