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Kota : डेंगू मरीजों पर बड़ा संकट, इलाज के लिए सबसे जरूरी SDP की भारी कमी... इलाज RDP के भरोसे - कोटा जिले में डेंगू के मामले

कोटा में सिंगल डोनर प्लेटलेट्स की कमी के चलते आरडीपी (RDP) पर अब डेंगू के मरीज निर्भर हो गए हैं. एक RDP से जहां पर तीन से चार हजार प्लेटलेट काउंट बढ़ते हैं. जबकि एक एसडीपी से यह 30 से 60 हजार हैं. इसके बावजूद केवल जोखिम वाले मरीजों को ही एसडीपी (SDP) उपलब्ध करवाई जा रही है.

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कोटा में बढ़ रही मरीजों की संख्या

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Published : Nov 15, 2021, 5:35 PM IST

कोटा. डेंगू का कहर पूरे प्रदेश में चल रहा है. कोटा में सर्वाधिक डेंगू के केस लगातार सामने आ रहे हैं. डेंगू के मरीजों के उपचार में काम आने वाली सिंगल डोनर प्लेटलेट की भी कमी बनी हुई है. क्योंकि इसके किट ही विदेशों से भारत में पर्याप्त सप्लाई में नहीं मिल रही हैं. इसके चलते केवल लाइफ सेविंग कंडीशन में ही मरीजों को सिंगल डोनर प्लेटलेट्स उपलब्ध करवाई जा रही है. चिकित्सकों का कहना है कि जिन मरीजों की प्लेटलेट काउंट 10000 से नीचे पहुंच गई है या फिर उनके ब्लीडिंग की शिकायत हो गई है, ऐसे ही मरीजों को इमरजेंसी के रूप में सिंगल डोनर प्लेटलेट्स एमबीएस अस्पताल के ब्लड बैंक से उपलब्ध करवाई जा रही है. अन्य मरीजों को रैंडम डोनर प्लेटलेट्स ही दी जा रही है.

रैंडम डोनर प्लेटलेट्स के भरोसे ही डेंगू के मरीज हैं. ऐसे में उन्हें एक एसडीपी की जगह तीन से चार आरडीपी चढ़ाई जा रही है. लगातार डेंगू के मरीजों की मांग बढ़ रही है कि एमबीएस अस्पताल के ही ब्लड बैंक की बात की जाए, तो इस महीने महज 15 दिनों में ही 1030 आरडीपी मरीजों को जारी की गई है.

कोटा में बढ़ रहे डेंगू के मरीज

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यानी कि 1 दिन में 70 से भी ज्यादा का औसत आ रहा है. डेंगू के सीजन के पहले जब मरीजों को मिल रही थी, तब यह औसत 20 से 25 प्रतिदिन ही जारी होती थी, लेकिन अब यह दुगनी से भी ज्यादा बढ़ गई है. बीते 3 महीने की बात की जाए तो, अब तक 2600 आरडीपी मरीजों को जारी की जा चुकी है. आरडीपी के लिए लगातार कैम्पों के लिए भी स्वयंसेवी संस्थाओं से भी संपर्क कर रहे हैं, ताकि रक्तदान चलता रहे आरडीपी केवल 5 दिन तक ही उपयोग में ली जा सकती है. इसीलिए इसका ज्यादा बनाना भी नुकसान दायक है.

किट की स्थिति अभी भी नहीं हुई सामान्य

एमडीएस ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ. एचएल मीणा का कहना है कि एसडीपी किट की मांग के अनुरूप सप्लाई नहीं मिल पा रही है. हमें 20 से 30 किट की ही सप्लाई मिल रही है. हम डिमांड काफी ज्यादा कर रहे हैं. अभी भी हमारे पास 8 से 10 किट रखे हुए हैं, जो कि केवल इमरजेंसी के मरीजों को ही उपयोग में लेने हैं. हम एसडीपी उन्हीं मरीजों के लिए जारी कर रहे हैं. जिनके एब्नॉर्मल ब्लीडिंग हो रही है या फिर मरीजों की प्लेटलेट काउंट 10000 से नीचे है. डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन भी यही है.

निजी अस्पतालों से ज्यादा आ रही एसडीपी की डिमांड

सिंगल डोनर प्लेटलेट्स की बात की जाए तो एमबीएस अस्पताल में डेंगू के इस सीजन में अब तक 324 एसडीपी बनाकर मरीजों को सौंपी गई है. जबकि डिमांड काफी ज्यादा है. एमबीएस ब्लड बैंक प्रभारी डॉ मीणा का कहना है कि 50 फीसदी से ज्यादा डिमांड निजी अस्पतालों में भर्ती मरीज की आ रही है. पूरे देश के साथ ही कोटा में भी एसटीपी किट की शॉर्टेज बनी हुई है. ऐसे में निजी ब्लड बैंक भी इससे अछूते नहीं है.

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रैंडम डोनर प्लेटलेट्स के लिए सामान्य लोगों से होने वाले ब्लड डोनेशन का ज्यादा महत्वपूर्ण रोल है. एमबीएस अस्पताल को जो भी ब्लड डोनेशन में मिलता है. उसमें से पैक सेल वॉल्यूम, फ्रेश फ्रोजन प्लाजमा और रेंडम डोनर प्लेटलेट्स तैयार की जाती है. ऐसे में डोनेशन में से आने वाले 1 ब्लड से एक आरडीपी की यूनिट तैयार हो जाती है. एक आरडीपी यूनिट 2 से 4 हजार प्लेटलेट्स मरीजों में बढ़ा देती है. जबकि एसडीपी में यह 30 से 60 हजार यूनिट तक मरीज में बढ़ती है.

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