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हाईवे बना मवेशियों का 'अड्डा', टोल चुकाने के बाद भी खतरें में वाहन चालक...दुर्घटनाओं में गंवा रहे जान - Rajasthan Hindi news

हाड़ौती संभाग के हाईवे मवेशियों का अड्डा बनते जा रहे हैं. हाईवे पर मवेशियों के कारण कई हादसे हो रहे हैं. कई बार मवेशियों की जान जाती है, तो कई बार आम जन हादसे का शिकार हो रहे हैं. पढ़िए NHAI और पुलिस प्रशासन की ओर इनको लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं...

Cattles on Highway
Cattles on Highway

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Published : Aug 2, 2023, 6:00 PM IST

टोल चुकाने के बाद भी खतरें में वाहन चालक.

कोटा.हाड़ौती के लगभग सभी नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे से लेकर मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड पर भी मवेशियों का कब्जा वर्तमान समय में है. बारिश के सीजन में मवेशी गांव में कीचड़ होने के चलते सूखी सड़कों पर आकर बैठ जाते हैं, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है. वर्तमान समय में मवेशी जनित हादसे बढ़ गए हैं. वाहन चालक कोटा संभाग में अधिकांश नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे पर टोल चुका कर ही गुजर रहे हैं. यहां तक की रिडकोर के 2 मेगा हाईवे भी बनाए गए हैं, वहां भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं.

टोल पर 1 करोड़ से ज्यादा की वसूली :हाड़ौती के नेशनल हाईवे के करीब 12 टोल हैं. इसके अलावा स्टेट, मेगा हाईवे और मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड के साथ अन्य मार्गों पर भी 40 से ज्यादा टोल प्लाजा बने हुए हैं. इनमें टोल वसूली के साथ सड़क हादसा रहित रहने की भी जिम्मेदारी होती है, लेकिन ऐसा किसी भी हाईवे पर होता नजर नहीं आ रहा है. इन सभी टोल प्लाजा से 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की वसूली केंद्र और राज्य सरकार कर रही है. इसके बावजूद भी मवेशियों को हटाने का फुलप्रूफ प्लान नहीं है.

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गांव के नजदीक ज्यादा हादसे :नेशनल हाईवे और अन्य राजमार्ग पर पशुओं की समस्या समान ही है. इसके कारण ज्यादातर हादसे गांव के नजदीक हो रहे हैं. शाम 7 बजे के आसपास पशु हाईवे पर जुटने लग जाते हैं, देर रात तक बड़ी संख्या में मवेशी यहीं डेरा डाल लेते हैं. इनके सड़कों पर आने का एक कारण खेतों में तारबंदी होना है. यह मवेशी किसानों के फसल को भी खराब करते हैं, इसलिए वे इन्हें गांव से भगा देते हैं. इनमें से ज्यादातर मवेशी वो हैं, जिनका कोई मालिक नहीं है. इनमें ज्यादातर बैल शामिल हैं.

दो दर्जन मवेशियों की गई जान

टोल रोड पर संवेदक की जिम्मेदारी :सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता राजेश कुमार सोनी का कहना है कि मवेशियों का सड़क पर आने का कारण गांव के अंदर पूरी साफ सफाई नहीं रहना भी है. लोग इन मवेशियों को सड़कों पर ही छोड़ देते हैं. सड़क साफ-सुथरी रहने के चलते मवेशी यहां आकर बैठ जाते हैं, जो कई बार दुर्घटना का कारण बनता है. टोल रोड या नेशनल हाईवे होने पर संवेदक पेट्रोलिंग के जरिए इन्हें हटाने का प्रयास करते हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन को भी प्रयास करने चाहिए. जो सड़कें टोल रोड नहीं होतीं, वहां पर तो पशुओं को हटाना मुश्किल है, क्योंकि वहां पर कोई स्टाफ नहीं होते हैं. इसको लेकर कोई प्रोविजन भी नहीं है.

दो दर्जन मवेशियों की गई जान :बारां जिले के अंता, फतेहपुर, कोटा जिले के जगपुरा और आलनिया, बोराबस और बूंदी के देईखेड़ा में बड़ी संख्या में मवेशियों के चलते दुर्घटनाएं हुई हैं. इनमें दो दर्जन से ज्यादा मवेशियों की मौत हो चुकी है. रात के समय यह मवेशी वाहन चालकों को नजर नहीं आते हैं. कई बार मवेशी मोड़ पर भी आकर बैठे हुए रहते हैं, ऐसे में जब तक वाहन चालक को मवेशी दिखते हैं, तब तक देर हो चुकी होती है. गति तेज होने के चलते वाहन पर कंट्रोल नहीं रहता और मवेशी हादसे का शिकार हो जाते हैं.

कई बार मवेशी और आम जन होते हैं हादसे का शिकार

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एसपी ने माना- हो रही पशुओं से समस्या :कोटा ग्रामीण एसपी कावेंद्र सिंह सागर का कहना है कि बहुत सारे पशु हाईवे पर बैठे रहते हैं, जिसकी वजह से वाहन चालकों को समस्या हो रही है. थाने का स्टाफ पशुओं के सींगों पर रिफ्लेक्टर लगा रहे हैं, ताकि वो दूर से दिख सकें. नेशनल हाईवे और अन्य एजेंसियों से कोआर्डिनेशन करके कोशिश कर रहे हैं कि समस्या का समाधान हो. पीडब्ल्यूडी के एनएच के अधिकारी से भी बुलाकर बातचीत और विस्तृत चर्चा की है.

एनएचएआई ने भी किए प्रयास :वर्तमान में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के टोल संचालकों ने भी कुछ प्रयास पशुओं को हटाने के लिए किए हैं. किशोरपुरा टोल नाका बूंदी की तरफ से कुछ शिफ्ट में स्टाफ लगाया है, जो कई बार रास्ता क्लियर करवाते हैं. इसके अलावा रेडियम स्टीकर लगाने का काम भी किया जा रहा है, लेकिन यह सब कुछ ना काफी है. स्टाफ पर्याप्त मात्रा में नहीं होता है, साथ ही मवेशी भी रात या शाम के समय ही आकर जमते हैं. उस समय पशुओं के सींगों पर रेडियम लगाना भी संभव नहीं हो पा रहा है.

हाईवे पर मवेशियों की चहलकदमी

केस 01: सड़क पर बैठी भैंसे नहीं दिखी, बमुश्किल बची जान
कोटा के बोराबास इलाके में एक कार सड़क पर बैठी हुई भैंसों से टकरा गई थी. इसके चलते तीन भैंसों की मौत हो गई. गनीमत रही कि कार के एयरबैग खुल गए, जिसके चलते कार सवार सीआरपीएफ का जवान और अन्य बच गए. हादसे में कार पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी. पुलिस के अनुसार यह घटना सुबह 4 बजे हुई थी, जब पूरी तरह से अंधेरा था और वाहन चालक को भैंस नजर नहीं आई थी.

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केस 02 : डंपर ने कुचली चार गाय
बारां जिले के अंता में नेशनल हाईवे 27 पर 1 अगस्त की देर रात को कोटा से बारां की तरफ जा रहे एक डम्पर ने 4 गायों को मौत के घाट उतार दिया. डंपर चालक के अनुसार अचानक से सामने 4 गाय नजर आई, वह ब्रेक लगाता इसके पहले ही हादसा हो गया. चालक ने उन्हें बचाने का प्रयास किया, जिसमें वह डिवाइडर से टकराकर दूसरी तरफ चला गया. गनीमत रही कि दूसरी लेन में कोई वाहन सामने से नहीं आ रहा था, अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था. मौके पर पहुंची पुलिस ने मृत गायों को सड़क से हटवाया.

इन जगहों पर हो रहे हादसे
1. नेशनल हाईवे 52 : बूंदी टनल के पास, हिंडौली, तलाब गांव, तालेड़ा, पेंच की बावड़ी, रामगंजबालाजी, जगपुरा, आलनिया, कसार, मंडाना, दरा, सुकेत, कालीसिंध, अकतासा, असनावर, मिश्रोली और बल्लोप में खतरा.

2. नेशनल हाईवे 27 : कोटा बाईपास पर कोटा यूनिवर्सिटी के पीछे, कैथून रोड के नजदीक, हाथीखेड़ा, जगन्नाथपुरा, ताथेड, पोलाई, सीमलिया, गड़ेपान, पलायथा, बमुलिया, फतेहपुर, समसपुर, किशनगंज, रामपुरिया और समरानिया में खतरा.

3. मेगा हाईवे कोटा से लालसोट पर गुडली, अरनेठा, कापरेन बाईपास, लबान, इंद्रगढ़ में खतरा.

4. झालावाड़-बारां मेगा हाईवे पर गोलाना, सुमर, मोईकलां, खानपुर, बपावर, बामला, धौलाकुआं और कलमंडा में खतरा.

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