कोटा संभाग के बांध रह गए 'प्यासे' कोटा. संभाग में मानसून की बेरुखी का असर देखने को मिला है. बारिश कम होने से क्षेत्र के बांधों में पानी की आवक कम हुई है. यही वजह है कि इस बार संभाग के 80 डैम में से केवल 9 डैम ही लबालब भरे हुए है. बांधों का वाटर लेवल कम होने से स्थानीय लोगों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
ये हैं पिछले साल और इस साल के आंकड़े राजस्थान में मानसून विदा हो गया है, ऐसे में संभाग के कई बांध वाटर लेवल की बढ़ोतरी के लिए तरसते रह गए. हाड़ौती क्षेत्र में बारिश कम होने से हालात ऐसे बन गए कि 45 डैम में ही आधे से ज्यादा पानी आया है, वहीं 26 डैम में आधे से कम पानी है. अगर बीते साल की बात की जाए तो हाड़ौती के 83 में 51 डैम लबालब भर गए थे, वहीं 28 डैम में 50 फीसदी से ज्यादा पानी था. महज 4 डैम ऐसे थे, जिनमें 50 फीसदी से कम पानी रहा था. बता दें कि कोटा संभाग के छोटे डैम भरे होने से भूगर्भीय वाटर का लेवल बढ़ता है, जबकि डैम खाली रहने से इस बार भूजल का स्तर भी नहीं बढ़ेगा. दूसरी तरफ छोटे डैम से आस पास के क्षेत्रों में सिंचाई होती है. ऐसे में खेती के लिए भी पानी की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
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जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता एजाजुद्दीन अंसारी के मुताबिक साल 2000 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि बहुत कम बांध ही भर पाए है. 4.25 मिलियन क्यूबिक मीटर से कम क्षमता वाले 34 बांधों में बीते साल कुल 90.45 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी दर्ज किया गया था, लेकिन इस बार इनमें केवल 49.22 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी आया है. यह वाटल लेवल की क्षमता का महज 54.41 फीसदी पानी है, जबकि बीते साल ये डैम 91.70 फीसदी भरें हुए थे. इनमें 82.94 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी है.
बड़े डेम में 22 फीसदी कम पानी : चंबल वैली के दो बड़े डैम के अलावा हाड़ौती के सभी 44 डैम में 1206.86 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता है, जिनमें बीते साल 1167.30 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी आया था, यानी ये डैम 97 फीसदी भरे हुए थे. बांधों की संख्या में फेरबदल होने के कारण क्षेत्र में 2023 में बांधों के वाटर लेवल की क्षमता 1145.94 मिलियन क्यूबिक मीटर है, जिनमें इस बार केवल 896.97 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी है, ये बांध 78 फीसदी भरे हुए हैं.
मध्य प्रदेश में बारिश से चंबल वैली के बांध हुए लबालब :दूसरी तरफ चंबल कमांड एरिया में इस बार किसानों को पानी की कोई समस्या नहीं आने वाली है. क्योंकि चंबल वैली प्रोजेक्ट के सभी बांध लबालब हो गए है. गांधी सागर में 98.27 फीसदी, राणा प्रताप सागर में 99.75 फीसदी, जवाहर सागर में 83.19 फीसदी और कोटा बैराज में 99.40 फीसदी पानी है. हालांकि इसमें दो बड़े रिजर्व वायर गांधी सागर डेम में 7041.08 और आरपीएस में 2897.60 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी हैं. जबकि जवाहर सागर डैम और कोटा बैराज दोनों बैलेंसिंग रिजर्व वायर है. इनकी ज्यादा क्षमता नहीं है.
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चंबल की नहरों में मिलेगा पूरा पानी :एक तरफ जहां पर हाड़ौती के डैम खाली है, लेकिन चंबल वैली प्रोजेक्ट के डैम पूरी तरह से फुल भरे हुए हैं. ऐसे में किसानों को चंबल कमांड एरिया की में दाईं और बाईं नहर से पानी मिलेगा. इससे मध्य प्रदेश में भी किसानों को पानी दिया जाता है. वहीं हजारों हेक्टेयर भूमि इससे संचित होती है, ऐसे में किसानों को पानी पूरा मिलेगा. हाड़ौती के महज 11 फीसदी डैम भरे हुए हैं, जबकि 56 फीसदी डैम में 50 प्रतिशत से ज्यादा पानी है. वहीं 33 फीसदी डैम में आधे से भी कम पानी है. जबकि बीते साल 33 फीसदी डैम में 50 फीसदी से ज्यादा पानी था, वहीं 4 फीसदी में 50 फीसदी से कम पानी था. जबकि 63 फीसदी में फुल पानी था