करौली. जिले में पश्चिमी विक्षोभ निवार चक्रवाती तूफान के बाद बदले मौसम के मिजाज के बाद हुई मावठ ने अन्नदाता की झोली भर दी है. मावठ रूपी अमृत मिलने से रबी की उपज काभी लाभकारी मानी जा रही है. दरअसल बीते दिनों पश्चिम विक्षोभ निवार चक्रवाती तूफान के बाद बदले मौसम के मिजाज के साथ ही सर्दी भी बढ़ गई है. ऐसे में यह मावठ और सर्द मौसम रबी की फसल के लिए काफी फायदेमंद रही.
किसानों ने सरसों और अगेती गेहूं की फसल में उर्वरक और निराई का कार्य भी शुरू कर दिया. एक ओर अचानक ठंड बढ़ने से जहां लोग परेशान नजर आ रहे हैं, तो वहीं किसानों की बांछें खिली नजर आ रही है. रवि की फसल में प्रमुखतः सरसों, गेहूं और चना की फसल के लिए यह बारिश काफी लाभकारी मानी जा रही है.
किसानों ने बताया कि महंगाई का दौर चल रहा है. फसल की सिंचाई के लिए निजी ट्यूबवेल द्वारा भारी खर्च उठाना पड़ता था, लेकिन यह बारिश किसानों के लिए अमृत के रूप में देखी जा रही है. मौजूदा सीजन रवि की फसल का है. किसान गेहूं सरसों की बुवाई कर चुका है. फसल खेतों में लहलहा रही सरसों के अलावा गेंहू का अंकुरण भी तेजी से बढने लगा है. काश्तकार सरसों और गेहूं की फसल में प्रथम पानी लगाने की तैयारी कर रहा था. लेकिन सर्दी की पहली बारिश और मावट ने किसानों को बड़ी राहत दी है. कुल मिलाकर किसानों के लिए सीजन की पहली बारिश लाभकारी मानी जा रही है.
कृषि विभाग ने 1.82 लाख रवि की फसल की बुबाई का रखा लक्ष्य...
कृषि विभाग के उपनिदेशक बीडी शर्मा ने बताया कि इस वर्ष जिले में रबी फसल बुवाई का लक्ष्य 1.82 लाख हैक्टेयर का रखा है. इसमें लगभग 1 लाख 55 हजार हैक्टेयर में काश्तकार फसल बोबाई कर चुके हैं. विभाग को 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर में जल्दी ही बढ़ोतरी की पूरी उम्मीद भी है. रबी सीजन में अधिकांशत खेतों में गेहूं और सरसों की बुवाई हो चुकी है, जो भी किसान सिंचाई और अन्य कारणों से वंचित रह गए, वह भी जल्दी ही बुवाई कर देंगे. माह दिसंबर में पारा लुढकने और कडाके की सर्दी इस फसल के लिए लाभदायी और मावठ तो अमृत के समान होती है. दूसरी ओर, इस सर्द मौसम में मावठ पड़ जाने से किसानों को काभी का फायदा हुआ है.
अमृत मिलने से लहलहाई सरसो की फसल