कोटा. शाम का धुंधलका छाने लगा है. ऐसे में कच्चे घरों से निकलती धुंए की लकीरे कभी सीधे आसमान की ओर उठती है, तो बीच-बीच में सर्द हवा के झोंके के साथ धुंए की लकीरें भी आकाश में विलीन हो जाती है. यह किताबों में पड़े किस्से कहानियों के ग्रामीण परिदृश्य की याद ताजा कर देगा. लेकिन वास्तव में जिस जगह कि हम बात कर रहे हैं वह ग्रामीण नहीं बल्कि शिक्षा नगरी कोटा शहर का ही एक हिस्सा है.
यह हिस्सा कोटा नगर निगम की सीमा में आने वाले वार्ड-11 का है. रंगपुर रोड स्थित नया भदान और इसके आसपास के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां यह दृश्य प्रतिदिन सुबह और शाम को दिखाई देते हैं. जब शहरी इलाके की महिलाओं की यह स्थिति है. तो सुदूर ग्रामीण इलाके की महिलाओं की दुर्दशा के बारे में तो कल्पना भी नहीं की जा सकती.
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले चूल्हे पर खाना बनाने वाली महिलाओं की पीड़ा को समझते हुए उज्ज्वला योजना लागू कर घर-घर निशुल्क गैस सिलेंडर पहुंचाने का दावा तो. लेकिन उनका यह दावा हकीकत से कहीं दूर नजर आ रहा है. उज्वला योजना लागू होने के बावजूद अभी भी हालात यह हैं कि शहरी क्षेत्र में ही कई घर ऐसे हैं जहां आज भी ना तो रसोई गैस है और ना ही योजना का कोई लाभ उनतक पहुंच पा रहा है.