करौली. लॉकडाउन के कारण सबसे ज्यादा मजदूर वर्ग और रोज कमाकर खाने वाले परेशान हैं. सारे कारखाने और काम धंधे बंद होने से उनसे रोजगार छिन गया है. ऐसे में उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. सरकार सहायता पहुंचाने का दावा कर रही है, लेकिन जिले में जब ईटीवी भारत की टीम ने जायजा लिया तो हालात कुछ और नजर आए.
कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन है. लॉकडाउन के कारण रोज कमाकर पेट भरने वाले दिहाड़ी मजदूर, जरूरतमंद के सामने रोटी का संकट पैदा हो गया है. जिससे इनके भूखे सोने की नौबत आ गई है. वहीं सरकार और जिला प्रशासन इन जरूरतमंदों तक राशन पहुंचाने का दावा कर रही है, लेकिन ऐसे कई जरूरमंद और गरीब हैं, जिनके पास सरकार की सहायता नहीं पहुंची है. ईटीवी भारत की टीम ने करौली शहर के जरूरतमंदों के घर जाकर हालातों का जायजा लिया, जिसमें सरकार के दावों के पोल खुलते नजर आए.
शहर के चटीकना मोहल्ला निवासी दीनदयाल के घर जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो नजारा कुछ और ही दिखा. एक बच्चा और एक आखों से लाचार महिला एक थाली में खाना खा रहे थे. इन सभी से राशन के बारे पूछा गया तो महिला ने जवाब दिया कि भामाशाह ने आटे का कट्टा दिया था. उससे गुजारा कर रहे हैं. वहीं टिकिया भल्ले का ठेला लगाकर रोज कमाकर खाने वाले दीनदयाल ने कहा कि साहब हम रोज कुआं खोदते हैं और रोज पानी पीते हैं, लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ है, तब से एक पैसे का भी धंधा नहीं हुआ है. सरकार की तरफ से एक रुपये की मदद नहीं मिली है. दीनदयाल का कहना है कि तीन महीने निकलने को आए हैं. घर में अन्न का एक भी दाना नहीं है. गांव के पास के ही कुछ भामाशाहों ने थोड़ी मदद की वरना भूखे मरने की नौबत आ जाती.