नर्सिंग कर्मियों की नेक पहल कोटा. नव वर्ष के अवसर पर कोटा के जेके लोन और एमबीएस अस्पताल के नर्सिंग कर्मियों ने अनूठा आयोजन किया, जिसके तहत उन्होंने अपनी एक संस्था के जरिए पैसे एकत्रित किए और 4000 से ज्यादा मरीज व तीमारदारों को भोजन करवाया. यह आयोजन जे के लोन अस्पताल परिसर की पार्किंग में किया गया. सभी नर्सिंग कर्मियों ने मरीजों को अपने हाथों से भोजन परोसा. यहां तक की इन सभी मरीजों के लिए भोजन बनवाने की जिम्मेदारी भी नर्सिंग कर्मियों ने उठाई और पूरी रात भोजन बनवाने में जुटे रहे.
सैलरी में से दे रहे हैं कुछ हिस्सा : आयोजन को करने वाली ह्यूमिनिटी हेल्पिंग हैंड टीम के संरक्षक और नर्सिंग ऑफिसर दीपक शर्मा का कहना है कि उनके सभी नर्सिंग साथियों ने इसमें राशि जुटाई है. इसके लिए सभी नर्सिंग कर्मी अपनी सैलरी में से कुछ हिस्सा हर महीने जमा करते हैं. इस राशि के जरिए ही सेवा कार्य में नर्सिंग कर्मी जुट जाते हैं. 1 साल से इस तरह के आयोजन कर रहे हैं, जिसमें गरीब, असहाय और दिव्यांग बच्चों की मदद करते हैं. इसी के क्रम में उन्होंने नए साल के अवसर पर अस्पताल के मरीज और तीमारदारों के लिए भोजन की व्यवस्था की. यह आयोजन भी उनके इस ह्यूमिनिटी हेल्पिंग हैंड टीम के 1 साल होने पर किया गया है.
इसे भी पढ़ें-नर्सिंग कर्मियों का पहला कर्तव्य हर परिस्थिति में सेवा करना है- ललित गुर्जर
मरीज के परिजनों से की अपील : दीपक शर्मा ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में सभी तरह के उपचार की सुविधा है, ऐसे में मरीज यहां पर ही उपचार कराने के लिए आएं. उन्होंने कहा कि यहां पर हर तरह की नई और अत्याधुनिक मशीनरी उपलब्ध है, जिनके जरिए मरीज का उपचार किया जाता है. अस्पताल में नई बिल्डिंग है और उच्च स्तरीय आईसीयू और ऑपरेशन थिएटर है. यहां तक की मेडिकल कॉलेज में अच्छे प्रशिक्षित चिकित्सक और नर्सिंग कर्मी भी मरीज की सेवा में जुटते हैं.
नर्सिंग कर्मियों को बताया अस्पताल की बैकबोन :आयोजन में शरीक होने के लिए मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संगीता सक्सेना व सीएमएचओ डॉ. जगदीश सोनी सहित कई चिकित्सक पहुंचे. जिन्होंने भी मरीज और तीमारदारों को भोजन परोसा. सभी ने नर्सिंग अधिकारियों के तरफ से किए गए इस आयोजन की सराहना की. शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अमृता मयंगर ने कहा कि नव वर्ष के अवसर पर यह पुनीत कार्य नर्सिंग कर्मियों ने किया है. यह नर्सिंग कर्मी अस्पताल की बैकबोन होते हैं और उनकी मदद के चलते ही अस्पताल में मरीजों की मदद चिकित्सक कर पाते हैं.