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किसान आंदोलन पर पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी का तंज...हल नहीं, छाताधारी किसान आंदोलन में शामिल - राज्य सरकार के दो साल

कोटा में पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने राज्य सरकार के 2 साल पूरे होने पर कांग्रेस पर तंज कसे. उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार कार्यकाल पूरे होने पर भी अपनी कोई उपलब्धि नहीं बता पा रही है. सरकार ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिसका जश्न मनाया जाए.

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पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी कोटा दौरे पर रहे

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Published : Dec 19, 2020, 10:41 PM IST

कोटा.पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी कोटा दौरे पर रहे. इस दौरान उन्होंने सरकार के 2 साल पूरे होने पर कांग्रेस को जमकर घेरा. प्रभुलाल सैनी ने कहा कि कांग्रेस ने सरकार के 2 साल पूरे होने पर भी अपनी कोई उपलब्धि नहीं बता पा रही है. साथ ही सरकार ने 2 साल में कोई ऐसा काम नहीं किया है, जिसका जश्न मनाया जाए.

जबकि भारतीय जनता पार्टी के शासन के समय की योजनाओं का ही उद्घाटन कर फीता काटा जा रहा है. वहीं, पूर्व मंत्री सैनी ने किसान आंदोलन पर भी कहा कि वहां पर किसान हल धारी नहीं बल्कि छाताधारी किसान पहुंच गए हैं.

किसानों से जुड़ी एक भी योजना पर काम नहीं हुआ

पूर्व कृषि मंत्री सैनी ने कहा कि किसानों की हालत के बारे में कोई चिंता नहीं कर रहा है. एक भी सोलर पंप, ग्रीनहाउस, पॉलीहाउस और नेट हाउस नहीं लगाया गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि कर्जा माफी की जो बात की जाती है, उसपर भी छोटी सी शुरुआत कर रोक लगा दी जा रही है. साथ ही किसानों के हित की बात करने वाली कांग्रेस ने सालाना 10 हजार रुपए की सब्सिडी बिजली बिल पर रोक दी है. साथ ही राजस्थान प्रदेश के 2 साल का शासन हो गया हैं और निराशाजनक रहा.

कांग्रेस, वाम और अकाली दलों को अपने हित की चिंता

सैनी ने मीडिया से कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय 2022 में दुगनी हो इसके लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें कृषि कानूनों के जरिए लागू की है. साथ ही केंद्र में 2005 से कांग्रेस की सरकार रही है, कोई काम उन्होंने नहीं किया और प्रधानमंत्री का विजन है कि किसान को आत्मसम्मान व आत्मनिर्भर बनाना है. इसीलिए तीनों कृषि कानून लाए गए हैं, लेकिन छाताधारी किसान इसका विरोध कर रहे हैं. जबकि हलधारी किसान आंदोलन में नहीं जुड़ रहे हैं.

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पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने कहा कि यह लोग कहते हैं कि सिविल कोर्ट का नियम इसमें लागू होना चाहिए. जबकि वहां पर कई सालों तक फैसले नहीं हो पाते हैं. ऐसे में किसान परेशान हो जाएगा. साथ ही कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर भी यह लोग आपत्ति जता रहे हैं. जबकि राजस्थान में 2005 से ही कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग है और एक भी किसी भी तरह की कोई विवाद की स्थिति नहीं आई है कि कंपनी किसी व्यक्ति की जमीन को हड़प गई हो.

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