कोटा के सत्य प्रकाश का बड़ा दावा, सुनिए... कोटा.केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से कोटा में कृषि महोत्सव आयोजित किया जा रहा है. इसमें देशभर के कई स्टार्टअप भी शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं. इसमें एक स्टार्टअप अनूठा है, जिसमें गोबर से केमिकल बनाकर विभिन्न रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. आईआईटियन डॉक्टर सत्य प्रकाश वर्मा के अनुसार वो गोबर को खरीद कर उससे कई तरह के केमिकल बनाते हैं. इस केमिकल के जरिए सेना के जवानों की वर्दी भी बन सकती है. इसके अलावा रेगिस्तान को उपजाऊ बनाने और पुताई के लिए उपयोग किए जाने वाले कलर का निर्माण भी किया जा रहा है.
डॉ. सत्य प्रकाश वर्मा ने बताया कि यह गाय के गोबर से केमिकल प्रोसेस के जरिए निकलने वाले नैनोसैलूलोज से हो रहा है. डेढ़ साल पहले उन्होंने स्टार्टअप गोबर वाला डॉट कॉम शुरू किया था. इसके जरिए मिलने वाले गोबर से केमिकल प्रोसेस के जरिए नैनोसैलूलोज तैयार कर रहे हैं. यह हजारों रुपए किलो बिक रहा है. इसके कई अन्य उपयोग भी हो रहे हैं. उनका दावा है कि नैनोसैलूलोज निकालने के बाद गोबर में बचने वाला लिक्विड एक गोंद की तरह हो जाता है, जिसे लिग्निन कहते हैं. यह लिग्निन प्लाई बनाने के काम में लिया जाता है और 45 रुपए किलो तक बिकता है.
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कई सालों से कर रहे पशुओं के अपशिष्ट पर शोध :कोटा के जय हिंद नगर निवासी सत्य प्रकाश वर्मा ने साल 2003 में आईआईटी बॉम्बे से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक में की. साल 2007 में उन्होंने पीएचडी भी केमिकल इंजीनियरिंग में आईआईटी बॉम्बे से की. इसके बाद फ्लोरिडा से मार्केटिंग मैनेजमेंट से भी पीएचडी की है. उन्होंने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट मुम्बई से एमबीए भी किया. इसके बाद सत्य प्रकाश और उनकी इंजीनियर पत्नी भावना गोरा दुबई शिफ्ट हो गए. वहां पर ऑयल इंडस्ट्री में नौकरी की. इसके बाद वहीं खुद का बिजनेस शुरू किया और ऑयल एंड गैस कंपनीज के लिए प्रोडक्ट्स बनाने लगे. इस दौरान सत्य प्रकाश बकरी, गाय और सुअर के अपशिष्ट पदार्थों पर लगातार शोध कर रहे थे. अपनी कंपनी को भारत में एस्टेब्लिश करने के लिए ही वह वापस लौटे हैं.
वैदिक पेंट होता है वाटरप्रूफ :डॉ. सत्य प्रकाश वर्मा ने बताया कि इस अल्फा नैनोसैलूलोज का उपयोग वैदिक पेंट बनाने में किया जाता है. ये तीन तरह की पेंटिंग में उपयोग में लिए जाते हैं. इनमें पहला वॉल पुट्टी, दूसरा वॉल प्राइमर और तीसरा इमर्शन होता है. इसे प्लास्टिक पेंट भी कहा जाता है. वॉल पुट्टी के बाद किसी भी पेंट की आवश्यकता नहीं रहती है. यह अलग-अलग कलर में आता है और वाटरप्रूफ भी होता है. इसका बड़े स्तर पर उपयोग भी होने लगा है.
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रेगिस्तान को इस तरह से बना रहे उपजाऊ :उन्होंने बताया किनैनो बायो फर्टिलाइजर बनाने में भी नैनोसैलूलोज का उपयोग किया जाता है. इसके जरिए रेगिस्तान की रेतीली जमीन को उपजाऊ बनाया जाता है. नैनोसैलूलोज की निश्चित मात्रा को रेगिस्तान की मिट्टी पर डाला जाता है. इसके बाद वह जमने लायक हो जाती है. रेगिस्तान पहले से ही काफी उपजाऊ होती है, केवल उसमें जमाव का तत्व नहीं होता है जो नैनोसैलूलोज डालने के बाद आ जाता है.
डीआरडीओ के साथ मिलकर बना रहे आर्मी की यूनिफॉर्म :डॉ.सत्य प्रकाश ने दावा किया है कि नैनोसैलूलोज के जरिए वे फाइबर बना रहे हैं, जिसका उपयोग सैनिकों की वर्दी बनाने में किया जा रहा है. इसमें हेलमेट से लेकर जूतें तक शामिल हैं. उनका दावा है कि ये यूनिफॉर्म आमतौर पर सैनिकों की वर्दी से काफी कम वजनी व ज्यादा मजबूत भी होती हैं. ये पसीने को भी सोख लेती है. इसके अलावा अगर सैनिक घायल हो जाता है, तो इस यूनिफार्म की वजह से ब्लड क्लॉटिंग आसानी से हो जाती है. इस तरह यह एक टिशू रीजेनरेशन शुरू कर देती है. इससे जवान के जिंदा रहने की मियाद बढ़ जाती है.
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केंद्र सरकार से भी मिली है प्रोजेक्ट को फंडिंग :डॉ. सत्य प्रकाश का कहना है कि उन्हें केंद्र सरकार की कृषि मंत्रालय से 25 लाख की ग्रांट भी मिली है. इसके अलावा उन्हें एक कंपनी की ओर से भी अच्छी फंडिंग मिली है. उन्होंने डेढ़ साल पहले प्लेटफार्म गोबर वाला डॉट कॉम लॉन्च किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि जहां पर एक क्विंटल गोबर उपलब्ध हो जाएगा, वहां पर इस तरह का एक प्लांट स्थापित कर दिया जाएगा, ताकि प्रोसेसिंग कर नैनोसैलूलोज निकाला जा सके. इन लोगों को बैंक के जरिए लाखों रुपए की फाइनेंस भी मिल जाएगी.
1 किलो गोबर से 15000 की आय :उनका दावा है कि 1 किलो गोबर से करीब 6 से 8 और 10 ग्राम तक भी नैनोसैलूलोज निकाला जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय मार्केट में नैनोसैलूलोज की कीमत 10 से लेकर 40 डॉलर प्रति ग्राम है. इस हिसाब से देखा जाए तो करीब 1 किलो गोबर 15 से 20 हजार रुपए की आय हो सकती है. उनका कहना है कि इस तकनीक के प्लांट पूरे राजस्थान में विकसित करवाना चाहते हैं. इसके लिए प्रदेश के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया और अधिकारियों से भी वह मिले थे, ताकि सभी गौशालाओं में इस तरह का प्लांट लगाए जाएं, ताकि वहां आय होने लगे और नैनोसैलूलोज भी बड़ी मात्रा में उपलब्ध हो पाएगा.
दावा है विश्व की पहली कंपनी होने का :डॉ. सत्य प्रकाश वर्मा ने दावा किया है कि उनकी कंपनी विश्व की पहली है जो कि गोबर से प्रसंस्करण कर नैनोसैलूलोज निकाल रही है. उन्होंने इस गोबर से प्रसंस्करण कर नैनोसैलूलोज बनाने का पेटेंट करवा लिया है. सत्य प्रकाश का दावा है कि ऐसा करने वाले वह विश्व के पहले व्यक्ति हैं. साथ ही उनका कहना है कि इसका मार्केट 5000 करोड़ रुपए का है. अभी यूरोप के कंट्रीज में भेज रहे हैं. इसका सबसे बड़ा मार्केट कनाडा में है. साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि वह पूरे कच्चे माल को नहीं भेज रहे हैं. इसके प्रोडक्ट्स बनाकर वह भारत के बाजार में लॉन्च कर रहे हैं.