कोटा. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया ने देशभर के 572 डेंटल कॉलेजों के रिक्त 10 हजार बीडीएस सीटों को भरने के लिए नीट 2019 की पात्रता को 10 फीसदी कम कर दिया था. जिसके बाद अब सामान्य वर्ग का विद्यार्थी हो या ओबीसी और एससी/एसटी वर्ग का छात्र सभी को बीडीएस कॉलेज में आसानी से सीट मिल जाएगी.
दरअसल देशभर के 572 डेंटल कॉलेजों में खाली पड़ी 10 हजार सीटे भरने के लिए नीट 2019 की पात्रता को 10 फीसदी कम कर दिया था. जिसके चलते अब नीट 2019 में जनरल केटेगरी का स्टूडेंट जो 15 फीसदी अंको को लेकर पास हुआ है वह भी बीडीएस कॉलेज में दाखिला लेने के लिए योग्य होगा और साथ ही ओबीसी, एससी व एसटी कैटेगरी के छात्र जो 12 फीसदी अंको से पास हुए हैं. उन्हें भी डेंटल कॉलेजों में प्रवेश मिल जाएगा.
नीट 2019 के परिणाम में संशोधन के बाद छात्रों को होगा फायदा कोटा में एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि बीडीएस कोर्स से छात्रों का रुझान कम होता जा रहा है. जिसके चलते देशभर में सरकारी व गैर सरकारी डेंटल कॉलेजों में 26 हजार 949 में से महज 16 हजार 579 सीटों पर ही स्टूडेंट ने प्रवेश लिया है. अब पात्रता की सीमाएं कम करने के बाद नीट 2019 में से सामान्य वर्ग का छात्र जो 720 में से महज 107 अंक लेकर आया है. वह भी बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी का कोर्स कर सकेगा. साथ ही एससी/एसटी और ओबीसी के छात्र जो मात्र 86 अंक लेकर पास हुए हैं. वह भी बीडीएस कॉलेज में दाखिला ले सकेंगे.
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एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि यदि छात्रों का रूझान इस कोर्स के लिए कम है तो इसके पीछे भी कई वजह है, जिसमें सबसे बड़ी वजह यह है कि हिन्दुस्तान के लोग दांतो से जुड़ी बीमारियों को गंभीर मानते ही नहीं है. यहां तक उन्हें बीमारी ही नहीं मानते है. जिससे यदि कोई छात्र इस कोर्स को कर सरकारी नहीं मिलने पर प्राइवेट क्लिनिक भी खोलता है तो उसे मरीजों का अभाव देखने को मिलेगा. उनका यह भी मानना है कि इस कोर्स को अपग्रेड करने की आवश्यकता है. इसमें अन्य किसी चिकित्सा विज्ञान के एरिया को जोड़ना चाहिए ताकि छात्रों का रुझान बना रहे.