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Special: कैलादेवी मंदिर के पट खुले पर दुकानों पर लटक रहे ताले, पलायन को मजबूर दुकानदार

कोरोना महामारी के कारण करौली जिले स्थित कैलादेवी धाम में कोरोना संक्रमण की वजह से दुकान खोलने पर पाबंदी लगा दी गई है. इस वजह से मंदिर के बाहर कंठी-माला, भोग-प्रसाद की दुकान लगाने वाले दुकानदार के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. दुकानें बंद होने से घर चलाना भी उनके लिए मुश्किल हो गया है. हालात ये है कि दुकानदार पलायन को मजबूर हो रहे हैं. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

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Published : Sep 24, 2020, 8:27 PM IST

Merchants upset over ban on opening shops outside Kailadevi Dham
कैलादेवी धाम के बाहर दुकानें खोलने पर रोक से व्यापारी परेशान

करौली.वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पूरी दुनिया की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है. कोरोना संकट के चलते मंदिरों के पट के साथ कई कारोबारियों की दुकानोें पर भी ताले लग गए. करौली स्थित प्रसिद्ध कैलादेवी धाम के छह माह से बंद होने के साथ यहां कंठी-माला, भोग-प्रसाद की दुकानों के शटर भी गिरे हुए हैं. इससे उनके सामने रोजी का संकट खड़ा हो गया है.

कैलादेवी धाम के बाहर दुकानें खोलने पर रोक से व्यापारी परेशान

जिले में स्थित उत्तर भारत के प्रसिद्ध आस्था धाम कैलादेवी माता के मंदिर के रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर के पट बंद हो गए थे. मगर सरकार की ओर से जारी अनलॉक-4 की गाइडलाइन में धार्मिक स्थल खोलने की अनुमति के बाद 7 सितंबर को मंदिर के पट खोल दिए गए. अब भक्त माता के दर्शन के लिए आ रहे हैं लेकिन श्रद्धालुओं के भोग-प्रसाद चढ़ाने पर प्रतिबंध है.

कैलादेवी मंदिर में कम ही आ रहे श्रद्धालु

गाइडलाइन की पालना में प्रशासन की ओर से बाजारों में भोग-प्रसाद, कंठी माला, माता की तस्वीर, खिलौने सहित अन्य दुकान खोलने पर पाबंदी लगा दी गई है जिस कारण 6 महीने से कारोबार ठप होने के कारण दुकानदारों के सामने खाने का संकट खड़ा हो गया है.

दुकानें बंद होने से कारोबारी परेशान

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विशाल लक्खी मेला भी चढ़ा कोरोना की भेंट

आस्था धाम कैलादेवी मन्दिर में वैसे तो वर्षभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन चैत्र माह में लगने वाले लक्खी मेले में राजस्थान सहित उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा सहित कई प्रांतों से 40 से 50 लाख तक श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. यह मेला कैलादेवी कस्बे स्थित 500 से अधिक धर्मशाला और सैकड़ों होटलों और हजारों स्थाई और अस्थाई दुकानदारों के लिए वर्षभर का रोजगार देता है. लेकिन कोरोना के कहर के चलते लख्खी मेले को भी इस बार स्थगित कर दिया गया. इससे दुकानदारों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

धाम के बाहर दुकानें बंद होने से सन्नाटा

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श्रद्धालुओं की आवक कम

कोरोना के कहर के चलते बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी कमी देखने को मिली है. हांलाकि मंदिर प्रशासन की ओर से संक्रमण रोकने के लिए काफी कारगर उपाय किए गए हैं. मंदिर के अंदर जगह-जगह सैनिटाइजर मशीन लगाई गई है. वहीं दिन में कई बार परिसर में सैनिटाइजर का छिड़काव भी कराया जाता है. दूसरी तरफ मंदिर में श्रद्धालुओं के भोग-प्रसाद लाने पर भी प्रतिबंध है. माता के दर्शन के बाद अलग रास्ते से श्रद्धालुओं को बाहर निकाला जाता है. दुकानों को भी खाली करवा लिया गया है जिससे वहां भीड़ एकत्र न हो.

पलायन को मजबूर कारोबारी

ईटीवी भारत की टीम ने जब आस्था धाम कैलादेवी मंदिर का जायजा लिया तो मंदिर के पास भोग प्रसाद, कंठी माला, खिलौने सहित विभिन्न प्रकार की दुकानें लगाने वाले दुकानदारों ने अपनी पीड़ा बयां की. कोरोना के कारण 6 माह से मंदिर के पट के साथ दुकानें भी बंद पड़ी हैं. इस बार कोरोना के कारण लगने वाला लक्खी मेला भी नहीं लग सका. ऐसे में मेले के लिए दुकानदारों ने कर्ज लेकर काफी मात्रा में सामान लाया था वह भी दुकानें बंद होने से रखा रह गया.

उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण परिवार का पेट भरना भी मुश्किल हो गया है. सरकार ने पिछले 7 सितंबर को मंदिर के पट खोलने के निर्देश दिए तो लगा कि अब हालात सुधरेंगे, लेकिन सरकारी गाइडलाइन के अनुसार मंदिर परिसर में प्रसाद चढ़ाने पर लगी रोक के कारण प्रशासन के द्वारा दुकानों को खोलने की अनुमति नहीं दी गई. ऐसे में दुकानदारों ने सरकार से दुकानें खोलने की अनुमति देने की मांग की है.

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