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कैसा है 'रैन' में बसेरा: करौली में बने आश्रय स्थलों का रियलिटी चेक - shelter homes in karauli

राजस्थान में कड़ाके की ठंड पड़ना शुरू हो गई है. ऐसे में प्रदेश के रैन बसेरों के हालात जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम हर जिले में पहुंचकर वहां की हकीकत से रूबरू हो रही है. इसी कड़ी में ईटीवी भारत करौली नगर परिषद के आश्रय स्थलों की जानकारी लेने पहुंचा. देखिए करौली से स्पेशल रिपोर्ट..

रैन बसेरों का रियलिटी चेक, karauli rain basera
करौली रैन बसेरों का रियलिटी चेक

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Published : Dec 23, 2019, 8:34 PM IST

करौली.शहर में बस स्टैंड के पास नगर परिषद कार्यालय के नीचे बने दो बड़े हॉल में रैन बसेरा संचालित है. इस रैन बसेरे में बाहर से आवागमन करने वाले मुसाफिर शरण लेते हैं. प्रदेश में बढ़ती ठंड को देखते हुए रैन बसेरा का हाल जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक किया. टीम ने बसेरों का जायजा लेकर मुसाफिरों से चर्चा की. जहां रैन बसेरों में पहुंचने वाले मुसाफिर लगभग व्यवस्थाओं से संतुष्ट नजर आए.

करौली में रैन बसेरों का रियलिटी चेक

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रैन बसेरे में ठहरने की उचित व्यवस्था
रैन बसेरे में ठहरे मुसाफिरों ने बताया की हम नगर परिषद की ओर से संचालित रैन बसेरे से संतुष्ट हैं. यहां पर उनको साफ-सुथरे रजाई-गद्दे दिए हैं. साफ का भी ध्यान रखा गया है. वहीं शौचालयों की साफ है, साथ ही सर्दी से बचने के लिए अलाव की भी व्यवस्था की हुई है. पीने के लिए कैंपर का पानी मंगवाया जाता है. वहीं ये भी बताया गया कि अगर करौली के रैन बसेरों में कोई बीमार भी हो जाता है तो फर्स्ट बॉक्स या अस्पताल पहुंचाने की भी व्यवस्था की हुई है. हालांकी कई मुसाफिरों का यह भी कहना था की अगर यहां पर चादर और होते तो और भी ज्यादा अच्छा महसूस होता.

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महिला और पुरुषों की अलग-अलग व्यवस्था
वहीं अगर रैन बसेरे की बात करें तो दो हॉल में महिला और पुरुषों की अलग-अलग व्यवस्था की गई है. हालांकि रात को महिला हॉल में एक भी महिला मुसाफिर नहीं मिली. लेकिन पुरुष हॉल में आधा दर्जन मुसाफिर मिले, जो साफ नगर परिषद द्वारा संचालित रैन बसेरे की सुविधाओं से संतुष्ट नजर आए. रैन बसेरे के केयरटेकर दीपक शर्मा ने बताया की रैन बसेरे में 50 मुसाफिरों की रहने की व्यवस्था की हुई है.वहीं जब ईटीवी भारत ने रैन बसेरे में चादर को लेकर सवाल पूछा तो केयरटेकर ने बताया चादर की व्यवस्था है, अगर कोई मुसाफिर मांगता है तो हम उसको उपलब्ध करा देते हैं.

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वहीं रैन बसेरे में सामने आया रकि रात के वक्त यहां पर महिला मुसाफिर कम रूकती हैं. इसलिए रात को महिला टेकर भी यहां पर नहीं रहती है. लेकिन दिन में महिला केयरटेकर रहती है.

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