करौली.कोरोना महामारी के कारण पूरा विश्व भीषण संकट से जूझ रहा है. लोगों को ये चिंता भी सताने लगी है कि क्या पशुओं से भी कोरोना फैलता है. इसी को लेकर पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक खुशीराम मीना ने ईटीवी भारत से खास चर्चा करते हुए कहा कि कोरोना का संक्रमण पशुओं से नहीं फैलता है और ना ही मीट खाने से लोग कोरोना संक्रमित होते हैं.
उन्होंने कहा कि मैंने भी ये बातें सुनी है, लेकिन ये पूरी तरीके से झूठ है और लोगों की ओर से अफवाह फैलाई जा रही है. ऐसा कुछ नहीं है. मतलब पशुओं में कोरोना संक्रमण फैलने का एक भी मामला सामने नहीं आया है. ना ही विभाग की ओर से ऐसी कोई जानकारी या एडवाइजरी जारी कर अधिकारियों को बताया गया है. संयुक्त निदेशक ने ईटीवी भारत को बताया कि मीट खाने, अंडा खाने, मछली खाने से कभी कोरोना बीमारी नहीं फैलती है.
करौली जिले में पशुपालन विभाग की 12 गौशालाएं रजिस्टर्ड
ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए सयुंक्त निदेशक ने कहा कि कोरोना संकट को देखते हुए इस बार लॉकडाउन में पशुओं को क्या हानि हुई है और अपनी तरफ से पशुओं को बचाने के लिए क्या व्यवस्था की गई है. इस पर उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिला कलेक्टर करौली डॉ. मोहन लाल यादव और पशुपालन विभाग की टीम ने ये व्यवस्था की है कि कोई भी निराश्रित गौवंश भूख और प्यास से नहीं मरे.
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इसके साथ ही गौवंश के लिए चारे पानी की व्यवस्था नहीं हुई है, तो इसके लिए जिला कलेक्टर ने नगरपालिका तहसीलदार की ओर से कमेटी गठित की है. इसमें हिंडौन नगर परिषद क्षेत्र, टोडाभीम नगर पालिका क्षेत्र और करौली क्षेत्र के 836 गौवंश को ठीकरा सदन गौशाला में शामिल किया गया है. वहां उनके चारे पानी की व्यवस्था की गई है.
उन्होंने बताया कि करौली जिले में पशुपालन विभाग की 12 गौशाला रजिस्टर्ड हैं. जिसमें गौपालन निदेशालय की गाइडलाइन के अनुसार तीन गौशालाओं को अनुदान दिया जा रहा है. जिसमें सबसे बड़ी गौशाला ठीकरा सदन गौशाला है. जिला कलेक्टर करौली की ओर से निरन्तर गौशाला का निरीक्षण किया जाता है. पशुपालन विभाग की ओर से समय-समय पर उन गौशालाओं के अंदर रहने वाले गौवंश का टीकाकरण भी किया गया है. साथ ही विभाग के कार्मिकों की ओर से भीषण कोरोना महामारी में गौवंश की अच्छी देखभाल की गई है.
कोरोना संकट से पशुपालकों को उबारने के लिए दिया गया कृत्रिम गर्भाधान पर जोर
कोरोना संकट के चलते देशभर में लगे लॉकडाउन के बाद पशुपालकों को हुई हानि से उबारने के मामले पर संयुक्त निदेशक ने बताया कि करौली जिले की भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं जिसमें 128 ग्राम पंचायत पहाड़ी क्षेत्रों में आती हैं. ऐसे में पहाड़ी क्षेत्रों में पशुपालन विभाग की टीम पशुपालकों के पास जाकर पशुपालकों को पशुधन में फायदे के लिए पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान करवाकर उत्तम नस्ल के पशु पैदा करने के प्रति जागरूक करने का कार्य कर रही हैं.
टीम की ओर से ब्लॉक स्तर पर भी जगह-जगह उन्नत पशुपालन के लिए कैम्प लगाकर किसानों, पशुपालकों को बताया जाता है कि उन्नत नस्ल के पशु की संतान कैसे पैदा की जाए. टीम की ओर से अभी तक लगभग 20 हजार पशुओं मे कृत्रिम गर्भाधान करवाया जा चुका है. पशुपालन को बहुत अच्छा लाभ किसानों को मिला है. पशुओं में होने वाली बीमारियों के लिए टीकाकरण भी किया जा रहा है. जिससे पशुओं में किसी प्रकार की कोई भी बीमारी नहीं फैले.