कोटा. जिले में आज एक बार फिर 1049 मरीज कोरोना के सामने आए हैं. साथ ही सरकारी आंकड़े के अनुसार एक मरीज की मौत भी अस्पताल में उपचार के दौरान हुई है. जबकि मेडिकल कॉलेज का अस्पताल पूरी तरह से हाउसफुल स्थिति में पहुंचने वाला है. अस्पताल में 750 बेड की क्षमता है, लेकिन अभी 590 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं. जिनमें से आधे कोविड-19 सस्पेक्टेड है. ईटीवी भारत में मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सीएस सुशील से बातचीत की.
इस दौरान डॉ. सुशील ने कहा कि ऑक्सीजन पर 367 मरीज भर्ती हैं. साथ ही बाइपेप मशीन पर 32 और वेंटिलेटर पर एक मरीज है. डॉ. सुशील ने लोगों से अपील की है कि वह लोग घरों में कैद हो जाएं. घरों से बाहर अनावश्यक काम के लिए नहीं निकले, तब ही संक्रमण उन तक नहीं पहुंचेगा. यहां तक कि घर में रहने वाले कोई व्यक्ति जो रोज बाहर जा रहे हैं, उनसे भी दूरी बनाकर रखें और घर में भी अगर मास्क का प्रयोग करें, तो ज्यादा अच्छा होगा. हमारे देश के अन्य राज्य महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में हालात भयानक है. वैसी प्रॉब्लम राजस्थान में भी हो जाएगी. यहां तक कि वहां श्मशान घाट में भी लाइन अभी लगी हुई है.
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मरीजों की रिकवरी दर भी हुई कम
डॉ. सुशील ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि पहले जहां रिकवरी रेट कोविड-19 की 98 फीसदी तक पहुंच गई थी. अब यह 90 के आसपास ही रह गई है. पिछली बार जहां 1 सप्ताह बाद फेफड़ों में संक्रमण बढ़ता था. अब 3 से 4 दिनों में ही सीटी स्कैन का स्कोर 15 से 20 के बीच पहुंच रहा है. साथ ही कम उम्र के लोगों में भी घातक संक्रमण देखने को मिल रहा है. इससे युवाओं की मौत भी हो रही है. जिला प्रशासन अन्य रेलवे या ईएसआई अस्पताल को अधिकृत करने का काम ही करेगा. साथ ही प्राइवेट हॉस्पिटल भी फूल है, वहां भी एक एक वार्ड में कोविड 19 का इलाज किया जा रहा है. डेथ का आंकड़ा भी काफी ज्यादा है. पिछली बार जो मरीजों की मौत हो रही थी, उनसे ज्यादा मौतें इस बार की लहर में हो रही है.
500 ऑक्सीजन पॉइंट, उसके बाद सिलेंडर से देनी होगी
डॉ. सुशील ने कहा कि वे लगातार व्यवस्थाएं जुटा रहे हैं. नए आईसीयू को भी उन्होंने 1 दिन में तैयार करवाया है. जहां पर नए 11 मॉनिटर लगाए गए हैं. सरकार के निर्देश पर आगे से आगे सुविधाएं जुटा रहे हैं लेकिन अस्पताल में ही आईसीयू बनाया जा सकता है. बाहर आईसीयू नहीं बन सकता है. इसी के चलते डे केयर सेंटर को एग्जामिनेशन हॉल में एक-दो दिन में शिफ्ट किया जाएगा. अस्पताल में करीब 500 दिन पॉइंट है. जिनका उपयोग किया जा सकता है. इसके बाद अगर मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत होगी, तो उस सिलेंडर के साथ ही उसे देनी होगी.