कोटा.शहर के बाहरी सीमा से गुजर रहे नेशनल हाईवे 27 के कोटा बाईपास पर हैंगिंग ब्रिज का निर्माण साल 2017 में हुआ था. उसी समय से इस पर से गुजरने वाले वाहनों से टोल की वसूली भी शुरू हो गई थी. यहां पर बीते 6 साल से टोल वसूली जा रही है. आंकड़ों के अनुसार निर्माण लागत का 90 फीसदी से ज्यादा की टोल वसूली हो गई है. हैंगिंग ब्रिज का निर्माण साल 2017 में पूरा हुआ था. उसके निर्माण लागत 214 करोड़ के आसपास थी. जबकि टोल की वसूली भी साल 2017 से ही हो रही है. अब तक करीब टोल से 195 करोड़ रुपए की वसूली हो चुकी है.
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट कोटा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और जनरल मैनेजर जगदीश गुप्ता का कहना है कि कोटा केबल स्टैड ब्रिज यानी हैंगिंग ब्रिज के साथ कोटा बाईपास का भी निर्माण किया गया था. ऐसे में कोटा बाईपास का टोल भी इसी में वसूला जाता है. साथ ही उनका कहना है कि टोल वसूली का निर्णय मंत्रालय स्तर पर ही तय होता है. एनएचएआई के निर्माण की लागत टोल से ही निकलती है. निर्माण पूरी होने के बाद बाद ही टोल की वसूली शुरू होती है. जबकि निर्माण में लगी राशि का व्यय एनएचएआई पहले कर चुका होता है. इसका ब्याज भी एनएचआई को देना होता है.
कोटा आरटीओ में रजिस्टर्ड निजी वाहन है फ्री :कोटा शहर की सीमा से ही यह हैंगिंग ब्रिज लगा हुआ है. इस हैंगिंग ब्रिज के दूसरे छोर पर कोटा शहर बसा हुआ है. ऐसे में नेशनल हाइवे से होकर कई वाहन कोटा शहर के एक छोर से दूसरे छोर पर जाते हैं. इसके चलते ही स्थानीय नागरिकों से इस हैंगिंग ब्रिज पर टोल की वसूली का विरोध हुआ था. उसके बाद लोकसभा स्पीकर और कोटा सांसद ओम बिरला ने एनएचएआई के अधिकारियों से बातचीत कर कोटा के नागरिकों को राहत दिलाई थी. उसके बाद से कोटा आरटीओ में रजिस्टर्ड निजी वाहन स्वामियों से हैंगिंग ब्रिज टोल नाके पर टोल की वसूली नहीं होती है.