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हमारे इलाके से 4 गुना यूरिया हाड़ौती में उपयोग हो रहा है इसीलिए कमी ज्यादा- महादेव सिंह खंडेला

कोटा में कृषक संवाद कार्यक्रम में किसानों ने अपने विचार और समस्याएं रखीं. इसमें कृषि उत्पादन से (Kota Farmers raised issues related to agriculture) लेकर मंडी और नए इनोवेशन के भी मुद्दे रखे गए. इसमें पशुपालन, मुर्गी पालन और कृषि से जुड़े कई मुद्दे किसानों ने उठाए हैं.

Farmers raised issues related to agriculture in Kota
Farmers raised issues related to agriculture in Kota

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Published : Nov 16, 2022, 8:50 PM IST

Updated : Nov 16, 2022, 9:04 PM IST

कोटा.राजस्थान किसान आयोग की तरफ से कोटा में बुधवार को कृषक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया (Kota Farmers raised issues related to agriculture) गया. इसमें कोटा जिले के करीब 250 प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया. यहां उन्होंने आयोग के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री महादेव सिंह खंडेला के सामने अपने विचारों को रखा. इसमें कृषि उत्पादन से लेकर मंडी और नए इनोवेशन के भी मुद्दे रखे गए. इसमें पशुपालन, मुर्गी पालन और कृषि से जुड़े कई मुद्दे किसानों ने उठाए हैं.

महादेव सिंह खंडेला ने इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि पूरे प्रदेश में जो समस्याएं हैं, वैसी ही हाड़ौती में भी हैं. हालांकि यहां कुछ अलग समस्याओं की भी जानकारी मिली है. यूरिया की समस्या पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए खंडेला ने कहा कि वितरण की व्यवस्था भी यहां पर ठीक नहीं है, इसे भी दुरुस्त करने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने कहा कि यहां पर यूरिया भी हमारे इलाके से काफी ज्यादा डाला जाता है. करीब 4 गुना ज्यादा उपयोग यहां पर होता है, इसीलिए भी कमी बनी हुई है. समय पर यूरिया भी इसलिए उपलब्ध नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि यूरिया कोटा में पैदा हो रहा है और पूरे देश भर में यहां से भेजा जा रहा है. इसके बावजूद भी समस्या है. इसको दूर करवाने का प्रयास करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि वितरण व्यवस्था पर बीजेपी ने सवाल उठाया है. इस पर उन्होंने जवाब दिया कि विरोधियों का काम विरोध करना ही है.

कोटा में किसानों की समस्याएं

सीएम तक पहुंचाएंगे किसानों की समस्याएं :खंडेला ने कहा कि यहां भी आवारा पशुओं, नीलगाय, फार्म पोंड, तारबंदी की समस्याएं हैं. वर्तमान में यूरिया खाद की भी समस्या है. किसानों ने बीज समय से और उच्च क्वालिटी का नहीं मिलने की शिकायत भी की. जिसे आगे पहुंचाएंगे और इनके निराकरण पर चर्चा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से करेंगे. उन्होंने कहा कि किसानों ने लिखित में भी सुझाव दिए हैं, जिन्हें भी आने वाले बजट में शामिल करवाएंगे. बीते साल की तरह इस बार भी कृषि का बजट अलग आएगा. इस दौरान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एके व्यास, पूर्व कुलपति जीएल केशवा, संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार रामअवतार शर्मा व हॉर्टिकल्चर पीके गुप्ता सहित कई अधिकारी मौजूद थे.

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किसान गेहूं बेचने की जगह प्रोसेसिंग कर दलिया और सूजी बनाएं : कोटा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर (Kota Farmers facing problems in Agriculture) प्रोफेसर एके व्यास ने बताया कि फसल उगाने की लागत बढ़ रही है. इससे किसानों को लाभ मिल रहा है लेकिन उन्होंने कहा कि इसके लिए वैज्ञानिक तरीके से भी समाधान निकाला जा सकता है. मशरूम, बी कीपिंग, मुर्गीपालन व पशुपालन जैसे उपयोग भी उन्हें अपनी खेती के साथ जोड़ने होंगे. उन्होंने कहा कि प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन के जरिए किसान भी अपनी फसल का अच्छा दाम ले सकते हैं. उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि गेहूं के दाम कम रहते हैं, लेकिन दलिया व सूजी के प्रोसेस कर बनाया जाए तो उसके ज्यादा रुपए मिल सकते हैं. इसमें खर्चा भी ज्यादा नहीं होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि मंडियों की व्यवस्था भी सुधार नहीं होगी. इससे किसानों को अपनी फसल का कुछ दाम ज्यादा मिल सकता है.

मत्स्य पालन विभाग के कार्मिक नहीं तैयार करते बीज :मछली पालन से जुड़े प्रशांत ने भी मुद्दा उठाया कि मछलियों के बीज उत्पादन ही नहीं हो रहा है. कोटा में अच्छी क्वालिटी का बीज नहीं मिलने के चलते दूसरी जगह से बीज मंगवाते हैं. मत्स्य पालन विभाग के पास कार्मिक भी कम हैं. वर्तमान में पदस्थापित कार्मिक भी काम नहीं करना चाहते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यहां जितने भी तालाब हैं, वहां मछली पालन पर एक संकट मगरमच्छ का आ गया है. इसके चलते खतरा बना हुआ है और मछलियों का भी वे शिकार कर लेते हैं. साथ ही मछली मार्केट भी श्रीपुरा में छोटी जगह पर हैं, जिसे बड़ी जगह स्थापित करना चाहिए.

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गौशाला की जगह किसानों को दे अनुदान :डूंगरजा निवासी पूर्व सरपंच रामप्रसाद नागर ने कहा कि हम परंपरागत खेती कर रहे हैं. वैज्ञानिक नई रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन वह खेतों तक नहीं पहुंच रही है. केवल कुछ सरकारी कृषि फार्म में ही नई रिसर्च की फसलें उगाई जा रही हैं. ऐसे में इसे किसानों के खेत में प्रायोगिक तौर पर किसानों से ही करवाना चाहिए, ताकि इसका प्रमोशन मिले और वैज्ञानिकों को समय-समय पर यह रिसर्च गांव तक पहुंचानी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकारें गौशालाओं को गाय रखने का अनुदान देती है. गाय हमारी फसलों को खराब कर रही है. क्योंकि बड़ी संख्या में गाय मौजूद हैं. जिन्हें लोगों ने छोड़ दिया है. ऐसे में अगर गौशालाओं की जगह अनुदान किसानों को दिया जाए, तो गाय को किसान ज्यादा संख्या में पालने लग जाएंगे.

किसानों ने उठाएं यह मांगे : (Demands of Kota Farmers)

  • कैचमेंट एरिया में ड्रेन की सफाई,
  • बीज उत्पादक किसानों की सब्सिडी बढ़ाने,
  • तिलम संघ में बीज उत्पादक किसानों का अटका पैसा दिलवाने,
  • मनरेगा योजना को खेती से जोड़ने,
  • सौर ऊर्जा में सब्सिडी बढ़ाने और गांवों तक डेयरी टेक्नोलॉजी पहुंचाने,
  • नॉन कमांड एरिया में बिजली सप्लाई रात की जगह दिन में दी जाने,
  • मुआवजा दिए जाने की मांग उठाई है.
Last Updated : Nov 16, 2022, 9:04 PM IST

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