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Special : पुलिस की इस पहल ने बचा ली तीन जिंदगियां, छात्रों के लिए बनी हेल्प डेस्क दे रहा संबल

कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग करने वाले छात्रों को संबल देने और उनकी सहायता के लिए पुलिस ने हेल्प डेस्क की शुरुआत की है. इसके जरिए 1 माह में ही तीन जिंदगियां बचाने में कामयाबी मिली है. इसके अलावा भी कई शिकायकों का निस्तारण किया गया है. जानिए क्या है ये हेल्प डेस्क और छात्रों के बीच कैसे काम करती है टीम...

Kota Police Helpline Number
कोटा पुलिस हेल्पलाइन नंबर

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Published : Jul 28, 2023, 7:52 PM IST

कोटा पुलिस की पहल

कोटा.देशभर से मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग करने के लिए हजारों छात्र कोटा आते हैं. इन दिनों छात्रों में सुसाइड के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है, जिसे रोकने के लिए संस्थान, पुलिस-प्रशासन की ओर से संभव प्रयास किए जा रहे हैं. इस बीच छात्रों को संबल देने और उनकी सहायता के लिए पुलिस की ओर से 24 जून को हेल्प डेस्क शुरू की गई थी. इसके जरिए करीब 1 माह में ही 3 सुसाइड अटेम्प्ट्स पर एक्शन लेकर उन्हें बचाया गया. इसके अलावा भी 118 शिकायतें हेल्पलाइन के पास आधिकारिक रूप से आई हैं, जिनका निस्तारण स्टूडेंट हेल्प डेस्क ने किया है.

छात्रों को मोटिवेट करती है टीम : एडिशनल एसपी ठाकुर चंद्रशील कुमार ने बताया कि शिकायतों के निस्तारण के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (s&op) बनी हुई है. इसके अनुसार ही शिकायतों को उसी दिन या कुछ घंटों में ही निस्तारण का टारगेट रखा जाता है. शिकायत देर रात आती है या मसला गंभीर है, तब त्वरित एक्शन लिया जाता है. इस हेल्पलाइन का पहला मकसद छात्रों का तनाव कम करना है, जो उनकी समस्याओं को जानकर या फिर उनके आसपास रहकर ही किया जा सकता है. हमारा प्रयास रहता है कि छात्रों से ज्यादा से ज्यादा मिलें और उनकी समस्याओं के समाधान करें. इसके साथ ही हमारी टीम छात्रों को मोटिवेट करने में भी जुटी रहती है. छात्रों को यह विश्वास दिलाया जाता है कि वे उनके साथ खड़े हैं.

कोटा पुलिस की हेल्पलाइन

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पिता ने फोन किया- बेटा दरवाजा नहीं खोल रहा :एडिशनल एसपी ने बताया कि हेल्पलाइन पर कुछ दिन पहले एक फोन आता है, जिसमें व्यक्ति ने बताया है कि उसका बच्चा जवाहर नगर इलाके के हॉस्टल में रहता है और उसने कमरा बंद कर लिया है. फोन भी नहीं उठा रहा है. सूचना मिलने के कुछ ही देर में टीम हॉस्टल में पहुंची और छात्र का रेस्क्यू किया. इसके बाद उसकी काउंसलिंग की और उसे मोटिवेट किया. इस काउंसलिंग के दौरान छात्र ने बताया कि वह आत्मघाती कदम उठाने वाला था. इसी तरह से एक और कॉल आई थी, जिसमें जवाहर नगर थाने की मदद लेकर ही छात्र को बचाया गया था.

रोज कोचिंग एरिया में घंटों बिताती है टीम :स्टूडेंट हेल्प डेस्क की टीम शहर के कोचिंग एरिया में रोज जाती हैं और घंटों तक वहीं रहती हैं. वहां वह छात्र-छात्राओं से बातचीत करते हैं, उनके हॉस्टल और कोचिंग के बाहर भी उनसे चर्चा की जाती है. उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी जुटाई जाती है. हॉस्टल और मैस का निरीक्षण भी किया जाता है. टीम के सदस्य नारायण सुमन का कहना है कि पहले छात्रों से बात करने की कोशिश की जाती है. जब वो सहज हो जाते हैं, तब वह अपनी समस्याओं को भी बताने लगते हैं. उनके साथ रहने वाले दूसरे छात्रों के साथ हुई घटनाओं का भी जिक्र करते हैं. इससे उनकी समस्याओं का हमें पता चलता है.

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पढ़ाई के अलावा की जाती हैं सभी बातें :स्टूडेंट हेल्प डेस्क की टीम के कार्य के बारे में बात करते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ठाकुर चंद्रशील कुमार ने बताया कि छात्रों से पढ़ाई के अलावा सभी तरह की बात की जाती है. कोटा का माहौल, खाना-पीना, हॉस्टल और मैस की सुविधाओं के बारे में पूछा जाता है. बच्चे से सामान्य जानकारी ली जाती है, जैसे वह कहां का रहने वाला है, उसके माता पिता क्या करते हैं, कोटा में कहां रहता है? सबसे आखिर में जब बच्चे पूरी तरह से घुलमिल जाते हैं, तब उनसे पढ़ाई के बारे में पूछा जाता है.

सबसे कॉमन शिकायत मैस का खाना :एएसपी चंद्रशील ठाकुर के अनुसार स्टूडेंट हेल्पलाइन 24 जून को शुरू हुई थी. इसमें अब तक 118 शिकायतें मिली हैं, जिनमें हॉस्टल और पीजी का किराया विवाद, सिक्योरिटी डिपाजिट, कोचिंग फीस वापस नहीं लौटाना शामिल हैं. इसके अलावा छात्र-छात्राओं के बीच छोटे-मोटे झगड़े और मारपीट, सामान की चोरी, गर्ल्स को अनवेलकम कॉल्स, ऑटो किराया, सोशल मीडिया पर गलत कमेंट या अश्लील फोटो डाल देना या कोचिंग छात्रा का पीछा करना शामिल है. इसके अलावा सबसे कॉमन शिकायत है मैस या हॉस्टल में अच्छा खाना नहीं मिलना.

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