कोटा.देश में रबी की फसल की बुवाई चल रही है और डाई अमोनियम फास्फेट यानी DAP का संकट चल रहा है. डीएपी के बाद अब किसानों के सामने यूरिया संकट खड़ा होने वाला है. यूरिया की सप्लाई पर्याप्त मात्रा में डीलर्स को नहीं मिल पा रही है. इसके चलते आने वाले दिनों में किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया (Shortage of Urea) उपलब्ध नहीं हो पाएगा.
डीएपी का विकल्प सुपर सिंगल फास्फेट यानी एसएसपी है, लेकिन यूरिया का कोई विकल्प नहीं है. ऐसे में आगामी दिनों में किसानों को फर्टिलाइजर की समस्या से जूझना पड़ेगा. क्योंकि पर्याप्त सप्लाई नहीं हो पा रही है. विदेशों से यूरिया का आयात भी नहीं हुआ है. इसके चलते केवल कोटा संभाग में एक कंपनी के अलावा अन्य चार कंपनियों को यूरिया नहीं मिल पा रहा है. रबी के सीजन में अभी तक 4 लाख 52 हजार हेक्टेयर में बुवाई हुई है जिसमें अधिकांश में सरसों, चना और लहसुन बोया गया है. जबकि यह आंकड़ा सरकारी लक्ष्य के अनुसार 11 लाख 87 हजार हेक्टेयर तक पहुंचेगा.
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डिमांड का 30 फीसदी मिला अब तक
कोटा संभाग की बात की जाए तो 2 लाख 97 हजार मीट्रिक टन यूरिया की सीजन में खपत होती है. इस बार 8 अक्टूबर तक 97 हजार मीट्रिक टन यूरिया आया है. जिसमें सबसे ज्यादा सप्लाई कोटा जिले के ही गड़ेपान में स्थित चंबल फर्टिलाइजर एंड केमिकल लिमिटेड की है. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक राम अवतार शर्मा का कहना है कि अभी किसानों ने 75 हजार मीट्रिक टन यूरिया बाजार से खरीद लिया और 22 हजार मीट्रिक टन बाजार में उपलब्ध है. आने वाले दिनों में कोटा में यूरिया की सप्लाई रेल मार्ग के जरिए रोज 1500 से 1700 मीट्रिक टन रहने वाली है. सीएफसीएल गड़ेपान से भी कोटा संभाग को यूरिया मिल रहा है. इसके चलते कोटा संभाग में यूरिया की कमी नहीं आएगी.
दूसरी कंपनियों की सप्लाई, पिछले साल से मात्र 20 फीसदी
दूसरी तरफ दूसरी पांच कंपनियों का यूरिया कोटा नहीं पहुंचा है. इन कंपनियों के डीलर्स को पिछले साल के मुकाबले महज 20 फीसदी सप्लाई ही मिली है. इनमें इंडियन पोटाश लिमिटेड (आईपीएल), इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव (इफको), नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड (एनएफएल), गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल लिमिटेड (जीएसएफसी) व कृषि भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड (कृभको) शामिल हैं. इफको के प्रतिनिधि नरेंद्र सुवालका का कहना है कि पिछले साल इस समय तक 10 से 12 हजार मीट्रिक टन यूरिया सप्लाई हो गया था. यह इस बार 2500 मेट्रिक टन ही है. अधिकांश कंपनियां सप्लाई नहीं दे रही है.