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कोटाः अपने ही क्षेत्र को छोड़ व्यापारी दूसरे जिले से महंगा कोटा स्टोन खरीदने को मजबूर, मजदूर भी क्षेत्र से कर रहे पलायन

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Published : Dec 12, 2019, 3:36 AM IST

रामगंजमंडी क्षेत्र में कोटा स्टोन खदान क्या बन्द हुई व्यापारियों को पड़ोसी जिले से निकल रहे कोटा स्टोन की महंगी कीमत चुकानी पड़ रही है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भोपाल बेंच के आदेश की पालना में खनिज विभाग ने क्षेत्र की एक बड़ी खदान एसोसिएट स्टोन इंडस्ट्रीज को बंद करवाया है. जिसकी वजह से व्यापारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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व्यापारी दूसरे जिले से महंगा कोटा स्टोन खरीदने को मजबूर

रामगंजमंडी (कोटा).क्षेत्र में कोटा स्टोन की खदान क्या बन्द हुई पड़ोसी जिले से निकल रहे कोटा स्टोन को खदान मालिकों ने महंगा कर दिया है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भोपाल बेंच के आदेश की पालना में खनिज विभाग ने क्षेत्र की एक बड़ी खदान एसोसिएट स्टोन इंडस्ट्रीज को बंद करवाया है. वहीं, कोटा स्टोन व्यापारियों ने झालावाड़ जिले में रुणजी, बिरयाखेड़ी, भीलवाड़ी, नांदयाखेड़ी में संचालित कोटा स्टोन की खदानों से निकलने वाला कोटा स्टोन को 4 रुपये से लेकर 8 रुपये तक महंगा कर दिया है.

व्यापारी दूसरे जिले से महंगा कोटा स्टोन खरीदने को मजबूर

बता दें कि बंद हुई एसोसिएट स्टोन इंडस्ट्रीज से प्रतिदिन करीब 6 सौ से अधिक ट्रकों की ओर से खदानों से पत्थर का परिवहन होता था. रफ पत्थर की प्रोसेसिंग के लिए पॉलिश फेक्ट्रियों में भेजा जाता था. वहीं कुदायला, अमरपुरा और कुम्भकोट एरिए में लगी कोटा स्टोन फैक्ट्रियां इस इंडस्ट्रीज की खदान से आने वाले रफ पत्थर पर आश्रित थी.

प्रोसेसिंग यूनिटों को किराए पर चला रहे व्यपारियों को झटका-

वहीं अब हालात यह है कि कोटा स्टोन प्रोसेसिंग यूनिट को चालू रखने के लिये महंगा कोटा स्टोन खरीद कर यूनिट को चालू रखा जा रहा है, जो कोटा स्टोन व्यपारी प्रोसिसिंग यूनिटों को किराए पर चला रहे है, उनको भारी झटका लगा है. अगर एक दिन भी यूनिट बन्द रह जाए तो 3 हजार से लेकर पांच हजार रुपये तक का नुकसान भुगतना पड़ेगा. इसी कारण महंगा कोटा स्टोन खरीद रहे है. वहीं रामगंजमण्डी उपखण्ड वैसे तो कोटा स्टोन के नाम से जाना जाता है लेकिन हालात इस कदर हो गए है कि यहां के व्यापारियों को अपने ही क्षेत्र को मजबूरी में छोड़ कर दूसरे जिले से मंहगा कोटा स्टोन खरीदने को मजबूर हो रहे है.

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वैसे तो उपखण्ड में लाइमस्टोन की कुल 56 खदानें हैं जिनमें से चेचट की करीब आधा दर्जन, पिपाखेड़ी में भी 3 खदाने पर्यावरण स्वीकृति के अभाव में पहले से ही बंद पड़ी है. वही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भोपाल बेंच के आदेश की पालना में खनिज विभाग ने क्षेत्र की एक बड़ी खदान एसोसिएट स्टोन इंडस्ट्रीज का खनिज उत्पादन कार्य को बंद करवा दिया है.

बढ़ती रेट चिंता का कारण-

कोटा स्टोन एसोसिएशन के पदाधिकारियों और व्यापारियों का कहना है कि कोटा स्टोन जो माल प्रोसेसिंग हो रहा है उस पर किसी प्रकार की रेट नहीं बढ़ी है. ना ही बाहर के व्यापारी प्रोसैसिंग कोटा स्टोन रेट को बढ़ा रहे है. साथ ही बताया कि आज हम दूसरे जिले की जो खदानों से माल ला रहे हैं उन पर प्रति रफ कोटा स्टोन फुट के हिसाब से 5, 6 और 8 रुपये तक कि बढ़ोत्तरी हुई है आगे जब रेट नहीं बढ़ रही है तो यह रेट व्यापारी सहन नहीं कर सकता. वहीं जल्द ही क्षेत्र की कोटा स्टोन प्रोसैसिंग यूनिट भी बंद हो जाएगी.

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यहां तक कि क्षेत्र में जो बाहर के मजदूर काम करते थे वह भी पलायन करने लगे है. यहां तक कि रामगंजमंडी की अर्थव्यवस्था डगमगाने लग गई है. कोटा स्टोन व्यापारी से लेकर मजदूर तक रोजगार का संकट आ गया है. सरकार और एनजीटी से मांग है कि मुकुन्दरा टाइगर रिजर्व एरिये को इकोनॉमिक सेंसिटिव जॉन घोषित किया जाए. ताकि क्षेत्र की सभी कोटा स्टोन खदाने फिर से शुरू हो जाए.

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