इटावा (कोटा).जिले के अयाना थाना क्षेत्र के डोरली के पास नहर किनारे पत्तों की झोपड़ी बनाकर एक परिवार रह रहा है. जो यहां मध्यप्रदेश के झाबुआ से खाने-कमाने आया था, लेकिन अब इनके सामने खाने-पीने के साथ ही रहने का भी संकट आया हुआ है और यह बार-बार प्रशासन से गुहार लगा रहा है, कि इन्हें इनके गांव पहुंचा दिया जाए. लेकिन कोई इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.
घर जाने की लगा रहे है गुहार जानकारी के अनुसार दाई मुख्य नहर की अयानी ब्रांच कैनाल पर डोरली के समीप नाले के निर्माण के लिए झाबुआ से छह सदस्य परिवार यहां मजदूरी के लिए आया था. इसी दौरान कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन होने से यह लोग वापस नहीं लौट सके. वहीं जब तक निर्माण कार्य चला तब तक तो इन्हें कोई परेशानी नहीं हुई, लेकिन निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ठेकेदार ने इनकी मजदूरी का भुगतान कर इनसे पल्ला झाड़ लिया.
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लॉकडाउन के चलते यह परिवार अपने घर नहीं लौट सका, तो कार्यस्थल पर ही पेड़ की टहनियों की टापरी बना कर समय काटने को मजबूर हो गए. इन लोगों ने बताया की गेहूं की कटाई के समय खेतों में से गेहूं की बालियां बिनकर खाने के लिए अनाज की व्यवस्था की थी, लेकिन समय निकलने के साथ ही अब इन लोगों के सामने भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई है.
अयाना थाना क्षेत्र के बिनायका ग्राम पचायत के डोरली के समीप फंसे इस मजदूर परिवार के मुखिया राजेंद्र ने बताया की उनके साथ तीन पुत्र, पत्नी और पुत्र वधु सहित 6 माह की बच्ची है. वहीं पुत्र वधु गर्भवती है, जिसे कभी भी प्रसव पीड़ा शुरू हो सकती है. जैसे-तैसे करके उन्होंने तपती गर्मी में तो समय काट लिया, लेकिन अब आये दिन मौसम खराब होने और बरसात के बाद भी यह लोग खुले आसमान के तले रहने को मजबूर है.
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इन लोगों ने बताया की कोरोना के डर से गांवों के लोग डरे हुए है, ऐसे में वह गांव की ओर भी नहीं जा पाते. इन लोगों की समस्या को देखते हुए डोरली के कुछ लोगों ने बिनायका ग्राम पचायत सरपंच को भी अवगत करवाया है. जहां से अभी इनको राशन उपलब्ध करवाया जा रहा है. वहीं यह अनपढ़ परिवार प्रशासन से इन्हें अपने गांव भेजने की गुहार लगा रहा है, लेकिन प्रशासन है कि टालमटोल करता नजर आ रहा है.
पिछले दो दिन से क्षेत्र में बिगड़ रहे मौसम ने भी इन लोगों की चिंता बढ़ा दी है. खुले आसमान तले रहने को मजबूर इस मजदूर परिवार ने रविवार को पूरी रात जागकर काटी, तो पूरा परिवार भूखा ही रहा. उन्होंने बताया की उनके साथ छोटे बच्चे हैं, जिनकी चिंता लगी रहती है. ऐसे में मौसम बिगड़ने के साथ ही चिंता बढ़ जाती है.