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काशी विश्वनाथ की तर्ज पर 550 साल पुराने मथुराधीश मंदिर को विकसित करने की उठी मांग - प्रथम पीठ श्री मथुराधीश मंदिर

देश में वल्लभ संप्रदाय की सप्तपीठ में से प्रथम पीठ श्री मथुराधीश मंदिर के रूप में मौजूद है. यह मंदिर करीब 550 साल पुराना है और यहां 350 साल से मथुराधीश विराजमान हैं.

Shri Mathuradhish Temple of Kota
Shri Mathuradhish Temple of Kota

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 6, 2023, 9:22 PM IST

प्रथम पीठ युवराज गोस्वामी मिलन कुमार बाबा

कोटा.शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ श्री बड़े मथुराधीश मंदिर को रिवर फ्रंट से जोड़ इसका विकास काशी विश्वनाथ की तर्ज पर करने की मांग उठ रही है. टेंपल बोर्ड की ओर से इस संबंध में कदम उठाते हुए करीब 15 करोड़ रुपए की लागत से निर्माण कार्य की योजना को इसी साल शुरू किया गया. प्रथम पीठ युवराज गोस्वामी मिलन कुमार बाबा ने बताया कि देश में वल्लभ संप्रदाय की सप्तपीठ में से प्रथम पीठ श्री मथुराधीश मंदिर यहां स्थित है. उन्होंने बताया कि यह मंदिर करीब 550 साल पुराना है और तकरीबन 350 साल से मथुराधीश यहां विराजमान हैं.

बाबा ने कहा कि यदि काशी विश्वनाथ की तर्ज पर नंदग्राम के नाम से प्रसिद्ध कोटा के पाटनपोल को रिवर फ्रंट से जोड़ा जाए तो हाड़ौती में धार्मिक पर्यटन की संभावनाएं बढ़ सकती हैं. नाथद्वारा में श्रीनाथ जी के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में दर्शनार्थी पहुंचते हैं, वो सभी प्रथम पीठ के दर्शन करने के लिए कोटा भी आना चाहते हैं, लेकिन आधारभूत ढांचा विकसित नहीं होने के कारण कोटा में पर्यटकों का अभाव है.

मिलन बाबा ने आगे बताया कि इस प्राचीन मंदिर को बिना छेड़छाड़ किए श्री बड़े मथुराधीश टेंपल बोर्ड की ओर से इसका सौंदर्यीकरण कराया जाएगा. वहीं, ठाकुर जी के उत्सव के लिए यहां भव्य प्रांगण में ऑडिटोरियम बनाया जाएगा. मंदिर की रिवर फ्रंट से पैदल दूरी केवल 5 मिनट की है. मंदिर के पीछे का कॉरिडोर रिवर फ्रंट को छू रहा है. ऐसे में यहां बृजेश्वरजी के मंदिर पर पार्किंग बनाने की भी प्लानिंग चल रही है. उन्होंने बताया कि यहीं पर श्री विट्ठलनाथ जी की पाठशाला भी है, जहां धर्मशाला का निर्माण कार्य कराया जा सकता है.

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उन्होंने कहा कि टेंपल बोर्ड ने विकास का पूरा रोडमैप बना लिया है. इसके पहले चरण में 15 करोड़ की राशि खर्च होगी. इसको लेकर दो-तीन दौर की वार्ता केंद्र और राज्य सरकार से भी हो चुकी है. दोनों सरकारें इस दिशा में कार्य करने के लिए सकारात्मक आश्वासन दे रही हैं. इस साल के आखिर तक टेंपल बोर्ड की ओर से कार्य प्रारंभ कर दिए जाएंगे. इस दिशा में सरकार को भी जल्द ही प्रस्ताव बनाकर आगे आना चाहिए.

मिलन बाबा ने कहा कि जब तक होटल और धर्मशाला नहीं बनेंगे, तब तक दूसरे प्रदेशों के पर्यटक यहां नहीं आ पाएंगे. बाहर के दर्शनार्थी, भक्त और पर्यटक आएंगे तो आर्थिक समृद्धि भी आएगी. इसके लिए पाटनपोल के बाजार का फ्रंट एक जैसा बना सकते हैं. अभी मंदिर के पास केवल 100-200 दर्शनार्थियों के लायक ही ढांचा विकसित है. इसे 500 से 1000 दर्शनार्थी, भक्त और पर्यटकों के हिसाब से विकसित किए जाने की आवश्यकता है.

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