कोटा.हाड़ौती के लगभग सभी नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे से लेकर मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड पर भी मवेशियों का कब्जा वर्तमान समय में है. बारिश के सीजन में मवेशी गांव में कीचड़ होने के चलते सूखी सड़कों पर आकर बैठ जाते हैं, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है. वर्तमान समय में मवेशी जनित हादसे बढ़ गए हैं. वाहन चालक कोटा संभाग में अधिकांश नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे पर टोल चुका कर ही गुजर रहे हैं. यहां तक की रिडकोर के 2 मेगा हाईवे भी बनाए गए हैं, वहां भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं.
टोल पर 1 करोड़ से ज्यादा की वसूली :हाड़ौती के नेशनल हाईवे के करीब 12 टोल हैं. इसके अलावा स्टेट, मेगा हाईवे और मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड के साथ अन्य मार्गों पर भी 40 से ज्यादा टोल प्लाजा बने हुए हैं. इनमें टोल वसूली के साथ सड़क हादसा रहित रहने की भी जिम्मेदारी होती है, लेकिन ऐसा किसी भी हाईवे पर होता नजर नहीं आ रहा है. इन सभी टोल प्लाजा से 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की वसूली केंद्र और राज्य सरकार कर रही है. इसके बावजूद भी मवेशियों को हटाने का फुलप्रूफ प्लान नहीं है.
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गांव के नजदीक ज्यादा हादसे :नेशनल हाईवे और अन्य राजमार्ग पर पशुओं की समस्या समान ही है. इसके कारण ज्यादातर हादसे गांव के नजदीक हो रहे हैं. शाम 7 बजे के आसपास पशु हाईवे पर जुटने लग जाते हैं, देर रात तक बड़ी संख्या में मवेशी यहीं डेरा डाल लेते हैं. इनके सड़कों पर आने का एक कारण खेतों में तारबंदी होना है. यह मवेशी किसानों के फसल को भी खराब करते हैं, इसलिए वे इन्हें गांव से भगा देते हैं. इनमें से ज्यादातर मवेशी वो हैं, जिनका कोई मालिक नहीं है. इनमें ज्यादातर बैल शामिल हैं.
टोल रोड पर संवेदक की जिम्मेदारी :सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता राजेश कुमार सोनी का कहना है कि मवेशियों का सड़क पर आने का कारण गांव के अंदर पूरी साफ सफाई नहीं रहना भी है. लोग इन मवेशियों को सड़कों पर ही छोड़ देते हैं. सड़क साफ-सुथरी रहने के चलते मवेशी यहां आकर बैठ जाते हैं, जो कई बार दुर्घटना का कारण बनता है. टोल रोड या नेशनल हाईवे होने पर संवेदक पेट्रोलिंग के जरिए इन्हें हटाने का प्रयास करते हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन को भी प्रयास करने चाहिए. जो सड़कें टोल रोड नहीं होतीं, वहां पर तो पशुओं को हटाना मुश्किल है, क्योंकि वहां पर कोई स्टाफ नहीं होते हैं. इसको लेकर कोई प्रोविजन भी नहीं है.
दो दर्जन मवेशियों की गई जान :बारां जिले के अंता, फतेहपुर, कोटा जिले के जगपुरा और आलनिया, बोराबस और बूंदी के देईखेड़ा में बड़ी संख्या में मवेशियों के चलते दुर्घटनाएं हुई हैं. इनमें दो दर्जन से ज्यादा मवेशियों की मौत हो चुकी है. रात के समय यह मवेशी वाहन चालकों को नजर नहीं आते हैं. कई बार मवेशी मोड़ पर भी आकर बैठे हुए रहते हैं, ऐसे में जब तक वाहन चालक को मवेशी दिखते हैं, तब तक देर हो चुकी होती है. गति तेज होने के चलते वाहन पर कंट्रोल नहीं रहता और मवेशी हादसे का शिकार हो जाते हैं.
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एसपी ने माना- हो रही पशुओं से समस्या :कोटा ग्रामीण एसपी कावेंद्र सिंह सागर का कहना है कि बहुत सारे पशु हाईवे पर बैठे रहते हैं, जिसकी वजह से वाहन चालकों को समस्या हो रही है. थाने का स्टाफ पशुओं के सींगों पर रिफ्लेक्टर लगा रहे हैं, ताकि वो दूर से दिख सकें. नेशनल हाईवे और अन्य एजेंसियों से कोआर्डिनेशन करके कोशिश कर रहे हैं कि समस्या का समाधान हो. पीडब्ल्यूडी के एनएच के अधिकारी से भी बुलाकर बातचीत और विस्तृत चर्चा की है.