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हाल-ए-एटीएम: खाली ATM बने शोपीस, कैश की जगह ग्राहकों को मिल रही 'No-Cash' की पर्चियां, आखिर जिम्मेदार कौन?

कोटा जिले में 29 बैंकों के 445 एटीएम में 30 फीसदी एटीएम यानी कि 100 से ज्यादा हमेशा खराब रहते हैं. जिनमें से अधिकतर कभी कैश आउट, तो कभी सर्विस आउट ही रहते हैं. ये एटीएम 251 ब्रांच से जुड़े हुए हैं, लेकिन इनका मेंटेनेंस भगवान भरोसे है.

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अधिकांश एटीएम बीमार पड़े हुए हैं.

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Published : Nov 28, 2020, 6:25 PM IST

कोटा.लोगों को 24 घंटे रुपये मुहैया कराने का दावा करने वाले बैंकों के एटीएम शोपीस बनते नजर आ रहे हैं. इनमें से अधिकांश एटीएम बीमार पड़े हुए हैं, तो वहीं आधे से ज्यादा एटीएम खुद पैसों के लिए मोहताज है. बचे बाकी, वो बिजली के अभाव में दम तोड़ देते हैं.

कोटा में अधिकांश एटीएम खराब होने से ग्राहक हो रहे परेशान.

जिले में 29 बैंकों के 445 एटीएम में 30 फीसदी एटीएम यानी कि 100 से ज्यादा हमेशा खराब रहते हैं. जिनमें से अधिकतर कभी कैश आउट, तो कभी सर्विस आउट ही रहते हैं. ये एटीएम 251 ब्रांच से जुड़े हुए हैं, लेकिन इनका मेंटेनेंस भगवान भरोसे है. ग्राहकों का कहना है कि ज्यादातर एटीएम में पैसों की किल्लत रहती है. ऐसे में मजबूरन एक से दूसरे एटीएम के चक्कर लगाने पड़ते है. दूसरे एटीएम पर जाने पर भी निराशा ही हाथ लगती है, क्योंकि या तो एटीएम का सर्वर डाउन रहता है या फिर तकनीकी खामी के चलते बंद. कुछ में नोट फंस जाते है या फिर सर्वर डाउन हो जाता है. ऐसे में नगदी की निकासी नहीं हो पाती है. ग्राहकाें का यह भी कहना है कि बैंक हर साल एटीएम कार्ड के करीब 150 रुपये चार्ज करता है. यहां तक की अब 5000 से ज्यादा की एक बार निकासी में भी 24 रुपये का शुल्क लिया जा रहा है, लेकिन बावजूद इसके ग्राहकों को अच्छी सुविधा नहीं मिल पा रही.

बंद पड़ा एटीएम

बिजली जाने के साथ ही बंद हो जाते हैं एटीएम
बैंक ऑफ बड़ौदा के कोटड़ी सर्किल के नजदीक स्थित एटीएम की हालत पूरी खस्ता है. यहां बिजली जाने के बाद एटीएम भी बंद हो जाते हैं] क्योंकि यहां लगे हुए इनवर्टर खराब हो चुके हैं. जरनेटर से बैंक तो जुड़ा हुआ है. लेकिन, बाहर जो एटीएम हैं वह बंद है. ऐसे में यहां पर पैसे जमा कराने वाले या निकासी करने आने वाले ग्राहक बेरंग लाैटने को मजबूर है. कई बार तो ट्रांजैक्शन बीच में ही अटक जाता है. क्योंकि बिजली जाने पर मशीन अचानक से बंद हो जाती है.

तकनीकी खामी के चलते बंद एटीएम.
महीनों तक दुरुस्त नहीं होतेझालावाड़ रोड पर ही सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के एक ब्रांच के एटीएम का भी यही हाल है. यहां आने वाले ग्राहकों का कहना है कि करीब एक से डेढ़ महीने से यह एटीएम बंद है, इसकी कोई मशीन खराब हो गई थी. जिसके बाद बैंक ने इसके शटर लगाकर इसे बंद ही कर दिया है. यह चालू हो तो उन्हें पैसे निकालने की सुविधा मिल जाए. जबकि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया कोटा का लीड बैंक है.ऑफलाइन मिलते हैं एटीएमनयापुरा स्थित एसबीआई का एटीएम कुछ इस तरह का ही है. वह हमेशा ऑफलाइन ही रहता है. यहां पर पैसा निकालने आने वाले लोगों को कहना है कि जब वे 10 बार यहां पर आते हैं, तो तीन से चार बार ही पैसा निकाल पाते हैं. इसके बाद दूसरे एटीएम के चक्कर ही उन्हें लगाने पड़ते हैं. क्योंकि, निकासी पैसों की यहां पर नहीं हो पाती है. एमबीएस अस्पताल नजदीक होने के चलते इमरजेंसी में मरीज के परिजनों को भी पैसे की आवश्यकता होती है, उन्हें आस-पड़ोस के दूसरे दूर एटीएम तलाशने पड़ते हैं.
एटीएम में नहीं है कैश
ब्रांच के अंदर एटीएम के खस्ता हालकोटडी रोड पर यस बैंक की ब्रांच है. उसके भीतर एटीएम भी लगा हुआ है, लेकिन वहां पर भी एक तख्ती हमेशा ही लटकी रहती है, जिस पर लिखा होता है एटीएम में पैसे नहीं है. जबकि ब्रांच भी नजदीकी है. ऐसे में उसमें पैसे तुरंत डाले जा सकते हैं. ऐसा यही नहीं है, स्टेशन रोड, शॉपिंग सेंटर, जवाहर नगर डिस्टिक सेंटर, महावीर नगर व तलवंडी सहित कई इलाकों में यह समस्या आती है. इमरजेंसी में दो से तीन एटीएम के चक्कर लगाना मजबूरीबजरंग नगर से पैसे की निकासी करने आए डॉ अभिमन्यु शर्मा का कहना है कि वह इमरजेंसी में पहुंचे थे. उनकी पत्नी को गायनोकोलॉजिस्ट को दिखाना है. साथ ही बच्चे का भी टीकाकरण करवाना था, लेकिन एटीएम में पैसा नहीं निकला है. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि हमेशा ही बैंक ऑफ बड़ौदा के एटीएम में पैसा नहीं होता है. इस के चक्कर में एक दो दूसरे एटीएम पर जाना होता है. दो तीन मशीनें हैं इसलिए राहत मिलती हैएसबीआई छावनी में पैसा निकलवाने पहुंचे सैमुअल्स का कहना है कि वे अक्सर इसी एटीएम में आता है, लेकिन आधे टाइम ही पैसे निकाल पाते हैं. हालांकि यहां पर दो से तीन मशीनें हैं. जिसके चलते एक मशीन बंद हो तो दूसरे से निकाल लेते हैं. कई बार लंबी कतारों का भी सामना करना पड़ता है.
एसबीआई का एटीएम नहीं कर रहा काम.
इमरजेंसी में परिचित को पैसे भेजने थे, नहीं हुआ ट्रांजैक्शनएटीएम से ही पैसा जमा करवाने पहुंचे रवि गौतम का कहना है कि उन्हें अपने परिचित को 10000 रुपए इमरजेंसी में भेजने थे, लेकिन अब वह पैसा एटीएम खराब होने के चलते नहीं भेज पा रहे हैं. दूसरे बैंक के एटीएम से पैसा नहीं जाता है. ऐसे में अपनी ही बैंक की अन्य एटीएम पर उन्हें जाना पड़ेगा, जो कि काफी दूर है.लोग नहीं करते शिकायतलीड बैंक मैनेजर केआर मीणा का कहना है कि उन्हें बीते 3 से 4 महीने में एटीएम बंद रहने और कैश विड्रॉल से संबंधित कोई शिकायत नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि हमें शिकायत कोई भी ग्राहक करेगा तो हम इस संबंध में बैंक से पूछताछ करेंगे, और उनके अधिकारियों को पत्र भी लिखेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि ग्राहक को तुरंत ही संबंधित बैंक के मैनेजर को इस बारे में अवगत कराना चाहिए है. वहीं अगर वह लिखित में भी उन्हें देगा तो समाधान जरूर होगा.

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