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करौली : सोना बनकर बरसी मावट, खेतों में लहलहाने लगी सरसों की फसल...किसानों के खिले चेहरे

करौली में साल के अंतिम महीने में मौसम ने करवट क्या ली, किसानों के चेहरे खिल उठे. पश्चिमी विक्षोभ निवार चक्रवाती तूफान के बाद बदले मौसम के मिजाज के बाद हुई मावठ ने अन्नदाता की झोली भर दी है. मावठ रूपी अमृत मिलने से रबी की उपज के लिए यह बारिश काभी लाभकारी मानी जा रही है.

Mustard crop in the fields of karauli, करौली में अच्छी हुई रबी की उपज
करौली में अच्छी हुई रबी की उपज

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Published : Dec 6, 2020, 10:48 PM IST

करौली. जिले में पश्चिमी विक्षोभ निवार चक्रवाती तूफान के बाद बदले मौसम के मिजाज के बाद हुई मावठ ने अन्नदाता की झोली भर दी है. मावठ रूपी अमृत मिलने से रबी की उपज काभी लाभकारी मानी जा रही है. दरअसल बीते दिनों पश्चिम विक्षोभ निवार चक्रवाती तूफान के बाद बदले मौसम के मिजाज के साथ ही सर्दी भी बढ़ गई है. ऐसे में यह मावठ और सर्द मौसम रबी की फसल के लिए काफी फायदेमंद रही.

करौली में अच्छी हुई रबी की उपज

किसानों ने सरसों और अगेती गेहूं की फसल में उर्वरक और निराई का कार्य भी शुरू कर दिया. एक ओर अचानक ठंड बढ़ने से जहां लोग परेशान नजर आ रहे हैं, तो वहीं किसानों की बांछें खिली नजर आ रही है. रवि की फसल में प्रमुखतः सरसों, गेहूं और चना की फसल के लिए यह बारिश काफी लाभकारी मानी जा रही है.

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किसानों ने बताया कि महंगाई का दौर चल रहा है. फसल की सिंचाई के लिए निजी ट्यूबवेल द्वारा भारी खर्च उठाना पड़ता था, लेकिन यह बारिश किसानों के लिए अमृत के रूप में देखी जा रही है. मौजूदा सीजन रवि की फसल का है. किसान गेहूं सरसों की बुवाई कर चुका है. फसल खेतों में लहलहा रही सरसों के अलावा गेंहू का अंकुरण भी तेजी से बढने लगा है. काश्तकार सरसों और गेहूं की फसल में प्रथम पानी लगाने की तैयारी कर रहा था. लेकिन सर्दी की पहली बारिश और मावट ने किसानों को बड़ी राहत दी है. कुल मिलाकर किसानों के लिए सीजन की पहली बारिश लाभकारी मानी जा रही है.

कृषि विभाग ने 1.82 लाख रवि की फसल की बुबाई का रखा लक्ष्य...

कृषि विभाग के उपनिदेशक बीडी शर्मा ने बताया कि इस वर्ष जिले में रबी फसल बुवाई का लक्ष्य 1.82 लाख हैक्टेयर का रखा है. इसमें लगभग 1 लाख 55 हजार हैक्टेयर में काश्तकार फसल बोबाई कर चुके हैं. विभाग को 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर में जल्दी ही बढ़ोतरी की पूरी उम्मीद भी है. रबी सीजन में अधिकांशत खेतों में गेहूं और सरसों की बुवाई हो चुकी है, जो भी किसान सिंचाई और अन्य कारणों से वंचित रह गए, वह भी जल्दी ही बुवाई कर देंगे. माह दिसंबर में पारा लुढकने और कडाके की सर्दी इस फसल के लिए लाभदायी और मावठ तो अमृत के समान होती है. दूसरी ओर, इस सर्द मौसम में मावठ पड़ जाने से किसानों को काभी का फायदा हुआ है.

अमृत मिलने से लहलहाई सरसो की फसल

इन-दिनों में हुई बरसात से गेहूं, चना, जौ और सरसों की फसल को बहुत लाभ होता है. इससे उत्पादन में बढ़ोतरी होना निश्चित है. कृषि जानकारों की माने तो उत्पादन भी 20 से 30 फीसदी अधिक होता है. प्रति बीघा उत्पादकता में खासी बढ़ोतरी होने का अनुमान है.

बढ़ जाएगा पकाव समय

मावठ के बाद छाने वाला कोहरा रबी की खेती के लिए फायदेमंद साबित होगा. धुंध, ठंड, कोहरा ओस के साथ रबी फसलों को वायुमंडल में जमी प्राकृतिक नाइट्रोजन गैस किसानों की फसलों को यूरिया खाद के रूप में मिलती है. कोहरा, ठंड धुंध समय पर गिरने से फसलों को 5 से 20 फीसदी यूरिया खाद मिलता है. इससे फसलों में ग्रोथ होने के साथ ही कई प्रकार के रोगों से निजात भी मिलती. ओस के रूप में होने वाली बरसात में किसान गेहूं, जौ, चने की फसलों में यूरिया देते हैं.

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अब तक 1.55 लाख हैक्टेयर में रबी फसल की बुवाई

इस वर्ष जिले में रबी फसल बोआई का लक्ष्य 1 लाख 82 हजार हैक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है. इसमें से 1 लाख 55 हजार हैक्टेयर में फसल बुवाई का लक्ष्य हांसिल किया जा चुका है. अभी तक रबी फसल बुवाई में अनाज का लक्ष्य 80 हजार 250 में 64 हजार, दलहन 12 हजार में 8100, तिलहन 91 हजार में 78 हजार 638 हैक्टेयर सहित खाद्यान्न और तिलहन का कुल लक्ष्य 1 लाख 82 हजार में से 1 लाख 55 हजार हैक्टेयर में फसल बुवाई की जा चुकी है. रबी फसली सीजन में अंतिम रूप से 10 दिसंबर तक गेहूं की फसल की बोआई की जाती है.

जिले में इस वर्ष रबी फसल की बोआई पर एक नजर

फसल लक्ष्य बुवाई (हेक्टेयर)
गेहूं 80000 64000
जौ 250 0
चना 12000 8100
सरसो 90000 78500
तारामीरा 1000 138
अन्य 2000 1750

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