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शिक्षा के क्षेत्र में काशी कहलाने के बाद अब  कोटा का पर्यटन क्षेत्र में बढ़ा कदम, चंबल नदी पर बनेगा 400 करोड़ का रिवरफ्रंट - कोटा यूआईटी

शिक्षा के क्षेत्र में काशी कहलाने के बाद अब कोटा पर्यटन के क्षेत्र में अपने कदम आगे बढ़ा रहा है. राज्य सरकार की ओर से बजट में दी गई सौगात के तहत यहां चंबल नदी पर 400 करोड़ से रिवरफ्रंट बनेगा. नगर विकास न्यास कोटा ने चंबल रिवरफ्रंट के लिए 5 करोड़ की लागत से डीपीआर बनाने का निर्णय किया है. जिसके लिए जल्द ही कंसल्टेंट नियुक्त किया जाएगा.

चंबल नदी पर बनेगा रिवरफ्रंट

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Published : Jul 11, 2019, 7:41 PM IST

कोटा. प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अपने पहले बजट में ही कोटा को एक नया पर्यटन स्थल विकसित करने का तोहफा दिया है. राज्य सरकार ने अपने बजट में कोटा की चंबल नदी पर अहमदाबाद की साबरमती जैसा रिवरफ्रंट बनाने की घोषणा की है. इसके लिए 400 करोड़ रुपए का प्रावधान भी बजट में रखा है. रिवरफ्रंट बनने के बाद कोटा शहरवासियों को एक और नया पिकनिक स्पॉट मिल सकेगा. साथ ही बाहर से आने वाले पर्यटक भी चंबल रिवर फ्रंट को देखने आ सकेंगे. जिससे पर्यटन की दृष्टि से भी कोटा को लाभ मिलेगा.

चंबल नदी पर बनेगा रिवरफ्रंट, यूआईटी ने शुरू की तैयारियां

राज्य सरकार की बजट घोषणा के साथ ही नगर विकास न्यास ने 5 करोड़ रुपए की लागत से चंबल रिवरफ्रंट की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं. जल्द ही इसके लिए कंसल्टेंट नियुक्त हो जाएगा. यूआईटी के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट से भी ज्यादा सुंदर और आकर्षक कोटा का चंबल रिवरफ्रंट बनाया जाएगा.

जबकि, वर्तमान में चंबल नदी के दोनों किनारे दुर्दशा का शिकार हो रहे हैं. दिन-ब-दिन यहां पर लोग अतिक्रमण करते जा रहे हैं. वहीं बैराज से लेकर नयापुरा तक कई गंदे नाले भी चंबल नदी में गिरते हैं. ऐसे में रिवरफ्रंट बनने से चंबल नदी का शुद्धिकरण भी संभव हो सकेगा. साथ ही इसके किनारों पर हो रहे अतिक्रमण पर भी विराम लग सकेगा.

यूआईटी के सचिव भवानी सिंह पालावत का कहना है कि कोटा बैराज से नयापुरा तक करीब ढाई किलोमीटर लंबे रिवरफ्रंट में चंबल नदी के दोनों किनारों को विकसित किया जाएगा. यहां पर चौपाटी, एम्यूजमेंट पार्क, बड़े गार्डन बनाए जाएंगे. जिनमें झूले, वॉक- वे, फाउंटेन, मॉन्यूमेंट्स आदि तैयार किए जाएंगे. कुछ जगह पर कॉमर्शियल एक्टिविटी के लिए भी स्थान छोड़ा जाएगा. इसके साथ ही चंबल के जो पुराने रियासत कालीन घाट है, उनको भी संरक्षित किया जाएगा.

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