कोटा. हाड़ौती संभाग में 40 केंद्रों पर उड़द और सोयाबीन की फसल की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है, लेकिन एक भी किसान अपनी फसल को बेचने नहीं आया है. यहां तक कि रजिस्ट्रेशन में भी किसानों ने रूचि नहीं दिखाई है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि मंडी में ही उनकी फसल को MSP से ज्यादा दाम मिल रहे हैं.
न्यूनतम समर्थन (Minimum Support Price) मूल्य पर खरीद के लिए लगातार किसान मांग उठाते रहे हैं और समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए भी हर बार मारामारी होती है. जब इस बार उड़द और सोयाबीन की फसल की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है तो एक भी किसान अपनी फसल को बेचने नहीं आया है. यहां तक कि रजिस्ट्रेशन में भी किसानों ने रूचि नहीं दिखाई है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि जहां मंडी में ही उनकी फसल को एमएसपी से ज्यादा दाम मिल रहे हैं.
सोयाबीन के न्यूनतम समर्थन मूल्य 3880 रुपए और उड़द का 6000 रुपए क्विंटल तय था. राजफेड ने समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए लक्ष्य भी तय कर दिया था. जिनमें उड़द 71500 मेट्रिक टन और सोयाबीन 2 लाख मैट्रिक टन खरीदना था.
कोटा जिले में एक तो बूंदी में दो... बारां में छह...
राजफेड क्षेत्रीय अधिकारी नरेश शुक्ला का कहना है कि 20 अक्टूबर से ही किसानों का रजिस्ट्रेशन कराना शुरू कर दिया था और खरीद 1 नवंबर से शुरू हो गई लेकिन दोनों अभी भी जारी है. कुछ ही किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. हालांकि, फसल को बेचने में तो एक ने भी इंटरेस्ट नहीं दिखाया है.
रजिस्ट्रेशन की बात करें तो बारां जिले में 6 रजिस्ट्रेशन हुए हैं, जिनमें इनमें तीन सोयाबीन और तीन उड़द के लिए हैं. इसी तरह से बूंदी जिले में केवल दो रजिस्ट्रेशन उड़द के लिए हुए हैं. वहीं कोटा जिले में तो महज एक रजिस्ट्रेशन सोयाबीन के लिए हुआ था. जबकि झालावाड़ जिले में 154 रजिस्ट्रेशन हुए. इनमें से 87 उड़द और 63 सोयाबीन के लिए थे. साथ ही चार मूंग के लिए थे, जिसकी खरीद हाड़ौती में नहीं हो रही है. जबकि समर्थन मूल्य पर अपनी फसल को बेचने के लिए एक भी किसान नहीं आया.