करौली.शहर से 7 किलोमीटर दूर मंडरायल रोड पर करोड़ों रुपए की लागत से नवीन जिला अस्पताल का भवन बनाया गया है. इस अस्पताल के भवन में पहले से ही मातृ शिशु इकाई अस्पताल को शिफ्ट कर दिया गया था. लेकिन अब सरकार के निर्देशों की पालना में शहर के कोतवाली थाना स्थित जिला अस्पताल में से विभिन्न प्रकारों की इकाईयों को 29 जुलाई तक स्थानांतरित कर दी गई है. इसमें नाक, कान, गला, नेत्र, मनोचिकित्सा, फिजियोथैरेपी, चर्म रोग, दंत विभाग आदि शामिल हैं.
अस्पताल की विभिन्न इकाईयां नए भवन में स्थानांतरित इस बीच शहर के लोगों की ओर से इसका खासा विरोध किया जा रहा है. लोगों का कहना है कि नवीन जिला अस्पताल की खस्ताहाल सड़क और गहरे गड्ढे होने के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. यहां तक कि इस नवीन भवन पर आवागमन के लिए यातायात के समुचित साधनों का भी इंतजाम नहीं है. साथ ही सुनसान सड़क मार्ग पर रोशनी के इंतजाम का भी अभाव है. बारिश के मौसम में तो पैदल निकलना भी दुश्वार हो जाता है. ऐसे में कई बार चिकित्साकर्मी सहित आने-जाने वाले लोग चोटिल हो जाते हैं. इसके बावजूद प्रशासन ने नए भवन में विभिन्न इकाइयों को शिफ्ट करने की तो कवायद शुरू कर दी है.
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स्थानांतरित करने की कवायद शुरू
वर्तमान में जिला अस्पताल के नवीन भवन मंडरायल सड़क मार्ग पर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य इकाई का संचालन किया जा रहा है. जबकि आगामी 31 जुलाई को नवीन भवन में नाक, कान, गला, नेत्र, मनोचिकित्सा, फिजियोथैरेपी, चर्म रोग, दंत विभाग, विभिन्न प्रकारों की ईकाइयों को स्थानांतरित करने के आदेश जारी हो चुके हैं. इसके लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कवायद भी शुरू कर दी है.
खस्ताहाल सड़कें बनी प्रसुताओं के लिए जान की आफत
नवीन अस्पताल को जाने वाली खस्ताहाल सड़क और गहरे गड्ढे नवजात और प्रसुताओं की जान की आफत बने हुए हैं. यहां तक कि इस नवीन भवन पर आवागमन के लिए समुचित यातायात का इंतजाम भी नहीं है. इसके बावजूद भी गरीब एवं मध्यम तबके के लोग गर्भवती महिलाओं के इलाज के लिए जिला मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर दूर नवीन अस्पताल लेकर पहुंचते हैं. लेकिन शिकारगंज चौराहे से लेकर अस्पताल तक पूरी सड़क की हालत बेहद खराब है. हालांकि, कुछ दिनों पहले सड़क को दुरुस्त भी करवाया गया था. लेकिन महज चंद दिनों में सड़क फिर से खराब हो गई.
वाहनों का अभाव
नए अस्पताल मार्ग की सड़क क्षतिग्रस्त होने से इस पर पर्याप्त यातायात के साधन भी उपलब्ध नहीं है. हालांकि, मंडरायल तक बसें जरूर जाती हैं. लेकिन ऑटो और टेंपो का अभाव ही रहता है. ऐसे में अस्पताल तक गर्भवती महिला और बीमार बच्चों को ले जाने की खातिर किराए के वाहनों में अधिक राशि चुकाना भी उनकी मजबूरी होती है. वहीं, रात के समय में सड़क मार्ग पर रोशनी की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को अनहोनी का भी डर सताता रहता है. जिससे रात के समय तो यह समस्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है.
नए भवन में शिफ्ट हुआ जिला अस्पताल चिकित्सा कर्मी भी हो चुके हैं दुर्घटनागस्त
सड़क के क्षतिग्रस्त हालत में होने के कारण चिकित्सालय के चिकित्सा कर्मी भी बेहद परेशान हैं. चिकित्साकर्मियों को भी अस्पताल से आवागमन के दौरान काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कई बार तो चिकित्साकर्मी दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं और कई बार तो उनके वाहन भी खराब हो चुके हैं. इस समस्या से आहत होकर चिकित्साकर्मियों ने कई बार शिकायतें भी की. लेकिन प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगती.
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बीच में ही अटक गया सड़क का कार्य
लगभग 2 वर्ष पहले अस्पताल मार्ग के लिए सरकार ने शिकारगंज से सांकरा मोड़ तक सड़क निर्माण के लिए बजट मंजूर किया था. इसके बाद कार्य भी शुरू हो गया. लेकिन बीच में कार्य खराब हो जाने से संवेदक की राशि अटक गई, जिसके चलते कार्य बंद हो गया. काफी समय गुजरने के बाद भी यह कार्य अभी तक शुरू नहीं हुआ है. वहीं, अधिकारियों का कहना है कि शीघ्र ही इस सड़क का कार्य शुरू कराया जाएगा.
शहरवासियों का कहना है कि लोगों को आपातकालीन स्थिति में जिला अस्पताल जाने के लिए सुगमता रहती है. लेकिन नए अस्पताल भवन के क्षतिग्रस्त हालात, टूटी-फूटी सड़कें, रोशनी का अभाव, वाहनों की समस्या के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. हालात इस कदर है कि रात के समय तो नए अस्पताल जाने के लिए लोगों को कई बार सोचना पड़ता है. अस्पताल की सुविधा वहां होनी चाहिए, जिसमें सभी लोग सुविधाजनक रूप से अपना इलाज कराने पहुंच सके.
लोगों का कहना है कि वर्तमान में जहां पर अस्पताल संचालित हो रही है. वहीं, शहर के लोगों के लिए अनुकूल है. नए अस्पताल जाने वाली सड़क मार्ग और वहां की जर्जर भवन बेहद खराब स्थिति में है. फिर भी प्रशासन विभिन्न इकाइयों को स्थानांतरण करने की कवायद कर रहा है, जो आमजन को मुसीबत में डालने जैसा है.