5 साल बाद खुलेगा हाईवे का फ्लाईओवर ! कोटा.नेशनल हाईवे 27 से 52 को अलग करने के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने नांता इलाके में एक फ्लाईओवर बनाया था. हालांकि, सेना की आपत्ति के कारण ये फ्लाईओवर बीते 5 सालों से बंद पड़ा हुआ है. आर्मी और एनएचएआई के रार की वजह से यह फ्लाईओवर किसी काम नहीं आ रहा है. इसके चलते फ्लाईओवर के नीचे एक्सीडेंटल स्पॉट बन गया है. हजारों की संख्या में वाहनों के क्रॉस करने के चलते फ्लाईओवर के नीचे जाम जैसे हालात बन जाते हैं.
पत्थर, मलबा और कांटे बिछाकर फ्लाईओवर बंद किया निर्माण पूरा होने पर आर्मी ने जताई आपत्ति :एनएचएआई ने साल 2017 में करीब 50 करोड़ से इसका काम शुरू किया था, लेकिन सेना ने तब आपत्ति नहीं जताई. जब यह काम साल 2018 में पूरा हो गया और इस फ्लाईओवर पर ट्रैफिक शुरू होना था तब सेना ने आपत्ति जता दी. सेना के जवानों ने फ्लाईओवर पर पत्थर, मलबा और कांटे बिछा दिए, ताकि आवागमन न हो सके. आर्मी का दावा है कि इस फ्लाईओवर के एक तरफ उनका कैंप और दूसरी तरफ फायरिंग रेंज हैं. ऐसे में फ्लाईओवर से दोनों तरफ साफ दिखता है, जो सुरक्षा के नजरिए से ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि बाहरी तत्व इस फ्लाईओवर से वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी कर सकते हैं.
पढ़ें. Special: राजस्थान के पहले रोटरी फ्लाईओवर पर चढ़ने से कतरा रहे लोग, दावे से उलट है हकीकत
इसलिए दोनों हाईवे हो रहे हैं एक :झालावाड़ और बारां की तरफ से आने वाले वाहनों की कोटा शहर में एंट्री नहीं है. ऐसे में यह सारे वाहन एनएच 27 पर बने हैंगिंग ब्रिज से होते हुए गुजरते हैं. जिन वाहनों को जयपुर जाना है, वह नांता इलाके में एनएच 52 पर शिफ्ट हो जाते हैं. इसी तरह से झालावाड़ की तरफ से आने वाले वाहन भी कोटा शहर के अनंतपुरा इलाके में एनएच 27 पर चढ़ जाते हैं.
इन कारणों से बंद था फ्लाईओवर दुर्घटना का केंद्र बन गया फ्लाईओवर के नीचे का रास्ता :फ्लाईओवर के नीचे कोटा की तरफ से जाने वाले वाहन जब जयपुर रोड पर जाते हैं, तब उन्हें चित्तौड़गढ़ की तरफ से आने वाले वाहनों की लेन को क्रॉस करना पड़ता है. इस कारण ये रास्ता एक्सीडेंटल स्पॉट बना हुआ है. यहां पर बीते सालों में बड़ी संख्या में एक्सीडेंट हुए हैं. हाल ही में अजमेर की तरफ से कोटा जिले के सुल्तानपुर जा रही एक बस की ट्रक से टक्कर हो गई थी. इसमें एक दर्जन के आसपास लोग घायल हुए थे.
पढ़ें. कोटा में हाईवे पर NHAI ने बनाया करोड़ों का फ्लाईओवर...आर्मी की आपत्ति के कारण ढाई साल से बंद
मंत्रालय स्तर पर जाकर हुआ निर्णय :इस मुद्दे पर आर्मी के स्थानीय अधिकारियों और एनएचएआई की कई बार बैठक हुई, लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका. इसके चलते यह मामला लंबित चलता रहा था. बाद में एनएचएआई के पीआईयू कोटा प्रोजेक्ट डायरेक्टर जेपी गुप्ता ने इसे उच्च स्तर पर समाधान के लिए बातचीत की. इसमें कुछ सुझाव भी आर्मी को भेजे थे. इसके बाद एनएचएआई और आर्मी के मंत्रालय स्तर तक भी बातचीत पहुंची, तब निर्णय हुआ कि फ्लाईओवर को पूरी तरह से ढक दिया जाए. इसके अलावा आर्मी के वाहनों को निकलने के लिए एक सर्विस लेन दी जाए और आर्मी की बाउंड्री को पूरी तरह से फेंसिंग की जाए.
इन शर्तों के बाद खुलेगा फ्लाईओवर ऐसे में फ्लाईओवर के क्रश बैरियर पर :इस काम को कर रही कंपनी एरकॉम के साइट इंजीनियर गिरिराज सिंह पंवार का कहना है कि 860 मीटर की फ्लिपलर्न बनाई जा रही है. यह करीब 7 मीटर चौड़ी है, जिसमें पेव्ड शोल्डर भी बनाया जा रहा है. इसके साथ ही आर्मी की भूमि को पैक करने के लिए फेंसिंग भी की जा रही है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में बना हुआ फ्लाईओवर 880 मीटर का है. इस पर दोनों तरफ करीब क्रश बैरियर के ऊपर 5.5 फीट की लोहे की शीट लगाई जाएगी, ताकि कोई भी व्यक्ति ऊपर से नीचे नहीं देख सके. यह काम करीब 3 करोड़ की लागत से शुरू किया गया है, इसे डेढ़ महीने में पूरा करने का समय हमें मिला है.
3 करोड़ की लागत से शुरू किया गया काम