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अंग्रेजों के जमाने की रेल लाइन का 126 साल बाद हुआ दोहरीकरण, देरी के कारण बढ़ी 1000 करोड़ की लागत - Indian Railways

कोटा-बीना रेलवे लाइन के दोहरीकरण का काम लगभग पूरा हो चुका (Kota Bina railway line doubling works) है. अब केवल कोटा जंक्शन से सोगरिया स्टेशन के बीच करीब ढाई किलोमीटर की रेलवे लाइन का निर्माण कार्य बाकी है. वहीं, रेलवे अधिकारियों की मानें तो आगामी मार्च माह तक इस कार्य को भी पूरा कर लिया जाएगा.

British era doubling work complete
British era doubling work complete

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Published : Jan 31, 2023, 11:41 AM IST

देरी के कारण बढ़ी 1000 करोड़ की लागत

कोटा.अंग्रेजों के जमाने में बिछाई गई कोटा-बीना रेल लाइन के दोहरीकरण का काम लगभग समाप्ति पर है. कोटा जंक्शन से सोगरिया रेलवे स्टेशन के बीच अब महज ढाई किलोमीटर की रेलवे लाइन का निर्माण बाकी है. इस ढाई किलोमीटर के दोहरीकरण के कार्य को भी मार्च तक कमीशन किए जाने की बात रेलवे के अधिकारी की ओर से कही जा रही है. हालांकि अंग्रेजों के जमाने में बिछाई गई इस रेलवे लाइन के दोहरीकरण में करीब 11 साल का समय लग गया है. इसके चलते जो शुरुआत में इसकी लागत निर्धारित हुई थी, उससे एक हजार करोड़ की अधिक राशि इसमें व्यय हो चुकी है.

कोटा-बीना रेलवे लाइन दोहरीकरण के कार्य की शुरुआत साल 2012 में हुई थी. इसकी प्रारंभिक लागत करीब 1415 करोड़ थी. लेकिन अब यह बढ़कर 2476 करोड़ के आसपास पहुंच गई है. यह 283 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन में पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा और भोपाल मंडल के अधीन आती है. इसमें कोटा मंडल में 165 किलोमीटर और भोपाल में करीब 118 किलोमीटर की लाइन आती है.

कोटा-बीना रेलवे लाइन पर दोहरीकरण का कार्य

ब्रिटिशकाल में बिछाई गई थी रेलवे लाइन:इस रेल लाइन को ब्रिटिशकाल में बनाया गया था. 1896 में 1897 के बीच कोटा के बीच रेल मार्ग का निर्माण हुआ था, लेकिन इसके दोहरीकरण में 126 साल का वक्त लग गया. रेल विकास निगम लिमिटेड द्वारा किए जा रहे इस कार्य को 11 साल में पूरा किया गया है. हालांकि इसकी शुरुआत कुछ सेक्शनों में टुकड़ों में की गई थी. वहीं, जिन सेक्शनों में काम पहले शुरू हुए थे, वहां काम पूरा होने के बाद लगातार तीन से चार सालों तक अलग-अलग सेक्शनों में रेल संरक्षा आयोग (सीआरएस) की ओर से निरीक्षण किए गए और फिर उन रेल खंडों में ट्रेनों के संचालन की अनुमति दे दी गई थी.

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कोयले की ढुलाई बढ़ने से पावर प्लांटों को होगा फायदा: कोटा बीना रेलवे लाइन पर राजस्थान में 3 बड़े पावर प्लांट स्थित है. इनमें सबसे पहले बारां जिले के छबड़ा में स्थित राजस्थान सरकार का थर्मल पावर प्लांट है. जिसकी क्षमता 2320 मेगावाट है. उसके बाद सालपुरा में अडाणी के 1320 मेगावाट कैपेसिटी का पावर प्लांट स्थित है. इन दोनों पावर प्लांटों को कोयला सप्लाई छत्तीसगढ़ से इसी रूट के जरिए होती है. वहीं, इस रेलवे लाइन से कोटा के 1240 मेगावाट क्षमता के थर्मल पावर प्लांट को भी कोयला मिलता है. ऐसे में कोयले की ढुलाई सुदृढ़ होने से पावर प्लांटों को फायदा होगा.

कोटा-बीना रेलवे लाइन

अब 100 किमी से चलेगी ट्रेन, मालगाड़ियों की भी बढ़ेगी स्पीड:रोहित मालवीय ने बताया कि कोटा बीना लाइन का दोहरीकरण से लाइन की कैपिसिटी बढ़ जाएगी और ज्यादा ट्रेनों को संचालित कर पाएंगे. बारां में एक बड़ा गुडशेड है. जहां से काफी माल लदान होता है. यह देश के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचाया जाता है. इसके अलावा यात्री सुविधाओं को बढ़ाने के लिए यात्री ट्रेनें चलती है. इसमें महत्वपूर्ण दयोदय एक्सप्रेस, कोटा इंदौर इंटरसिटी व लोकल ट्रेन है. इन कई ट्रेनों की स्पीड बढ़ जाएगी. यात्री गाड़ियां करीब 100 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल सकेगी. जिससे यह अब कम समय में पहुंच सकेगी. साथी माल गाड़ियों की भी स्पीड बढ़ जाएगी. रेलवे के मुताबिक अब पहले से ज्यादा ट्रेनें इस सेक्शन में चला सकेंगे. इससे यात्रियों को भी फायदा होगा.

केवल ढाई किलोमीटर का कार्य शेष:कोटा के सीनियर डीसीएम रोहित मालवीय का कहना है कि कोटा बीना रेल खंड में कोटा मंडल में 165 किलोमीटर के आसपास रेलवे लाइन आती किलोमीटर है. इसमें 162 किलोमीटर से ज्यादा पर रेल लाइन कमीशन कर दी गई है और उसका सीआरएस निरीक्षण भी हो चुका है. महज कोटा से सोगरिया की स्टेशन के बीच ढाई किलोमीटर की रेलवे लाइन का कार्य शेष है. सीनियर डीसीएम मालवीय ने यह दावा किया है कि यह कार्य मार्च के पहले पूरा हो जाएगा. जिसके बाद पूरा रेलवे लाइन दोहरीकरण हो जाएगी.

कोटा-बीना रेलवे लाइन

साप्ताहिक ट्रेनों की बढ़ सकती है फ्रीक्वेंसी:कोटा बीना रेलवे लाइन पर साप्ताहिक ट्रेन बड़ी संख्या में संचालित होती है. ऐसे में इन साप्ताहिक ट्रेनों की फ्रीक्वेंसी को बढ़ाया जा सकता है. कोटा मंडल के सीनियर डीसीएम रोहित मालवीय का कहना है कि नई ट्रेन या स्टॉपेज बढ़ाने के बारे में जनप्रतिनिधियों और आम जनता की मांग आती है तो उसके अनुसार हम प्रस्ताव बनाकर रेलवे बोर्ड को भेजते हैं. इस तरह के प्रस्ताव में ट्रेनों की फ्रीक्वेंसी की बढ़ोतरी भी शामिल है. इस तरह के सभी निर्णय रेलवे बोर्ड लेता है. वहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही ट्रेन की फ्रीक्वेंसी बढ़ाई जाती है.

लेटलतीफी की समस्या से मिलेगी निजात:रेलवे लाइन पर ट्रेनों की लेटलतीफी भी काफी प्रचलित है. ऐसे में अब इस रेलवे ट्रैक पर करीब 100 किलोमीटर की स्पीड से ट्रेन चल सकेगी. यात्री गाड़ियों को मालगाड़ियों के क्रॉसिंग के लिए खड़ा किया जाता था, जिससे अब निजात मिलेगी. इसके अलावा इस रेलवे लाइन से साप्ताहिक ट्रेनें काफी संख्या में गुजरती है. यह ट्रेनें लंबी दूरी की होती हैं. ऐसे में पहले से ही देरी से चलती है, रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण होने से इनकी स्पीड भी अब बढ़ेगी और उनके समय में भी आंशिक सुधार होगा.

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