कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री का देशभर में सिक्का... कोटा.देशभर से मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने लाखों विद्यार्थी कोटा में आते हैं. कोटा कोचिंग के बूते पर ही बीते 35 सालों में एजुकेशन सिटी के तौर पर स्थापित हुई है और आज यहां पर सफलता का डंका भी काफी हद तक बजता है. हर साल कोटा से टॉपर्स निकल कर जाते हैं. यह देश के बड़े इंजीनियरिंग और मेडिकल संस्थानों में प्रवेश लेते हैं, लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ कोटा की कोचिंग की तकनीक दूसरे शहरों में भी पहुंची है. यहां तक कि विदेश में भी कोटा की कोचिंग विद्यार्थियों को मिलने लगी है.
इसके अलावा देश के सभी बड़े शहरों में कोटा कोचिंग संस्थानों के सेंटर हैं. इन सेंटर्स की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसके चलते अब देश भर में करीब 80 सेंटर कोटा के कोचिंग संस्थानों के हो गए हैं, जिन्होंने शुरुआत कोटा से की थी. इसके अलावा कोटा कोचिंग संस्थान विदेशों में भी पहुंच गया है. देश के बाहर 6 शहरों में भी कोटा की कोचिंग संस्थान मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवा रहा है. कोटा के निजी कोचिंग संस्थान के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट नितेश शर्मा का कहना है कि कोटा की क्वालिटी पर पेरेंट्स व स्टूडेंट्स का भरोसा है. जहां पर भी कोटा कोचिंग जा रही है, वहां पर पेरेंट्स स्टूडेंट्स कोटा की तरह ही ट्रस्ट करके एडमिशन ले रहे हैं. यह विश्वास लगातार बढ़ रहा है.
कोटा नहीं आने वाले स्टूडेंट्स ले रहे एडमिशन : कोटा के अलावा अन्य शहरों के सेंटर पर अधिकांश वे विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं, जो किन्ही कारणों से कोटा आकर कोचिंग नहीं कर पाते हैं. ऐसे में वे अपने शहर में ही कोचिंग ले लेते हैं या फिर अपने गांव या कस्बे के नजदीक वाले शहर में जाकर कोटा की कोचिंग संस्थान के सेंटर पर ही पढ़ाई कर लेते हैं. इनकी संख्या की बात की जाए तो कोटा में कोचिंग करने आने वाले विद्यार्थियों से करीब आधी संख्या इनकी है. जिस तरह से बीते साल 2022 में करीब दो लाख से ज्यादा विद्यार्थी कोटा के कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे थे, जबकि इन सभी कोचिंग संस्थानों के बाहर के सेंटर पर करीब एक लाख से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे थे.
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विदेशों में भी पहुंचा कोटा का कोचिंग : नेशनल टेस्टिंग एजेंसी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईईमेन की विदेशों में भी परीक्षा आयोजित करवाती है. जहां पर हजारों की संख्या में बच्चे परीक्षा देते हैं. विदेशों में करीब 2 दर्जन के आसपास सेंटर्स बनाए जाते हैं. उन्हीं विद्यार्थियों को तैयारी करवाने के लिए कोटा के कोचिंग संस्थान ने ओवरसीज डिवीजन भी खोला हुआ है. जहां पर विदेश में ही रहने वाले एनआरआई परिवारों के भारतीय विद्यार्थियों को तैयारी करवाई जाती है. इसी के लिए कोटा के कोचिंग संस्थान ने ओवरसीज डिवीजन के तहत सऊदी अरेबिया, ओमान, बहरीन, कुवैत, यूएई और कतर में स्टडी सेंटर खोले हुए हैं. यहां पर नीट, जेईईमेन व एडवांस्ड की तैयारी करवाई जा रही है.
कोटा क्यों है यूनिक ? : कोटा के अलावा जितने भी बड़े शहरों में यह सेंटर संचालित हो रहे हैं. वहां पर भी पढ़ाई का तरीका कोटा की तकनीक ही है. हालांकि, कोटा में ज्यादा संख्या में बच्चे इसलिए आते हैं, क्योंकि यहां देशभर से टॉपर्स बच्चे आते हैं और उन्हीं के बीच में कंपटीशन होता है. इसके चलते एक बेहतर पियर ग्रुप में मिलता है.
स्टूडेंट्स आपस में भी डिस्कशन कर अपनी क्वेरीज को सॉल्व कर लेते हैं, जबकि कोटा के अलावा ज्यादातर शहरों में केवल वहां के ही बच्चे पढ़ाई करते हैं या फिर आसपास के कस्बों और गांवों के बच्चे वहां पहुंचते हैं. कोटा में कंपटीशन के चलते जो वातावरण तैयार होता है, वह इन दूसरे शहरों के सेंटर्स पर नहीं मिल पाता है. हालांकि, नितेश शर्मा का कहना है कि कोटा से बाहर के जितने भी सेंटर है, वहां भी कोटा जैसी क्वालिटी और कंपटीशन बनाए रखने के लिए साल भर में ओपन टेस्ट करवाए जाते हैं.
ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ व साउथ, सभी तरफ है सेंटर : कोटा की कोचिंग संस्थानों का साम्राज्य देश भर में सभी तरफ फैला हुआ है. इसमें ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ व साउथ सभी जगह पर यहां की कोचिंग संस्थानों ने अपने सेंटर खोले हैं. इनमें सभी राज्यों की राजधानियों में तो सेंटर स्थापित किए हुए हैं. जिनमें दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई, कोयंबटूर, अमृतसर, बठिंडा, भोपाल, भुवनेश्वर, बिलासपुर, चंडीगढ़, देहरादून, दुर्गापुर, गुवाहाटी, ग्वालियर, हिसार, इंदौर, जम्मू, कोच्चि, लातूर, मंगलुरु, मोहाली, मैसूर, नागपुर, नांदेड़, नासिक, पंचकुला, पुडुचेरी, पुणे, रायपुर, राजकोट, रांची, रोहतक, सिलीगुड़ी, श्रीनगर, सूरत, तिरुपति, उज्जैन, वडोदरा, आगरा, अलीगढ़, इलाहाबाद, अयोध्या, बरेली, चंद्रपुर, नोएडा, भागलपुर, दरभंगा, धनबाद, फरीदाबाद, गोरखपुर, वारंगल, विजयवाड़ा, वाराणसी, त्रिशूल, श्रीनगर, सोनभद्र, जलगांव, जामनगर, कानपुर, लखनऊ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नासिक, पटना सहित अन्य शामिल है. इसके अलावा राजस्थान में भीलवाड़ा, जयपुर, जोधपुर, रावतभाटा, झुंझुनू, पिलानी व सीकर में सेंटर है. हाल ही में कोटा के सबसे बड़े कोचिंग संस्थान ने देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर में एक साथ 11 सेंटर खोले.
कोविड-19 के दौरान बंद हो गए थे बाहर के सेंटर : कोविड-19 के 2020 और 2021 के कालखंड में लंबे चले लॉकडाउन के चलते कोचिंग संस्थान बंद थे. ऐसे में कोचिंग संस्थानों ने ऑनलाइन ही पढ़ाई विद्यार्थियों की करवाई थी. इसके चलते कोटा के बाहर करीब 70 के आसपास सेंटर यहां की कोचिंग संस्थानों के संचालित हो रहे थे, जिनमें से आधे से ज्यादा बंद हो गए थे. जहां पर कोई पढ़ाई नहीं हो रही थी. अधिकांश सेंटर पर ऑनलाइन ही पढ़ाई शुरू हो गई थी. ऐसे में कई कोचिंग संस्थानों के सेंटर्स बंद हो गए. इसी क्रम में अब आगे इन सेंटर को भी दोबारा खोलने का क्रम शुरू किया गया है. बीते साल ही कोटा से शुरुआत करने वाले कोचिंग संस्थान ने भी लगातार शामिल एक साल में सेंटर्स खोले हैं, जिन्होंने अब तक 46 सेंटर देशभर में ओपन किए हैं.
कोटा से ही ट्रेंड हो रहा दूसरे सेंटर्स का स्टाफ व फैकल्टी : देशभर में कोटा की कोचिंग संस्थानों के सेंटर्स पर रोजगार के लिए भी ज्यादातर व्यक्ति कोटा के ही हैं. क्योंकि यहां से ही मेंटल और गाइड के तौर पर फैकल्टी व स्टाफ बाहर भेजा जाता है. इसके बाद बाहर के सेंटर्स के स्टाफ और अन्य फैकल्टी को भी ट्रेंड कोटा के एक्सपर्ट ही करते हैं, ताकि कोटा की जो तकनीक और खासियत पढ़ाई करवाई जा सके. जिस तरह से कोटा में पढ़ाई का कल्चर बनाया हुआ है, वैसा ही वहां बनाने का पूरा प्रयास किया जाता है. नितेश शर्मा का कहना है कि कोटा कोचिंग क्वालिटी से कोई समझौता नहीं करती है. उसमें क्लासेज, पढ़ाई, स्टडी मैटेरियल व टेस्ट सभी के पैरामीटर सेट है. इसी के चलते कोटा कोचिंग पर लगातार विश्वास बढ़ रहा है.