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गैलंट्री पाने वाली विंग कमांडर दीपिका की कहानी, जेडीबी की एयर एनसीसी और बेंगलुरु एयर शो ने बदला मन

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Published : Apr 22, 2023, 3:21 PM IST

विंग कमांडर और एयरफोर्स में गैलंट्री अवॉर्ड पाने वाली दीपिका मिश्रा (Wing Commander Deepika Misra) पहली महिला अधिकारी हैं. दीपिका ने शुरुआत में इस फील्ड से जुड़ने का कभी नहीं सोचा था, लेकिन एयर एनसीसी उनके जीवन के लिए टर्निंग प्वाइंट बनकर आया. आइए जानते हैं दीपिका के पायलट बनने से लेकर गैलंट्री अवार्ड विनर बनने तक का सफर...

story of Wing Commander Deepika Misra
story of Wing Commander Deepika Misra

कोटा.एयरफोर्स में पहली गैलंट्री अवॉर्ड पाने वाली महिला का रिकॉर्ड बनाने वाली दीपिका मिश्रा कोटा की रहने वाली हैं. दीपिका बचपन से ही एक सामान्य लड़की थीं. अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद साइंस विषय में ही करियर बनाना चाहती थीं. इसी के चलते उन्होंने मैथमेटिक्स में बीएससी करने का निर्णय लिया और कोटा के ही जानकी देवी बजाज राजकीय कन्या महाविद्यालय में प्रवेश ले लिया. जेडीबी कॉलेज में ही एयर एनसीसी में उनका चयन हो गया. यह एयर एनसीसी उनको एक ऊंची उड़ान के लिए ले जाने वाली है, यह किसी को नहीं पता था.

दीपिका ने एयर एनसीसी में कोटा में माइक्रोलाइट प्लेन उड़ाया. इसके बाद उनके मन में पायलट बनने की इच्छा जगी. परिवार ने भी साथ दिया और वह हेलीकॉप्टर पायलट के लिए चयनित हुईं. इसके बाद विंग कमांडर बन गई. दीपिका एयरफोर्स की पहली महिला अधिकारी बनी थीं. साथ ही वो पहली एयरफोर्स की महिला अधिकारी है, जिन्हें गैलंट्री अवॉर्ड मिला है. दीपिका के पिता सुनील दत्त मिश्रा का कहना है कि दीपिका को गैलंट्री अवॉर्ड मिलना और एयरफोर्स की पहली महिला अधिकारी बनना हमारे परिवार ही नहीं पूरे कोटा के लिए गर्व की बात है.

माता-पिता के साथ विंग कमांडर दीपिका मिश्रा.

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पति भी हैं विंग कमांडर :दीपिका के पिता सुनील दत्त का कहना है कि उनका पूरा परिवार ही कोटा रहता है. उनके पिता रेलवे में ड्राफ्टमैन के पद पर कार्यरत थे. वो खुद मोडक सीमेंट फैक्ट्री से मैनेजर पद से 2017 में सेवानिवृत्त हुए और दीपिका की मां मंजू मिश्रा ग्रहणी हैं. उनके छोटे भाई समीर मिश्रा सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और वर्तमान में कनाडा में ही सेटल्ड हैं. उनके पति सौरभ कक्कड़ भी विंग कमांडर हैं. दीपिका की 12 साल की बेटी आल्या और 6 साल का बेटा आदविक है. वर्तमान में वो यूपी में ही पोस्टेड हैं. दीपिका 2006 में पायलट बन गई थीं. साल 2015 में उन्हें सारंग में शामिल किया गया था. वे सारंग में शामिल होने वाली पहली महिला थीं. उनके पिता का कहना है कि यह फील्ड ही देश सेवा व जज्बे का है.

दीपिका की बचपन की तस्वीर

कोटा के आसमान में उड़ाती थी माइक्रोलाइट :एयर एनसीसी दीपिका के जीवन में टर्निंग प्वाइंट बनकर आया था. पिता सुनील दत्त मिश्रा कहते हैं कि एयर एनसीसी के दौरान कोटा के एरोड्रम पर दीपिका माइक्रोलाइट उड़ाती थी. परिवार ने दीपिका को पूरा सपोर्ट किया था साल 2004 में वह बेंगलुरु एयर शो में बतौर एयर एनसीसी कैडेट गई, जहां पर उनका कैंप हुआ. वहां भी जब दीपिका ने माइक्रोलाइट उड़ाया तो सभी लोग प्रभावित हुए और दीपिका को अवार्ड भी मिला. इसके बाद उनके बड़े भाई और आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल से रिटायर हुए ज्ञानेंद्र मिश्रा ने दीपिका से एयरफोर्स ज्वाइन करने के लिए कहा. इसके बाद दीपिका ने यह फॉर्म भरा साल 2005 में उसका चयन और मेडिकल के बाद 2006 में पायलट के लिए जॉइनिंग मिल गई.

ग्रुप के साथ दीपिका

बचपन से ही सेवा कार्यों में थी रुचि :दीपिका के पिता का कहना है कि वो सेवाकार्यों में हमेशा आगे रही है. स्कूल-कॉलेज की हर एक्टिविटी में भी पार्टिसिपेट करती थी. बचपन से ही उसकी हॉबी पेंटिंग और डांसिंग रही है. घर में कई सारी पेंटिंग हैं, जो दीपिका ने बनाई है. इसके अलावा हर कंपटिशन में वो भाग लेकर अवार्ड जीतती थी.

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