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ईटीवी भारत ने कोख में पल रहे बच्चे की बचाई जान - ईटीवी भारत की मदद

कोटा के रामगंजमंडी में एक महिला के प्रसव का समय नजदीक आने के बाद भी नियमों की वजह से उसे अस्पताल जाने की अनुमति नहीं मिल रही थी. ईटीवी भारत ने इस बात को प्रशासन तक पहुंचाया. जिसके बाद महिला का अस्पताल जाने के लिए अनुमति मिली.

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ईटीवी भारत ने कोख में पल रहे मासूम की बचाई जान

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Published : May 8, 2020, 9:03 PM IST

रामगंजमंडी (कोटा).सुकेत कस्बे से लगे झालावाड़ जिले के बॉर्डर पर झालावाड़ जिला प्रशासन ने बड़ी कड़ी सख्ती कर रखी है. ये सख्ती इस कठिन समय में जरूरी भी है. लेकिन कभी-कभी नियमों की पालना के चलते किसी की जान पर भी बन आती है. ईटीवी भारत की वजह से आज एक नवजात की जान बच पाई.

शुक्रवार 2 बजे करीब सातलखेड़ी निवासी हरीश की गर्भवती पत्नी को अचानक लगा कि उसके गर्भ में बच्चे की हलचल बन्द हो गई है. उन्होंने तुरंत झालावाड़ की महिला चिकित्सक को फोन लगाया जहां उनका उपचार चल रहा था. चिकित्सक ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए तुरंत झालावाड़ आने के लिए कह दिया.

झालावाड़ जाने के लिए परमिशन की आवश्यकता होती है. इस गंभीर हालत में परमिशन कहां लेने जाएं. यह सोच कर हरीश अपनी पत्नी को लेकर निजी वाहन से झालावाड़ के लिए निकल गए. लेकिन उन्हें बॉर्डर पर ही रोक लिया गया. उन्होंने पुलिस प्रशासन को अपनी समस्या बताई, पर नियमों और उच्चाधिकारियों के आदेश की पालना करने वाले पुलिसकर्मियों ने बिना परमीशन या ई-पास के जानें नहीं दिया.

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तभी मामला ईटीवी भारत की संज्ञान में आया. ईटीवी भारत ने जाकर रामगंजमंडी के अधिकारियों को इस समस्या से सूचित करवाया. क्योंकि दो दिन पहले ही एसडीएम ने सोशल मीडिया पर ये कहा गया था कि मरीज को झालावाड़ जाने से नहीं रोक जाएगा. फिर भी इस तरह की समस्या क्यों आ गई. तब जाकर प्रशासन ने एक्शन लेते हुए महिला और उसके पति को झालावाड़ जाने की अनुमति दे दी.

महिला के पति हरीश वर्मा ने बताया कि उपखण्ड क्षेत्र में परमिशन के लिए उपखण्ड कार्यालय के कई चक्कर लगाने के बाद भी परमिशन नहीं मिल पाती. ऐसे में मेरी पत्नी के गर्भ में बच्चे का मूवमेंट खत्म हो रहा था. मीडिया को फोन किया तब जाकर प्रशासन हरकत में आया और मुझे अस्पताल जाने की परमिशन मिली.

रामगंजमंडी क्षेत्र से झालावाड़ मात्र 15 किलोमीटर दूर है. पूरे रामगंजमंडी से ज्यादातर मरीज झालावाड़ अस्पताल ही जाते है, क्योंकि कोटा 80 किलोमीटर दूर है. कुछ दिनों पहले भी परमिशन मामले में एक कैंसर पीड़ित को अपनी जान गवानी पड़ी थी. समय पर परमिशन नहीं मिलने से मरीज ने रास्ते मे ही दम तोड़ दिया था.

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