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बीजेपी नेता प्रहलाद गुंजल ने चंबल रिवर फ्रंट को बताया गैर-कानूनी,कहा-सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हुआ उल्लंघन - सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया

कोटा उत्तर के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने चंबल रिवर फ्रंट को गैर-कानूनी बताया है. उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी उल्लंघन हुआ है.

Gunjal claims Chambal river front is illegal
गुंजल ने चंबल रिवर फ्रंट को बताया गैर-कानूनी

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 11, 2023, 4:54 PM IST

Updated : Sep 11, 2023, 11:28 PM IST

चंबल रिवर फ्रंट को गुंजल ने बताया गैर-कानूनी

कोटा. बीजेपी नेता और पूर्व कोटा उत्तर विधायक प्रहलाद गुंजल ने चंबल रिवर फ्रंट के निर्माण को गैर-कानूनी बताया है. उन्होंने यह भी दावा किया कि एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया है. चंबल घड़ियाल सेंचुरी के बफर जोन में इसका निर्माण करवा दिया गया. इसके निर्माण की स्वीकृति किसी भी विभाग से नहीं ली गई है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने राजस्थान के वन्य जीव विभाग को गत 1 जुलाई को पत्र लिखा है. इसमें चंबल हेरिटेज रिवरफ्रंट के निर्माण को घोर गैर-कानूनी बताया है. ऐसे में सीएम अशोक गहलोत को उद्घाटन रोक देना चाहिए और इसकी पूरी जांच भी करवानी चाहिए.

गुंजल ने कहा कि जनता के पैसे की बर्बादी यहां पर की गई है. यहां 50 फीसदी ज्यादा दरों पर टेंडर दिए गए हैं. कई टेंडर को नॉन बीएसआर कर भ्रष्टाचार किया गया है. यह रिवरफ्रंट सफेद हाथी बन सकता है. यहां निर्माण के कार्यों को 145 फीसरी ज्यादा दर पर दिया गया है. प्रहलाद गुंजल ने कहा कि जब हमारी सरकार आएगी, तब हर टेंडर की जांच करवाई जाएगी. इसमें रिकवरी भी की जावेगी. इसमें दोषी पाए जाने वाले सभी अधिकारियों की संपत्ति की भी जांच होगी.

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अजमेर के सेवन वंडर पार्क को तोड़ने के हुए आदेश:गुंजल ने कहा कि अजमेर में आना सागर लेक के पास सेवन वंडर पार्क का निर्माण करवाया गया है. यह भी गैरकानूनी है. इसको तोड़ने के आदेश नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दे दिए हैं. ऐसे में कोटा में भी इस तरह से 1500 करोड़ की बर्बादी कर दी गई है, जिस तरह से आनासागर लेक को डिस्मेंटल करने के आदेश दिए हैं. ऐसे ही आदेश कोई भी व्यक्ति एनजीटी या सुप्रीम कोर्ट में इसके निर्माण को लेकर जाएगा, तब यह आदेश हो जाएंगे. ऐसे में चंबल का हेरिटेज रिवर फ्रंट भी तोड़ा जा सकता है.

निर्माण की नहीं ली गई स्वीकृति: पूर्व विधायक गुंजन ने कहा कि 100 हेक्टेयर चौड़ाई की नदी है. इसका पूरा अधिकार भी जल संसाधन विभाग के पास था. इसके बावजूद यूआईटी ने यहां पर निर्माण करवा दिया. इसके लिए फॉरेस्ट की अनुमति ली गई है. इसमें जमीन नगर विकास न्यास के नाम ही नहीं थी, उस पर भी निर्माण करवा दिया गया है. जल संसाधन विभाग और वन्य जीव विभाग से स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई है. इसमें सभी तरह के उल्लंघन किए गए हैं.

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प्रचार के लिए किया गया टेंडर भी गैर-कानूनी: गुंजल ने कहा कि 100 करोड़ रुपए का टेंडर का भी गड़बड़झाला इसमें हुआ है. जिसमें इसके प्रचार-प्रसार के लिए दो दिन के लिए नगर विकास न्यास ने पैसा एक इवेंट कंपनी को दिया है. यह पैसा कोटा के लोगों के धन की बर्बादी है, जो कि उनसे रेवेन्यू के रूप में इकट्ठा किया गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि हर सातवें दिन वे कोटा में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की कारगुजारी का खुलासा करेंगे.

विश्व रिकॉर्ड के दावों को भी बताया फर्जी: चंबल नदी में बन रहे विश्व रिकॉर्ड पर भी गुंजल ने आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि चंबल माता की 41 मीटर की मूर्ति को विश्व की सबसे बड़ी बताया जा रहा है, जबकि आंध्र प्रदेश में बालाजी की मूर्ति 42 मीटर की है. उसके साथ ही बुद्ध की मूर्ति चीन में 116 मीटर की है. यहां पर भ्रष्टाचार भी कोटा में हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि कोटा का पूरा लैंड बैंक समाप्त कर दिया है. आगामी दिनों में सैलेरी और छोटे-मोटे निर्माण कार्यों के लिए भी नगर विकास न्यास या केडीए तरस जाएगा. कोटा के विकास पर उन्होंने कहा कि धाकड़खेड़ी, दाढ़देवी का जंगल, बड़गांव, रंगपुर, शंभूपुरा व नयागांव पूरा तरह से बर्बाद कर दिया गया है. यहां पर कोई लैंड बैंक अब नहीं बचा है.

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उन्होंने कहा कि एक्सीडेंटल जोन बनेकोटा में रेड लाइट फ्री की बात कही जा रही है, जबकि इनके निर्माण के बाद डेढ़ गुना ज्यादा दुर्घटनाएं बढ़ गई हैं. एक चौराहे को खत्म करने की जगह पर दो-दो चौराहे बना दिए गए हैं. इंडियन रोड कांग्रेस का कहना है कि सड़कों के आसपास की बिल्डिंगों पर भी ऐसे होर्डिंग नहीं होनी चाहिए, जो कि लोगों को आकर्षित करे. लेकिन इसका उलट कोटा में चौराहे पर बड़े-बड़े स्ट्रक्चर खड़े कर दिए गए हैं. जिनमें करोड़ों रुपए लगा दिए हैं. इससे दुर्घटनाएं ही बढ़ेंगी.

यूआईटी को लिया निशाने पर: गुंजन ने कहा कि कोटा डेवलपमेंट अथॉरिटी भी इसीलिए बनाई गई है, क्योंकि आगामी समय में जमीन नहीं रहेगी. ऐसे में यूआईटी के कर्मचारियों और स्टाफ को सैलरी देने का पैसा भी नहीं होगा. इसीलिए कोटा डेवलपमेंट और अथॉरिटी बना दी गई है. इससे बूंदी सहित पूरे जिले में असंतोष हो गया है. बूंदी के विधायक और जनता विरोध में उतर गई है. इसके अलावा कोटा में पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा, सांगोद विधायक भरत सिंह भी इसके खिलाफ हैं. यह सब शेष जमीन को बेचने की योजना ही है.

Last Updated : Sep 11, 2023, 11:28 PM IST

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