इस बार 40% गिरेगा लहसुन का रकबा, अच्छी क्वालिटी और कम उत्पादन से बढ़ेगी किसानों की आय - kota latest news
10 नवंबर से लहसुन की बुवाई शुरू होने जा (Sowing of garlic starts in Rajasthan) रही है. ऐसे में किसानों को घाटे से बचाने और उनकी आय बढ़ाने को अब उद्यानिकी विभाग के अधिकारी व कर्मचारी नए सिरे से कृषकों की काउंसलिंग में जुटे (Garlic acreage will fall in Rajasthan) हैं. जिसके तहत उन्हें बाजार की मांग के अनुरूप खेती करने से लेकर अन्य आवश्यक जानकारियां दी जा रही हैं.
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Published : Oct 18, 2022, 2:17 PM IST
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Updated : Oct 18, 2022, 5:19 PM IST
कोटा.आगामी 10 नवंबर से लहसुन की बुवाई शुरू होने जा (Sowing of garlic starts in Rajasthan) रही है. ऐसे में उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बार किसानों को पिछले साल की तुलना में आधी फसल का उत्पादन करना चाहिए. उद्यानिकी विभाग के संयुक्त निदेशक पीके गुप्ता ने कहा कि 2018 में 32000 हेक्टेयर रकबा कम हुआ था. ऐसे में इस साल भी 40% रकबा कम होने की (Horticulture dept starts counseling) उम्मीद है, जो 60 से 65 हजार हेक्टेयर के बीच रहेगा.
वहीं, जिले के हाड़ौती संभाग के हजारों किसानों को इस साल लहसुन की कम कीमतों के चलते खासा नुकसान हुआ है. यह नुकसान भी करीब प्रत्येक बीघा में 10 हजार रुपये से ज्यादा का है. उद्यानिकी विभाग के एक्सपर्ट की मानें तो बंपर उत्पादन और क्वालिटी की फसल नहीं होने के कारण ऐसी दिक्कतें पेश आई. जिसके चलते किसानों को अच्छी कीमत नहीं मिल सकी.
किसानों को हुआ 2600 करोड़ का नुकसान:हाड़ौती के लहसुन उत्पादक किसानों को करीब 2600 करोड़ का नुकसान हुआ है. इस बार किसानों ने करीब सात लाख मीट्रिक टन लहसुन का उत्पादन किया है, लेकिन मंडी में अच्छी कीमत न मिलने के कारण किसान अपनी फसल को बेभाव बेचने को मजबूर दिखे तो वहीं, कई किसान मंडी के बाहर लहसुन फेंकते भी नजर आए. किसानों की मानें तो बाजार में उचित कीमत न मिलने और लहसुन के खराब होने की संभावना के बीच वो किसी तरह से अपनी फसल के निपटारे में लगे हैं.
इस बार 40 फीसदी गिरेगा लहसुन का रकबा
कुछ किसानों का कहना है कि मंडी तक माल को लाने में ही वहां मिलने वाले दाम से ज्यादा का खर्च आ रहा है. ज्यादातर किसानों को 200 से 2200 रुपये प्रति क्विंटल के बीच दाम मिल रहे हैं. कुछ किसानों को चार हजार प्रति क्विंटल की दर से भी दाम मिले हैं, लेकिन यह राशि काफी कम है.
पिछले साल हुई थी लक्ष्य से अधिक बुवाई:पिछले साल हाड़ौती में 93 हजार हेक्टेयर में लहसुन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित था. वहीं, इस साल भी उसी लक्ष्य को रखा गया है. लेकिन बीते साल लक्ष्य से करीब 25 फीसदी ज्यादा बुवाई हुई थी, जो 1,15,445 हेक्टेयर के आसपास थी. उद्यानिकी विभाग के संयुक्त निदेशक पीके गुप्ता ने कहा कि जिन किसानों ने बीते साल 10 बीघे में लहसुन की बुवाई की थी, उन्हें अबकी बार 5 से 6 बीघे में बुवाई करनी चाहिए. इससे बाजार में लहसुन की कमी होगी, जिससे किसानों को अच्छी कीमत मिल सकेगी.
किसानों की हो रही काउंसलिंग:पीके गुप्ता की मानें तो अगर किसान कम बुवाई करते हैं तो उन्हें अधिक मुनाफा होगा, क्योंकि ऐसा करने से वो खेतों की अच्छी तरह से सार संभाल कर सकेंगे. साथ ही अच्छी क्वालिटी की पैदावार होने से अधिक कीमत भी मिलेगी. उन्होंने बताया कि एक किसान को एक बीघा में लहसुन की खेती करने में करीब 25 से 30 हजार रुपये की लागत आती है. इसमें निराई, गुड़ाई, खाद, बीज, दवाई से लेकर लहसुन निकालने और उसे मंडी तक पहुंचाने तक का खर्च शामिल होता है.
200 करोड़ की हुई थी लहसुन की खरीद:2018 में सूबे में बीजेपी की सरकार थी और हाड़ौती से सीएम वसुंधरा राजे सहित 16 विधायक बीजेपी के थे. ऐसे किसानों की मांग के आगे सरकार ने मार्केट इंटरवेंशन स्कीम के तहत 3257 रुपये प्रति क्विंटल की दर से लहसुन की खरीद की थी. वहीं, हाड़ौती से कुल 200 करोड़ की लहसुन खरीदी गई थी.