कोटा. भामाशाह कृषि उपज मंडी में 1 लाख बोरी से ज्यादा धान की आवक हो रही है. इसी तरह से कुल जिंस मिलाकर करीब 2 लाख बोरी रोज पहुंच रही हैं. दूसरी तरफ त्योहारों के बाद मजदूर वापस काम पर नहीं लौटे हैं. ऐसे में हम्मालों के नहीं होने के चलते माल का उठाव नहीं हुआ और मंगलवार को मंडी जाम हो गई. जिसके चलते मंडी में किसानों के वाहनों को प्रवेश नहीं दिया गया और मंडी के बाहर करीब डेढ़ किलोमीटर लंबा जाम लग गया. जिसमें 1000 के आसपास ट्रैक्टर और ट्रक मंडी के बाहर खड़े हुए हैं.
इन किसानों को उम्मीद रात 11:00 बजे तक है, लेकिन ऐसा होना संभव नहीं है. ऐसे में बीते 24 घंटे से यह किसान लगातार इंतजार कर रहे हैं. अब उनका एक दिन बाद ही बुधवार को ही प्रवेश का नंबर आ पाएगा. मंडी में अधिकांश हम माल बिहार से हैं और वे छठ पूजा के चलते छुट्टी पर चल रहे हैं. इसी के चलते माल का उठाव पूरा नहीं हो पाया है.
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मंगलवार को पूरे दिन नहीं खुला गेट : मंडी में सुबह 6:00 से 9:00 और दोपहर 3:00 से 11:00 ही किसानों को प्रवेश दिया जाता है. लेकिन मंगलवार को ऐसा नहीं हुआ. माल का उठाव नहीं होने के चलते किसान मंडी के बाहर ही अपनी बारी आने का इंतजार करते रहे. इन किसानों में हाड़ौती के अलावा मध्य प्रदेश के गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, श्योपुर के साथ उत्तर प्रदेश के भी कई जिलों के किसान हैं. यह किसान मंडी के बाहर बीते 24 घंटे से इंतजार कर रहे हैं.
ठंड में बाहर इंतजार करना किसानों के लिए मुसीबत : किसानों के हालात ऐसे हैं कि वह अपने जिंस से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली और ट्रक को छोड़कर जा भी नहीं सकते हैं. जिंस की चौकीदारी करना भी काफी मुश्किल है. मंडी में प्रवेश कर जाने के बाद तो किसान राहत महसूस करते हैं. क्योंकि वहां से जिंसों के चोरी होने या अन्य कोई गड़बड़ी नहीं होती है, लेकिन मंडी के बाहर ट्रैक्टर ट्रॉली और ट्रक की सुरक्षा करना मुसीबत भरा है. कई किसान ऐसे हैं, जो अकेले ही ट्रैक्टर ट्रॉली में जिंस लेकर आए हैं. ऐसे में वह खाने-पीने और अन्य कामों में जाने से भी कतरा रहे हैं. उनके लिए एक बड़ी समस्या यह जाम बन गया है.
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किराया भी भर पड़ रहा भारी : मंडी गेट के नजदीक इंतजार कर रहे किसान सोमवार रात 9:00 बजे ही पहुंच गए थे, लेकिन दरवाजा बंद था. ऐसे में उन्हें प्रवेश नहीं मिल पाया. इस कतार के अंतिम छोर अनंतपुरा रोड पर खड़े किसान रात को 2:00 बजे आए थे. उनका कहना है कि पहले से ही लंबी कतार है. इसका खत्म होना मुश्किल है. ऐसे में उन्हें एक दो दिन इंतजार करना पड़ सकता है. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से आए किसान किराए पर ट्रक लेकर आए हैं. ऐसे में उनके लिए यह ट्रक का खर्चा भी भारी पड़ रहा है. क्योंकि ट्रक का किराया भी बढ़ रहा है.