कोटा.आईआईटी मुंबई से पासआउट दो दोस्त अभय सिंह और अमित कुमार ने मिलकर (IIT Bombay Pass Out Friends) कोटा संभाग के साथ देश के कई हिस्सों में हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती शुरू की है. जिसमें उन्होंने ग्रोइंग चेंबर बनाकर उसके जरिए खेती करना शुरू किया है, जिसमें करोड़ों रुपये का इन्वेस्ट लोगों को साथ लेकर इन्होंने किया है. यहां होने वाले प्रोडक्शन को यह बाहर कई शहरों में सप्लाई भी कर रहे हैं, लेकिन वर्तमान में इनके इनडोर फार्मिंग के तहत केवल टमाटर की चार से पांच अलग-अलग वैरायटी का उत्पादन हो रहा है.
इन्होंने इक्की फूड नाम से अपनी एक कंपनी भी खोली है, जिसके जरिए ही माल सप्लाई कर रहे हैं. अभय सिंह इस कंपनी के सीईओ हैं और वे चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा के रहने वाले हैं. वर्तमान में कोटा ही रहते हैं. वहीं, कंपनी के सीओओ अमित कुमार गंगानगर के रहने वाले हैं. दोनों ने साल 2014 में आईआईटी मुंबई से मैटेरियल साइंस में बीटेक पास किया है. इसके बाद (Unique Farming Technique in Kota) उन्होंने कुछ कंपनियों में जॉब की और साल 2018 में यह स्टार्टअप शुरू किया है. इन्होंने कोटा के ही रंगपुर इलाके में एक इनडोर फर्म तैयार किया था. हालांकि, अब उसे हटाकर इन्होंने दूसरी जगह पर फर्मिंग शुरू की है.
बंजर जमीन को बनाया जा सकता है उपजाऊ : हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट के असिस्टेंट डायरेक्टर राजवीर सिंह का मानना है कि इस तकनीक से बंजर भूमि या फिर काम नहीं आ रही जमीन को (Organic Farming by IITian Friends) उपजाऊ बनाया जा सकता है. छतों पर इस तरह के फर्म को स्थापित किया जा सकता है. इससे टेंपरेचर भी मेंटेन हो सकता है. जिस तरह से शहरों में कंक्रीट का जाल सब जगह बन गया है, ऐसे में छतों पर अगर इस तरह से बनस्पति उगाया जा सकता है तो शहर के माइक्रोक्लाइमेट को सुधारने का यह प्रयास होगा. इससे वातावरण में नमी और ठंडक बढ़ जाएगी व ऑक्सीजन का लेवल भी बढ़ेगा.
मिट्टी से हो रहे उत्पादन से तुलनात्मक अध्ययन जरूरी : असिस्टेंट डायरेक्टर राजवीर सिंह का कहना है कि कृषि के बढ़ते विस्तार और नए प्रयोगों के चलते ही इस तरह की खेती अब शुरू हुई है. इस तकनीक के जरिए इनका उत्पादन उसी स्तर पर आ जाए कि मिट्टी में होने वाली खेती के बराबर इसमें फायदा हो जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि अभी इस तकनीक का शुरुआती दौर चल रहा है और इस पर कई शोध भी हो रहे हैं. हालांकि, अभी उत्पादन कितना हो रहा है और इससे फायदा हो रहा है नहीं यह नहीं देखा जा सका है. ऐसे में जब इस तकनीक में यह दोनों बातें शामिल हो जाएगी. जिसके बाद आम आदमी इस तकनीक को अपना लेगा, तब जाकर ही कुछ अधिकारिक रूप से कह पाने की स्थिति होगी. अभी तो इस फसल में उत्पादन हो रहा है और फसल भी अच्छी लग रही है.
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ऑटोमेशन डिवाइस से टेंपरेचर मेंटेन : अभय सिंह के अनुसार पूरे फर्म को उन्होंने पॉली शीट से कवर किया हुआ है. इसके बाद नमी को बरकरार रखा जा रहा है. बैक्टीरिया, कीट व पतंगों से भी फ्री रखने के लिए व्यवस्था की हुई है. साथ ही अंदर के तापमान को मेंटेन रखने के लिए एग्जॉस्ट फैन लगाए हुए हैं. कूलिंग पैड भी में लगे हुए हैं, ताकि गर्मी ज्यादा होने पर कूलिंग पैड का उपयोग कर तापमान को मैनेज किया जा सके. इस पूरे फर्म में उन्होंने ऑटोमेशन डिवाइस लगाई हुई है, ताकि पेड़ पौधे को कितना तापमान चाहिए, उसका अंदाजा लग जाता है. उसके अनुसार ही एग्जॉस्ट इस पूरे इनडोर फर्म में शुरू हो जाता है.