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दलित, पिछड़े और आदिवासियों को भी गैर आरक्षित सीटों से चुनाव लड़ना चाहिए: भीम आर्मी चीफ

भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद का कहना है कि दलित, पिछड़े और आदिवासियों आरक्षित सीटों से ही चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. इन्हें गैर आरक्षित सीटों से भी चुनाव लड़ना चाहिए.

Bhim Army Chief Chandrashekhar Azad
भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 5, 2023, 9:02 PM IST

भीम आर्मी चीफ ने गैर आरक्षित सीटों पर दिया बड़ा बयान...

कोटा.आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) की संविधान बचाओ यात्रा को लेकर गुरुवार को भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद लेकर पहुंचे. जिसके तहत महाराव उम्मेद सिंह स्टेडियम में एक सभा आयोजित हुई. सभा के बाद आजाद ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि दलित, पिछड़े, आदिवासियों को आरक्षित सीटों से ही चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. हर सीट पर एससी-एसटी व माइनॉरिटी सबसे ज्यादा है. ऐसे में सभी सीटों पर जहां भी मजबूत प्रत्याशी जीतने के लिए होंगे, वहां पर इन्हें खड़ा करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि हमारी सबसे बड़ी मूर्खता है कि हम आरक्षित सीटों से ही चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि गैर आरक्षित सीटों पर भी हमारा गठजोड़ जीत सकता है. हम पूरी योजना बना रहे हैं और 7 अक्टूबर को पहली लिस्ट जारी कर देंगे और उसके चार दिन बाद दूसरी लिस्ट जारी करेंगे. हमारे केंद्रीय नेता प्रचार की पूरी कमान संभालेंगे. कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, यह पार्टी का नीति का फैसला होगा.

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ईसीआरपी पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस-बीजेपी दोनों खेल रही हैं. यह नहीं देख रही हैं कि उसकी वजह से 13 जिलों के किसानों को व आम जनता को नुकसान हो रहा है. उसमें बहुत पहले काम हो जाना चाहिए था, यह नहीं हुआ. ये चुनावी मुद्दा बनाएंगे, लेकिन वोट मांगने वालों को सोचना चाहिए कि जनता बेवकूफ नहीं रही है. भाजपा की केंद्र और राज्य में सरकार होने के बावजूद भी उन्होंने यह काम नहीं किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसे चुनावी मुद्दा बना रहे हैं. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपने हिस्से की राशि जमा नहीं करवाई थी.

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फ्री राशन और मोबाइल की बात पर उन्होंने कहा कि पहले रात के अंधेरे में नोट देकर वोट खरीद जाते थे. बड़ी पार्टियों के नेता समझते थे कि वोट अगर इनके पास आएंगे, तो ताकत उनके पास आ जाएगी. इसको लेकर ही वे फार्मूला लेकर आए थे वोट के बदले नोट. अब चुनाव के पहले कुछ दो का सिस्टम का यह पार्ट हो गया है.

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उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपए से कीमती वोट है और वोट अगले 5 साल का भविष्य तय करता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व सरकार अगर कुछ दे रही है, तो क्या सरकार अपनी जेब से दे रही है. यह नेता अपनी संपत्ति या व्यापार से नहीं दे रहे हैं. जनता के टैक्स का पैसा है. जातिगत जनगणना क्यों नहीं कर गई यह भी सवाल है. बिहार में जिस तरह से आंकड़े आएं हैं. जिस तरह से आर्थिक आंकड़े जारी होंगे, किसके पास कितने साधन और कितनी संख्या है. उसे क्या मिलना चाहिए.

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