रामगंजमंडी (कोटा).कोटा की ग्राम पंचायत हिरियाखेड़ी के चौसला गांव में 125 परिवार का बसेरा है. लेकिन सीमेंट फैक्ट्री का उड़ती धूल इनकी जिंदगी में अंधेरा ला रहा है. इस समस्या से रोजाना सामना कर रहे परिवारों के पास ईटीवी भारत पहुंचा और जब ग्राउंड पर जाकर सर्वे किया तो पाया कि गांव में सीमेंट फैक्ट्री से उड़ाने वाली डस्ट से अधिकांश परिवार को सांस लेने में परेशानी हो रही है.
गांव में इस बीमारी का शिकार बड़े तो दूर बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे है. अधिकांश लोग सांस और टीबी रोग से ग्रसित होकर नारकीय जिंदगी जीने को मजबूर है. गांव में इंसान ही नहीं जानवर तक मर रहे है अगर इस लिस्ट पर नजर डाले तो कई नाम सामने आएंगे, जो इस धूल के कारण गंभीर रोग से ग्रस्त है...
- रमेश s/o रामचन्द्र बागरी, श्वास व क्षय रोग से ग्रसित
- श्यामलाल s/o मांगीलाल भील, श्वास रोग से ग्रसित
- भंवरलाल s/o मोहनदास बैरागी, कैंसर पीड़ित
- छीतरलाल s/o कंवरलाल मीणा, श्वास रोग से ग्रसित
- ध्रुव s/o नंदलाल मीणा, थैलीसीमिया से ग्रसित
- कैलाश s/p भेरू दास बैरागी, श्वास व क्षय रोग से ग्रसित
- संजूबाई w/o राधे श्याम नागर, पेट रोग से ग्रसित
- मोडू s/o चंपालाल मेघवाल, श्वास व क्षय रोग से ग्रसित
- रतनलाल s/o भवाना मेघवाल, श्वास व क्षय रोग से ग्रसित
- गोविंद s/o लक्ष्मीनारायण बैरागी, पेट रोग से ग्रसित होकर ऑपरेशन करवाया
- बजरंग s/o देवीलाल मेहर, किडनी रोग से ग्रसित होकर ऑपरेशन करवाया
- कौशल्याबाई w/o कैलाश, टीबी से ग्रसित
खतरनाक बीमारियों से लड़ते ग्रामीण
गांव में 120 परिवार में तकरीबन 25 मरीज तो गंभीर बीमारियों से ग्रसित जीवन जी रहे हैं. कई ग्रामवासी ऐसी खतरनाक बीमारियों से लड़ते भी नजर आए. कई किसानों व महिलाओं को अधिकांश श्वास व टीवी रोग से ग्रसित होकर नारकीय जिंदगी जीने को मजबूर होना पड़ रहा है. यहां डस्ट का ये हाल है कि खाने पीने की सामग्री में तक में आ जाती है. इतना ही नहीं इस डस्ट से आस पास के किसान भी अपनी फसल को लेकर चिंतित है. वहीं प्रशासन की मिलीभगत गांव को वाशिंदों को नारकीय जिंदगी जीना पड़ रहा है. सीमेंट फैक्ट्री से उड़ने वाली डस्ट गांव के वाशिन्दों की जिंदगियां पर भारी पड़ रही है.
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कई बार प्रशासन को बताया लेकिन कोई असर नहीं