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नोटबंदी के 3 साल: करौली में बैंक मैनेजर रहे एचके मीणा ने बताए कैसे रहे वो दिन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 3 साल पहले की गई नोटबंदी भला किसे याद नहीं होगी. अब नोटबंदी को 3 साल पूरे हो गए है. उस समय लोगों को खासी दिक्कतें हुई थी. जिसके बाद सरकार की ओर से दावा किया गया था कि इसके कुछ समय बाद परिणाम सामने आएंगे. इसे लेकर ईटीवी भारत की ओर से अलग-अलग क्षेत्रों में इसके प्रभाव को लेकर जानकारी जुटाई गई. जिसमें करौली में टीम ने इस मुद्दे को लेकर बैंकर्स से बात की.

नोटबंदी को 3 साल पूरे, 3 years of notebandi

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Published : Nov 16, 2019, 7:20 PM IST

करौली.8 नवम्बर 2016 को नोटबंदी के तीन साल पूरे हो गये हैं. नोटबंदी के दौरान देखा गया था की घरों में शादी और लाख मुश्किलों के बावजूद देश की जनता ने सरकार के इस फैसले का खुलकर स्वागत किया था. नोटबंदी के 3 साल पूरे होने पर बैंक अधिकारियों ने ईटीवी भारत से खास चर्चा करते हुए कहा की नोटबंदी के दौरान लोगों को समस्या का सामना तो करना ही पड़ा, क्योंकि उस वक्त घरों में शादी का माहौल था. ऐसे में लोगों को 10 से 12 दिन तो बहुत ही परेशानी का सामना करना. लेकिन उसके बाद आरबीआई के मापदंडों के अनुसार आम राय बनी की शादी के कार्ड दिखाकर एसडीएम की अनुमति के बाद नोटबंदी के दौरान शादी वाले घरों में समस्या को बैंक अधिकारियों ने हल किया.

नोटबंदी के 3 साल पूरे होने पर करौली में बैंक मैनेजर रहे एचके मीणा से खास बातचीत

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वर्तमान में बड़ौदा स्वरोजगार विकास संस्थान करौली में निदेशक के पद पर कार्यरत एचके मीणा ने ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए बताया की नोटबंदी के दौरान करणपुर बैक में शाखा प्रबंधक के पद पर कार्यरत था. तीन साल पहले जैसे ही नोटबंदी की घोषणा हुई. लोगों की बैंक में दूर- दूर तक लाइन देखने को मिली. उस समय शादी-विवाह का भी सीजन था. ऐसे मे ज्यादातर भीड़ शादी वाले लोगों की रहती थी. नोटबंदी के चलते यह लोग काभी परेशान नजर आते थे. ऐसे में कई लोगों ने अपनी परेशानी जाहिर की थी.

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खास बातचीत में एचके मीणा ने बताया कि लेकिन हम भी क्या करे. आरबीआई के मापदंडों के अनुसार ही कैश दे सकते थे. ऐसे में लोगों को 10-12 दिन तो परेशानी का सामना करना ही पड़ा. फिर शादी वाले लोगों के लिए आरबीआई ने नोटिफिकेशन जारी किया गया. जिसमें आम राय बनी की एसडीएम के यहां पर जाकर शादी का कार्ड दिखाकर अनुमती लेने के बाद लिमिटेड कैश देने का प्रावधान रखा गया. इस तरह शादी वाले परिवारों की सहायता की गई. वहीं उन्होंने बताया कि काश्तकारों के लिए कृषि कार्य के लिए खाद बीज के लिए भुगतान कम मिल रहा था. ऐसे में यह तय कर लिया की जो भी काश्तकार बैंक में आएगा. उसको पैसे जरूर देंगे चाहे कम पैसे दें. जिससे किसी भी काश्तकार का काम प्रभावित नहीं हो. बैकर्स ने अपना पूरा प्रयास किया की किसी भी आदमी का कितना भी पैसा हिस्सा में आए. लेकिन हमने बराबर बांट कर सबको पैसा निकाल कर दिया.

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बैंक अधिकारी ने युवती का नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया की उस समय एक युवती की शादी थी और उसके हाथ में मेहंदी लगी हुई थी. वह बैंक में मेरे पास पहुंची. और अपनी पीड़ा जाहिर की. जिस पर आरबीआई के निकाले गए मापदंडों के अनुसार एसडीएम की अनुमति लेकर नियमानुसार पैसा निकालकर सहायता की. पैसा लेकर युवती की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. आज भी हम नोटबंदी के उस दौर की फीलिंग को महसूस करते है.

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