कोटा.शहर के नांता गढ़ को बीते कई दिनों से बसेरा बनाए हुए पैंथर को पकड़ने के लिए अब दबाव बढ़ गया है. ऐसे में पिंजरे में कैद नहीं होने के बाद वन विभाग की टीम बघेरे को पकड़ने के लिए ट्रेंकुलाइज करने की पूरी योजना बना चुकी है. इसके लिए सवाई माधोपुर से भी एक रेस्क्यू टीम बुलाई गई है. इसमें चिकित्सक से लेकर रेस्क्यू स्टाफ भी हैं. साथ ही लाडपुरा रेंज और अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क की रेस्क्यू टीम भी इस काम में जुटी हुई है.
इन सबको मिलाकर बुधवार को नांता गढ़ में करीब 15 से 16 स्टाफ मौजूद रहेगा. इसके अलावा 5 से 7 लोगों का स्टाफ गढ़ (Rescue of Panther in Nanta Garh in Kota) के बाहर भी रहेगा. यह सब बघेरे की मॉनिटरिंग करेंगे, जैसे ही बघेरा आता है, उसे ट्रेंकुलाइज करने की कोशिश की जाएगी. बीते कुछ दिनों से बघेरा नांता में नजर आ रहा है. बघेरा लगातार गली और बस्ती से श्वान का शिकार भी कर रहा है.
नांता गढ़ में बघेरे का रेस्क्यू पढ़ें. राजस्थान: नांतागढ़ में मादा पैंथर का बसेरा, शिकार के लिए रोज आ रही बाहर...ट्रेंकुलाइज करने पर यह हो सकता है खतरा
ट्रेंकुलाइज करने पर यह खतरा :नांता गढ़ में मादा बघेरा होने की पहले पुष्टि हो गई थी. ऐसे में अगर वो गर्भवती हुई तो ट्रेंकुलाइज करने पर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को नुकसान हो सकता है. वहीं दूसरी तरफ अगर उसने पहले से ही बच्चे को गढ़ में जन्म दिया हुआ है तो उन शावकों की तलाश करना मुश्किल हो जाएगा. बाद में मादा बघेरा इन बच्चों को एक्सेप्ट करे या नहीं इसका भी खतरा है. इस गढ़ में पैंथर के छुपने के लिए काफी जगह है. ऐसे में निशाना चूकने के बाद अगर वह कहीं छुप जाती है, तो उसे निकालना भी मुश्किल होगा.
इसके अलावा जब उसे ट्रेंकुलाइज करने के लिए इंजेक्शन लगेगा, तब वह बेहोश होकर ऊपर से नीचे भी गिर सकती है. वह पानी में भी गिर सकती (Panther in Nanta Garh in Kota) है. इसीलिए टीम पूरी मुस्तैदी के साथ आज पूरे दिन गढ़ में रहकर उसे ट्रेंकुलाइज करने का पूरा प्लान बना चुकी है. लाडपुरा रेंज के रेंजर कुंदन सिंह का कहना है कि चिकित्सक ट्रेंकुलाइज करते समय साथ में रहेंगे. ऐसे में तुरंत बघेरे को पिंजरे में डालकर होश में लाया जाएगा.
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लोग डीजे बजा कर कर रहे परेशान :वन विभाग के अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वे शांति बनाकर रखें. लोग तेज आवाज में डीजे बजा रहे हैं, ऐसे में जानवर वाइल्ड होकर हमला कर सकता है. वन विभाग की टीम का कहना है कि स्थानीय लोग इस रेस्क्यू में अड़चन डाल रहे हैं. उन्होंने जानवर को कभी टॉर्च से तो कभी किसी और तरीके से परेशान किया है. जबकि इस एरिया को शाम 7:00 बजे से सुबह 7:00 बजे तक सुनसान ही रहना चाहिए. लोग अपने घरों में नहीं रह कर सड़कों पर दौड़ लगाते हैं. साथ ही डंडे और सरिया लेकर बघेरे का मुकाबला करने की कोशिश कर रहे हैं.
लोगों की बात पर नेताओं ने पकड़ने पर बनाया दबाव :यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने भी वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देशित किया है कि आम जनता संकट में हैं. ऐसे में इस बघेरे को पकड़कर कैद किया जाए. वहीं दूसरी तरफ पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल भी इलाके में 1 दिन पहले पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने संभागीय आयुक्त से इस संबंध में बातचीत की थी और स्थानीय लोगों से भी मुलाकात की थी. स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं.