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Kota Crime : 7 साल की बेटी से दुष्कर्म के दोषी पिता को आजीवन करावास, फैसले में जज ने लिखी ये बात

सात साल की मासूस से दुष्कर्म के दोषी पिता को कोटा पॉक्सो कोर्ट ने शनिवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. साथ ही जज ने पीड़ित प्रतिक्रम स्कीम के तहत पीड़िता को 10 लाख रुपए दिलाने की भी अनुशंसा की. सजा सुनाने के क्रम में जज ने रामचरितमानस की एक चौपाई का भी जिक्र किया.

Kota POCSO court sentenced life imprisonment
Kota POCSO court sentenced life imprisonment

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 22, 2023, 7:37 AM IST

कोटा.जिला पॉक्सो न्यायालय (क्रम संख्या तीन) ने शनिवार को सात साल की मासूम से दुष्कर्म के दोषी पिता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. साथ ही जज दीपक दुबे ने फैसला सुनाते हुए रामचरितमानस की एक चौपाई लिखी, जिसमें उन्होंने काग भुसुंडि के कलयुग से जुड़े एक प्रसंग का उल्लेख किया. जज ने लिखा- ''कलिकाल बिदाल रिए मनुजा, नहि मानत क्यों अनुजा तनुजा'' अर्थात कलयुग में मनुष्य बहन-बेटी का भी विचार नहीं करेगा.

मां की शिकायत पर दर्ज हुआ था मामला :लोक अभियोजक ललित शर्मा ने बताया कि 2 अगस्त, 2021 को बारां एसपी को पीड़िता की मां से शिकायत मिली थी, जिसमें बताया गया था कि वो कोटा जिले के सांगोद इलाके के देवली माझी थाना क्षेत्र की निवासी है और उसका पति हमेशा उससे मारपीट करता है. साथ ही बेटी के साथ दुष्कर्म जैसी घिनौनी वारदात को अंजाम देता था. ऐसा वो अपनी दो बेटियों और बेटे को लेकर बाारां अपने मायके आई गई थी. इतना ही नहीं शिकायत में उसने खुद के जान को भी खतरा होने की बात कही थी.

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वहीं, देवली मांझी थाना पुलिस ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए आरोपी पिता के खिलाफ दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू की. साथ ही आरोपी पिता के खिलाफ 25 अक्टूबर, 2022 को कोर्ट में चालान पेश किया गया. करीब सालभर चले इस मामले में 15 गवाह और 20 दस्तावेजों के सबूत के आधार पर आरोपी पिता को आखिरकार शनिवार को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया गया. इसके अलावा जज ने पीड़ित प्रतिक्रम स्कीम के तहत पीड़िता को 10 लाख रुपए दिलाने की भी अनुशंसा की.

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न्यायाधीश ने लिखी ये बातें :लोक अभियोजक ललित शर्मा ने बताया कि न्यायाधीश दीपक दुबे ने रामचरितमानस की चौपाई ''कलिकाल बिदाल रिए मनुजा, नहि मानत क्यों अनुजा तनुजा'' का जिक्र किया और उन्होंने लिखा कि यह कथन रामचरितमानस में काग भुसुंडि ने भगवान गरुड़ से कहा था. इसका अर्थ है कि आने वाले कलयुग में व्यक्ति अपनी माता-बहन के संबंध को भी ठीक से नहीं निभाएगा. इसी तरह का कुकृत्य इस मामले में भी हुआ है. ऐसे में न्यायाधीश ने आगे लिखा कि पिता इस तरह से अपनी बेटी से ही दुष्कर्म कर पूरी मर्यादा भूल गया था. जबकि बेटी को उनसे ही जन्म दिया है. यह पूरी तरह से घृणित कार्य है, जो असहनीय ही नहीं, बल्कि मानसिक पीड़ा देने वाला भी है.

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