करौली.राजस्थान में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 15,627 पहुंच गया है. वहीं, अब तक 365 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो चुकी है. कोरोना वायरस की वजह से लगाए गए लॉकडाउन को फिलहाल हटा दिया गया है. अनलॉक होते ही जहां आम जनजीवन सामान्य हुआ है तो वहीं अब लोग कोरोना वायरस को लेकर लापरवाही भी बरत रहे हैं. शहरों में पहले की तरह ही एक बार फिर से लोग सड़कों पर नजर आ रहे हैं. दुकानें खुल गई हैं. लोग काम-धंधे पर लौट रहे हैं. चिंता का विषय यह है कि अब लॉकडाउन में मिली छूट के साथ ही कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की रफ्तार भी तेजी से बढ़ रही है.
कोरोना से ग्रामीणों की जंग शहरों के रास्ते से होकर कोरोना का खतरा अब गांवों तक पहुंच चुका है. प्रवासियों की दस्तक के साथ कोविड-19 ने गांव के लोगों को भी चपेट में लेना शुरू कर दिया है. इसके लिए ग्राम पंचायतों में भी अलग-अलग स्तर पर कोरोना से निपटने के लिए उपाय किए गए, लेकिन क्या ये उपाय अभी भी किए जा रहे हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि लॉकडाउन में मिली छूट के साथ ही ग्रामीणों ने कोरोना वायरस को लेकर सतर्कता नहीं बरत रहे? इसकी पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत की टीम करौली जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर नारौली डांग ग्राम पंचायत पहुंची और गांव के हालातों का जायजा लिया.
'अब तक केवल एक ही पॉजिटिव केस'...
राजस्थान के करौली-सवाई माधोपुर जिले की सीमा पर बसा हुआ नारौली डांग ग्राम पंचायत कोरोना वायरस संक्रमण के बाद लॉकडाउन की शुरुआत से ही चर्चाओं में रहा. देश-दुनिया में फैली हुई कोरोना महामारी के कारण नारौली डांग के ग्रामीण भी अछूते नहीं रहे और कुछ ही दिन पहले यहां एक 19 वर्षीय युवती इलाज के दौरान जयपुर में कोरोना संक्रमित पाई गई थी. लेकिन गांव के युवा, बुजुर्ग और प्रशासनिक अधिकारियों की सजगता के कारण कोरोना वायरस नारौली डांग में ज्यादा नहीं फैल सका.
करौली का नारौली डांग ग्राम पंचायत यह भी पढे़ं-कोरोना से ग्रामीणों की जंग: सालरिया ग्राम पंचायत पहुंचा ETV Bharat, जानिए कैसे रहा गांव कोरोना फ्री
ETV भारत की टीम जब नारौली डांग के लोगों के पास पहुंच कर बात की तो उन्होंने कोरोना वायरस से बचने के लिए अलग-अलग तरह के उपाय बताए. हमें सबसे पहले राशन डीलर की दुकान पर गेहूं लेती हुई महिलाएं नजर आईं. जब हमने ग्रामीणों और डीलर हनुमान गुप्ता से कोरोना महामारी से बचाव की जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि हम अपने चेहरे पर हमेशा मास्क लगाए रखते हैं. सामाजिक दूर की पालना करते हैं. अति आवश्यक कार्य होने पर ही घर से बाहर निकलते हैं. बाजार में जाकर भीड़ एकत्रित नहीं करते हैं.
'सतर्क नजर आया हर एक शख्स'...
इसके बाद ईटीवी भारत की टीम गांव के उच्च माध्यमिक विद्यालय पहुंची और वहां मौजूद अध्यापकों और स्कूल के प्रिंसिपल से बात की. उन्होंने बताया कि वो लोगों को कोरोना महामारी से बचने के लिए जागरूक करते रहते हैं. उन्हें बताते रहते हैं कि कोरोना महामारी से बचाव ही उपचार है. इससे बचने के लिए मुंह पर मास्क लगाना चाहिए और सामाजिक दूरी बनाए रखनी चाहिए. एक दूसरे के संपर्क में नहीं आना चाहिए. उन्होंने कहा कि लोग इस कोरोना महामारी से बचने के लिए अपने आप को बचाए रखने में सफल भी रहे हैं.
गांव की महिलाएं कोरोना वॉरियर की निभा रहीं भूमिका स्कूल के अंदर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और बीएलओ राजस्थान द्वारा खाद्य सुरक्षा योजना के तहत दिए जा रहे 10 किलो गेहूं और 1किलो चावल का वितरण करते नजर आए. पूरी तरह से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए शालीनता से लोगों को राशन बांटा जा रहा था. इस दौरान ईटीवी की टीम ने उनसे बात की. उनका कहना था कि कोरोना वायरस से बचाव का मुख्य हथियार चेहरे पर मास्क लगाना, एक दूसरे के संपर्क में आने से बचना ही है, इसीलिए ग्रामीण कोरोना से जंग जीत रहे हैं.
यह भी पढ़ें :आज से शिक्षकों के लिए खुले स्कूल, छात्रों के लिए अभी तक नहीं मिले कोई दिशा-निर्देश
ETV की टीम ने जब कस्बे के बाजार का जायजा लिया तो वहां पर भी ग्रामीण सामाजिक दूरी की पालना किए हुए थे और मास्क लगाए हुए थे. जो इस बात का संकेत कर रहे थे कि नारौली डांग के ग्रामीण आंचल के लोग कोरोना से सतर्क रहकर अदृश्य शत्रु को घुसने का मौका नहीं दे रहे हैं.
लॉकडाउन खत्म होने के बाद लोग घरों से नहीं निकलते बाहर 'गांव के युवाओं ने निभाई भूमिका'...
गांव के युवाओं से लोगों को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने बताया कि वे लोगों को घर-घर जाकर सतर्क करते हैं. लोगों से सरकार की गाइडलाइन का पालन करने की अपील करते हैं. साथ ही ग्राम में होने वाले सामाजिक कार्यक्रमों पर नजर बनाए रखते हैं. जिससे वहां पर भीड़ एकत्रित ना हो.
कुलदीप, पीतम आदि युवाओं ने कहा कि बैंक हो चाहे राशन की दुकान या फिर बाजार का नजारा, बेफालतू में किसी को एक जगह पर एकत्रित नहीं होने देते हैं. साथ ही काम हो जाने पर उनको घर जाने की नसीहत देते हैं. जिसकी लोग बखूबी से पालना भी करते हैं. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की अवधि में प्रशासन और ग्रामपंचायत का भी पूरा साथ मिला. घर-घर जाकर राशन सामग्री पहुंचाई गई. इसके अलावा मेडिकल पुलिस, आंगनबाड़ियों की टीम दौरा करती रहती है.
यहां का मुख्य व्यवसाय है पशुपालन 'बाहर से आने वाले लोगों पर बना रखी है गिद्ध सी नजर'...
ETV भारत की टीम ने डांग की एएनएम रेशम मीना से कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए किए जा रहे उपायों के बारे में जाना तो उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले लोगों पर कड़ी नजर बनाकर रखते हैं. जैसे ही कोई बाहर से प्रवासी आता है तो उसकी स्क्रीनिंग की जाती है और सैंपल लेकर जल्द से जल्द कार्रवाई की जाती है. अगर उनमें कोरोना के लक्षण दिखते हैं, तो उनको करौली के क्वॉरेंटाइन सेंटर में रेफर कर दिया जाता है. वहीं संदिग्ध मिलने पर उन्हें होम क्वॉरेंटाइन में रहने की सलाह दी जाती है.
यह भी पढ़ें :जन जागरूकता अभियान चलाने वाला देश में पहला राज्य राजस्थान हैः खाचरियावास
ANM ने बताया कि संदिग्धों के घर के बाहर पोस्टर चिपकाया जाता है. जिससे अन्य ग्रामीण आइसोलेट अवधि तक उनसे दूर रहें. बाहर से आने वाले प्रवासी का ब्योरा रजिस्टर मे अंकित किया जाता है. इसके अलावा गांव मे घर-घर जाकर सर्वे किया जा रहा है. ग्रामीणों की स्क्रीनिंग की जा रही है. ग्रामीणों को कोरोना महामारी के बारे में मोटिवेट किया जा रहा है. उपचार के लिए आने वाले ग्रामीणों को सरकार की गाइडलाइन के अनुसार मास्क, सैनिटाइजर का प्रयोग करने और सामाजिक दूरी बनाये रखने, बार-बार साबुन से हाथ धोने की अपील की जाती है.
जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर स्थित है नारौली डांग ग्राम पंचायत ANM ने कहा की ग्रामीणों को जागरूक करने में गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मिथलेश देवी कोरोना वॉरियर की भूमिका निभा रही हैं. तभी गांव में कोरोना महामारी अपना पैर नहीं पसार पा रहा है और ग्रामीण कोरोना से जंग जीतने में सफल हो रहे हैं.
'खेती और पशुपालन से करते हैं गुजारा'...
नारोली डांग के ग्रामीण अपना पूरा जीवन ग्रामीण परिवेश में जीते हैं. यहां के लोग खेती-बाड़ी करके अपना पेट पालन करते हैं. लगभग हर घर में पशुपालन होता है. भैंस, भेड़ और गायें घरों मे बंधी रहती हैं. बात करें गांव की तो यहां की पहाड़ियों में से खनिज पदार्थ खड़ी का भरपूर मात्रा में उत्पादन होता है. नारौली डांग की खानों से निकलने वाली खड़ी देश-विदेश तक पहुंचती है. जिसके कारण नारौली डांग गांव की एक अलग ही पहचान है.
इस गांव की खानों से निकलने वाली खड़ी से प्लास्टर ऑफ पेरिस तैयार किया जाता है. इन खानों से ग्रामीणों को रोजगार भी उपलब्ध हो जाता है. लेकिन कोरोना संकट के चलते अभी खानों पर पूर्णता काम चालू नहीं हुआ है. जिसके कारण ग्रामीण पशुपालन और खेतीवाड़ी पर ही अपना ज्यादा ध्यान देते हैं.
गांव के अंदर कोठी वाले बालाजी के नाम से प्रसिद्ध हनुमान जी का मंदिर है. जहां पर विगत कई सालों से अनवरत अखंड रामायण पाठ का आयोजन होता चला आ रहा है. जो कोरोना महामारी के काल में भी बंद नहीं हुआ. यहां के ग्रामीण कहते हैं कि हनुमान जी के कारण ही कोरोना महामारी हमारे गांव में अभी तक प्रवेश नहीं कर सकी है. हनुमान जी हमारी सुरक्षा करते हैं.
यह भी पढ़ें-CEO WORLD: उद्योग की स्थापना के लिए भारत में राजस्थान टॉप पर
वही गांव की ऊंची पहाड़ी पर स्थित लकेश्वरी माता देवी का भी बड़ा ही चमत्कारिक मंदिर है. ग्रामीणों की मान्यता है कि यहां पर आने वाले हर भक्त की मुराद देवी मां अवश्य पूरी करती है. दूर से देखने पर मंदिर हर किसी को बरबस अपनी ओर आकर्षित कर लेता है. यहां पहुंचकर भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने की देवी मां से प्रार्थना करते हैं.
'खाद्य मंत्री का है विधानसभा इलाका'...
यह गांव राजस्थान सरकार में खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलात मंत्री रमेश चंद्र मीना के विधानसभा के इलाके में आता है. रमेश चंद मीणा सपोटरा विधानसभा से विधायक हैं और यहां से लगातार तीसरी बार विधानसभा का चुनाव जीतकर मंत्री बने हैं. ऐसे में जिला प्रशासन का भी इस इलाके में विशेष ध्यान रहता है. ग्रामीणों की समस्या का तुरंत समाधान भी किया जाता है. ऐसे में यहां पर सड़कें पानी और बिजली की व्यवस्था भी दुरुस्त पाई गईं. इसके साथ ही हमारी पड़ताल में नारौली डांग गांव के ग्रामीण कोरोना वायरस से बचने के लिए जागरूक और सतर्क नजर आए.