कोटा. हाड़ौती के चारों जिले कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ में सरकारी आंकड़े के अनुसार करीब 6 लाख 65 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई होनी है. हालांकि, यह बढ़कर करीब सात लाख हेक्टेयर पहुंच सकती है. इसके लिए 5 लाख 60 हजार क्विंटल बीज की आवश्यकता है लेकिन बीज की कमी है. जिस कारण अब किसान परेशान हैं.
मानसून की पहली बारिश के बाद ही आमतौर पर सोयाबीन की बुवाई 1 से 10 जुलाई के बीच होती है. किसान पहले से ही बीज जतन कर रखते हैं. बीते साल सोयाबीन की फसल काफी खराब हो गई थी. इसके चलते जो किसान अपना बीज घर पर ही तैयार करते हैं, उन्हें खासी समस्या का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वे फसल खराब होने के कारण बीज तैयार नहीं कर पाए. दूसरी तरफ बाजार में भी बीज की कमी है.
कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ में सरकारी आंकड़े के अनुसार करीब 66 लाख 5 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई होनी है. हालांकि, यह बढ़कर करीब सात लाख हेक्टेयर पहुंच सकती है. इसकी एवज में अभी वर्तमान 2 लाख 40 हजार क्विंटल बीज ही उपलब्ध है. इनमें 1 लाख 70 हजार क्विंटल बीज कृषि विभाग ने किसानों से तैयार करवाया है. जबकि 75 हजार क्विंटल बाजार में उपलब्ध है. इस कारण किसानों को भी महंगा बीज मिल रहा है.
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बीज के लिए भी नहीं बची फसल
पिछले साल 6 लाख 80 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन का रकबा था. वहीं उत्पादन का लक्ष्य 11 लाख 41 हजार मीट्रिक टन था, लेकिन फसल खराब होने के कारण उत्पादन महज 35 फीसदी रह गया. जिसमें 42 लाख 5 हजार मीट्रिक टन ही उत्पादन हुआ. बता दें कि अधिकांश किसानों की फसल 70 से 90 फीसदी तक खराब हो गई.
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उनके पास बीज के लिए भी सोयाबीन नहीं बची है. इसके चलते ही हाड़ौती में अब सोयाबीन के बीज का संकट खड़ा हो गया है. जिन दूसरे राज्यों मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से भी बीज उपलब्ध हो जाता था. वहां भी फसलें अतिवृष्टि के कारण खराब हो गई. ऐसे में वहां भी उन्नत बीज नहीं मिल पा रहा है.
संकट में मिल रहा महंगा बीज
बीते साल जहां पर किसानों को बाजार में 44 से 50 रुपए किलो सोयाबीन का बीज मिल रहा था. अब इस बार यह दाम बढ़कर 63 पर पहुंच गया है. ऐसे में बीजों के दाम महंगे हो गए हैं. वहीं जो किसान अपने पड़ोसी या दूसरे किसानों से भी बीज ले रहे हैं. उन्हें भी महंगी दर पर बीज मिल रहा है. किसानों का कहना है कि अगर फसल पैदा करनी है तो महंगा बीज ही लेना पड़ेगा. इसे मजबूरी में ही ले रहे हैं.
बीज के लिए सरकार ने टेंडर निकाले नहीं हुए सफल
कृषि विभाग के आंकड़ों की बात की जाए तो 27 फीसदी किसान बाजार का प्रमाणित बीज ही उपयोग करते हैं. जबकि 73 फीसदी किसान अपना स्वयं का बीज बुवाई में उपयोग लेते हैं. सरकारी स्तर पर दो बार बीज खरीदने के लिए टेंडर निकाले गए, लेकिन दोनों बार ही निविदा में किसी ने भी भाग नहीं लिया. इसके चलते सरकारी स्तर पर बीज अनुपलब्ध है.