करौली.हर साल गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणेश गेट पर स्थित प्राचीन ऐतिहासिक गणेश मंदिर पर लगने वाले मेले में भक्तों की भीड़ उमड़ा करती थी. लेकिन विश्वभर में फैली कोरोना महामारी के कारण इस बार मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को नहीं मिलेगी.
जिला मुख्यालय के गणेश गेट पर स्थित गणेश मंदिर ऐतिहासिक मंदिर है. बुजुर्गों के अनुसार इसका निर्माण रियासतकाल में राजाओं द्वारा करवाया गया था. गणेश गेट के निर्माण के साथ ही मंदिर का निर्माण कराया गया था. शहर में निर्माणाधीन प्रसिद्ध सात गेटों में से एक गणेश गेट है. बाहर से आने वाले लोग भी मंदिर की जगह को गणेश गेट के नाम से ही जानते है. मंदिर में नित्य पूजा अर्चना के लिए पुजारी भी नियुक्त किया गया था. बड़े आकार की गणेश जी की मूर्ति के साथ ही पास में रिद्धि-सिद्धि की भी मूर्ति है. फिलहाल मंदिर को विस्तृत बड़ा रूप दे दिया गया है. जिसमें प्रतिदिन सुबह-शाम श्रद्धालु दर्शन करने जाते हैं.
पढ़ें-कोटा के प्राचीन खड़े गणेशजी मंदिर पर इस बार नहीं लगेगा मेला
उत्साह वर्धक होता है मेला
करौली शहर में गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल बड़े ही धूमधाम के मनाया जाता है. गणेश मेले में आसपास के ग्रामीणों सहित बाहर के लोगों हिस्सा लेते है. गणेश चतुर्थी के दिन सुबह से ही मंदिरों मे गणेश जी की विशेष पूजा अर्चना की शुरू हो जाती थी. मंदिरों में श्रदालुओं का जमावड़ा नजर आता था और घरों में गणपति की स्थापना की जाती थी. विभिन्न गणेश मंदिरों में छप्पनभोग लगाने के साथ ही झांकियां सजाने का आयोजन होता था. गणेश चतुर्थी से एक सप्ताह पहले ही शहर के मुख्य बाजारों में तैयारियां शुरू हो जाती थी. मंदिर सहित बाजारों को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता. मेले मे आने वाले भक्तों के लिये कार्यकताओं द्वारा पीने के पानी और प्रसाद वितरण जैसी कई सुविधाएं की जाती.