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SPECIAL: जेके लोन अस्पताल को जीवन रक्षक उपकरणों के लिए मिले थे करोड़ों रुपए...समय रहते नहीं हुई खरीद

कोटा के जेके लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत के मामले में नित नए खुलासे हो रहे हैं. हाड़ौती के 6 विधायकों ने डेढ़ करोड रुपए अस्पताल के लिए जारी किए थे. इसके अलावा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड ने भी 50 लाख रुपए स्वीकृत किए थे. इस राशि में से महज 70 लाख रुपए के उपकरणों की खरीद हुई है. अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रबंधन और व्यवस्थाओं को लेकर अस्पताल प्रशासन कितना संजीदा है. देखिये यह खास रिपोर्ट...

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कोटा के जेके लोन में प्रबंधन की लापरवाही

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Published : Dec 18, 2020, 8:50 PM IST

कोटा. जिले के जेके लोन अस्पताल का गुनहगार आखिर कौन है... इस सवाल के घेरे से शासन-प्रशासन कोई नहीं बच पा रहा है. जेके लोन अस्पताल में नवजात बच्चों की मौत का मामला देशभर की मीडिया का ध्यान खींच रहा है. अस्पताल प्रबंधन की लापरवाहियां भी रह-रहकर सामने आ रही हैं. अब यह तथ्य सामने आया है कि प्रबंधन के पास फंड की कमी हीं थी लेकिन सच यह है कि टेंडर में किसी फर्म के नहीं आने से जीवन रक्षक उपकरणों की खरीद नहीं की जा सकी थी. आरोप यह भी है कि डेढ़ करोड़ से ज्यादा का फंड प्रबंधन के पास पिछले सालभर से था लेकिन इस्तेमाल आधा ही किया गया.

जेके लोन अस्पताल में फेल हुआ प्रबंधन, पैसा था लेकिन नहीं खरीदे उपकरण

बीते साल भी जेके लोन अस्पताल को विधायक कोष से डेढ़ करोड़ रुपए मिले थे. साथ ही आईओसीएल के जरिए भी 50 लाख का बजट मिला था. लेकिन उनका अभी तक उपयोग नहीं किया गया जिसके चलते अस्पताल में व्यवस्थाएं पूरी नहीं हुई हैं. नवजात शिशु के उपचार के लिए जो जीवन रक्षक उपकरण खरीदे जाने थे, उनकी खरीद भी अधर में ही चल रही है. अस्पताल प्रबंधन दावा कर रहा है कि कुछ उपकरण खरीद लिए गए हैं, कुछ में टेंडर आमंत्रित किए थे, लेकिन कोरोना के चलते खरीद पूरी नहीं हो पाई है.

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ज्यादातर उपकरण खराब

अस्पताल में जो उपकरण हैं उनमें भी अधिकांश खराब रहते हैं. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उनके पास स्पेयर में हमेशा उपकरण रहते हैं. अस्पताल को जो बजट मिला था उसमें एक करोड़ रुपए यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने दिए थे. इसके अलावा भाजपा के 5 विधायकों जिनमें मदन दिलावर, संदीप शर्मा, कल्पना देवी, चंद्रकांता मेघवाल और अशोक डोगरा ने भी 10-10 लाख रुपए अपने-अपने कोष से स्वीकृत किए थे. इस राशि में से महज 70 लाख रुपए के उपकरणों की खरीद हुई है. जबकि राशि स्वीकृत हुए करीब 1 साल होने को है.

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सिविल वर्क भी अधरझूल में

अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ये है कि सिविल वर्क भी यहां अधरझूल ही है. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने एक करोड़ रुपए का बजट अपने विधायक कोष से जारी किया था. इसमें से 45 लाख रुपए सिविल वर्क के लिए थे. सिविल वर्क में मैन ऑपरेशन थिएटर, इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर के रिनोवेशन का कार्य था. अस्पताल में फ्लोर और दीवारों का भी रिनोवेशन होना था. साथ ही पुताई और रंगाई का कार्य भी इसमें शामिल था. इसके अलावा सीलन और सीपेज जो कुछ वार्डों में आ रही थी, वहां पर वाटर प्रूफिंग भी होनी थी. जननी सुरक्षा वार्ड में भी कार्य होने थे. वहीं 55 लाख रुपए के उपकरण खरीदने थे, जिनकी पूरी खरीद नहीं हुई है.

अस्पताल का सिविल वर्क भी पूरा नहीं कराया गया है

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इन उपकरणों की हुई खरीद

जेके लोन अस्पताल में बाईपर मशीन 13 खरीदी गई हैं. 2 बबलसीपेज मशीनें खरीदी गई हैं. पांच वेंटिलेटर खरीदे गए हैं. 4 मल्टी पैरामॉनिटर और 4 डेस्कटॉप कंप्यूटर खरीदे गए हैं। यह उपकरण करीब 70-80 लाख रुपए के हैं. जबकि बाकी की खरीद अभी नहीं हुई है.

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इन जीवन रक्षक उपकरणों की दरकार

अस्पताल के लिए 20 रेडिएंट वार्मर की खरीद होनी है. जिनका पैसा आईओसीएल से आ चुका है. 8 मल्टीप्ल रॉमॉनिटर की खरीद होनी है. इसके अलावा सिरिंज इन्फ्यूजन पंप, स्पायरोमीटर, बिलरूबिनो मीटर, बबल सीपेप मशीन, ओफ्थोमलोस्कोप, फ्रिज एलईडी प्रेजेंटर न्यूबॉर्न वेट मशीन, नियोनेट इनक्यूबेशन हेड, मैनिकन (डमी) छह खरीदनी है. प्रबंधन बार-बार दावे कर रहा है कि उन्होंने टेंडर जारी कर दिए थे, लेकिन कोई भी फर्म ने टेंडर में पार्टिसिपेट नहीं किया इसके चलते खरीद अभी भी लटकी हुई है. अब दोबारा टेंडर जारी किए जा रहे हैं.

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500 में से 117 उपकरण खराब

जेके लोन अस्पताल में शिशु रोग विभाग के अधीन 500 से ज्यादा उपकरण हैं. इनमें से 117 उपकरण खराब स्थिति में हैं जिनका उपयोग नहीं हो पा रहा है. जबकि अन्य उपकरण भी खराब जैसी स्थिति में हैं. हालांकि अस्पताल प्रबंधन हमेशा दावा करता है कि उनके पास स्पेयर में काफी संख्या में उपकरण हैं.

भाजपा का दावा था 75 वेंटिलेटर जेकेलोन भेजे थे

जेके लोन अस्पताल में बीते दिनों दौरा करने आए भाजपा के प्रतिनिधिमंडल में शामिल रामगंजमंडी के विधायक मदन दिलावर ने दावा किया था कि 75 वेंटिलेटर केंद्र सरकार ने भेजे थे. लेकिन उनका उपयोग नहीं किया गया है. केवल 10 को ही उपयोग में लिया गया है. 65 वेंटिलेटर जेके लोन अस्पताल में बंद ही पड़े हैं. इसके चलते ही नवजातों की मौत हुई हैं. लेकिन जब ईटीवी भारत ने पड़ताल की तो सामने आया कि महज पांच वेंटिलेटर ही जेके लोन अस्पताल में बीते 5 साल में आए हैं. इनमें दो आईओसीएल की तरफ से सीएसआर फंड में थे. जबकि तीन वेंटिलेटर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के विधायक कोष से आए थे. साथ ही केंद्र सरकार की ओर से पीएम केयर्स फंड के जरिए भेजे गए वेंटीलेटर मेडिकल कॉलेज में आए थे. जहां से चार वेंटिलेटर जेके लोन अस्पताल में अलग है. जिनका उपयोग भी किया जा रहा है.

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