कोटा.ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के निर्माण को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सियासी पार्टियों ने चुनाव से पहले वादा किया गया था. हालांकि, चुनाव के बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी और केंद्र में भाजपा नीत एनडीए सत्ता में आई. ऐसे में दोनों ही सरकारों के बीच कोटा का एयरपोर्ट उलझ कर रह गया. कभी एयरपोर्ट के लिए चिन्हित वन भूमि के डायवर्जन का मुद्दा उठता है तो कभी इसके डायवर्जन चार्ज को जमा करने को लेकर दोनों ही सरकारों के प्रतिनिधि आमने-सामने होते हैं. इस मुद्दे को लेकर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने दो दिन पहले ही केंद्र की मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार एयरपोर्ट के लिए पैसा खर्च नहीं करना चाहती है. यहां तक की पुराने एयरपोर्ट की जमीन को बेचकर उससे अर्जित राशि से ही एयरपोर्ट का निर्माण करना चाहती है. वहीं. इस मुद्दे पर यूडीएच मंत्री की टिप्पणी के बाद कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र के भाजपा विधायकों ने राज्य की गहलोत सरकार व यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को आड़े हाथ लिया.
भाजपा विधायकों का पलटवार -भाजपा विधायकों ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल पर झूठ बोलने और भ्रामक दावे करने का आरोप लगाया है. साथ ही कहा कि राज्य सरकार की वजह से ही कोटा का ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट अटका हुआ है. वन भूमि के डायवर्जन का पैसा नगर विकास न्यास को ही जमा करवाना था. बार-बार पत्र लिखे जाने के बाद भी न्यास ने पैसा जमा नहीं करवाया. यही वजह है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी को वन भूमि के उपयोग के अधिकार अब तक नहीं मिले हैं. कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने स्वयं तय किया था कि डायवर्जन करवाने की कार्यवाही नगर विकास न्यास कोटा करवाएगी. कैबिनेट में भी यह निर्णय लिया गया था. इसके बावजूद यूआईटी कोटा ने 38.95 करोड़ रुपए वन विभाग को जमा नहीं करवाया. राज्य सरकार की एयरपोर्ट अथॉरिटी को जमीन उपलब्ध कराने की मंशा ही नहीं है.
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आंशिक राशि में कैसे होगा डायवर्जन - बूंदी विधायक अशोक डोगरा ने कहा कि धारीवाल डायवर्जन के लिए पहली किश्त में नगर विकास न्यास कोटा की ओर से 21.13 करोड़ रुपए जमा करवाने की बात कह रहे हैं. जबकि आंशिक राशि जमा करवाकर वन भूमि का डायवर्जन संभव नहीं है. डायर्वजन की सैद्धांतिक स्वीकृति फरवरी 2023 में ही मिल गई थी, लेकिन नगर विकास न्यास के राशि जमा नहीं करवाने के कारण बीते 8 माह से डायवर्जन का अंतिम आदेश जारी नहीं हो सका है. जबकि डोगरा ने कहा कि राज्य सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग ने 14 दिसंबर, 2022 को कोटा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के संबंध में पैसा जमा करने का आदेश जारी किया था. इसमें डायवर्जन का पैसा नगर विकास न्यास और पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन को रॉ कॉस्ट व कंसल्टेंसी के पैसे का भुगतान प्रशासनिक विभाग की ओर से किए जाने की बात रही. इसके अलावा लाइन शिफ्टिंग का पैसा राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम की ओर से जमा करवाया जाना था. राज्य सरकार के विभिन्न विभाग अपने ही आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं और धारीवाल केंद्र सरकार पर दोष मढ़ने का काम कर रहे हैं.
भार रहित भूमि देने की जिम्मेदारी राज्य की - रामगंजमंडी विधायक मदन दिलावर ने कहा कि ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के निर्माण के लिए भार रहित (लायाबिलिटी फ्री) भूमि उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. ऐसे में यह भी झूठ है कि ग्रिड लाइन हटाने का काम प्रोजेक्ट कॉस्ट में आता है. पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने तो राज्य सरकार के आग्रह पर कंसल्टेंसी चार्जेज कम कर दिया, जिस कारण राज्य सरकार को अब 54 करोड़ की जगह 47 करोड़ ही जमा करवाने हैं. उसके लिए अब तक 11 रिमाइंडर राज्य सरकार को भेजे जा चुके हैं.