कोटा.जिले में नए मेडिकल कॉलेज में तीन साल पहले स्थापित हुआ नशा मुक्ति केंद्र कोटा और आसपास के जिलों में स्मैक की लत से पीड़ित लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है. इस नशा मुक्ति केंद्र में रोज 45 से 50 लोग अपने स्मैक के नशे की आदत को छुड़वाने के लिए आते हैं. यहां पर इन मरीजों को मेथाडोन दवा दी जाती है. पिछले 3 साल में करीब 160 से ज्यादा मरीजों स्मैक पीने की लत यह केंद्र छुड़वा चुका है.
ये वे लोग हैं जो स्मैक का नशा करने के चलते अपने परिवार से बिछड़ गए थे. इनके परिवार के लोग भी या तो इनका साथ छोड़ चुके थे. यह दर-दर की ठोकरें खा रहे थे. चोरियों और लूटपाट जैसी घटनाओं में भी शामिल थे. इन लोगों का सामाजिक बहिष्कार भी हो चुका था, लेकिन अब यह वापस उसी समाज में लौट चुके हैं.
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वरिष्ठ आचार्य मनोरोग और नोडल ऑफिसर डॉ. देवेंद्र विजयवर्गीय का कहना है कि मेथाडोन की दवा को रोज देने का कॉन्सेप्ट है. मरीजों को 3 से 10 एमएम तक यह दवा दी जाती है. इसकी मात्रा मरीज की क्षमता के अनुसार ही तय होती है. दवा पीने के बाद 24 घंटे काम करती है और व्यक्ति के स्मैक पीने पर भी उसका नशा नहीं होता है. धीरे- धीरे व्यक्ति की स्मैक पीने की लत छूट जाती है. डॉ. विजयवर्गीय ने कहा कि केंद्र सरकार की मदद से संचालित यह केंद्र जिसकी मॉनिटरिंग दिल्ली एम्स करता है, पूरे प्रदेश का यह एकमात्र केंद्र है. यहां पर निशुल्क उपचार नशे के आदी लोगों का किया जाता है.
नशे के लिए करते थे चोरियां
झालावाड़ जिले के मनोहर थाना निवासी 32 वर्षीय युवक पिछले कई सालों से स्मैक का नशा कर रहा था, उसकी हालत थी कि वह चोरी भी करने लग गया था. उसने खुद स्वीकार किया कि अब वह अपने गांव से 200 किलोमीटर दूर कोटा में इसलिए रह रहा है कि यहां पर नशा मुक्ति केंद्र में उसकी स्मैक पीने की लत छुड़ा दी है. युवक ने बताया कि पहले जहां उसका करीब 15 हजार रुपए महीने में स्मैक पीने में खर्च हो जाता था, अब 10 से 12 हजार परिजनों को पैसे देता है.