करौली. उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ कैलादेवी आस्थाधाम से करीब 40 किलोमीटर दूर पहाड़ों के बीच में स्थित चुम्बकीय शक्ति के नाम से प्रसिद्ध करणपुर वाली गुमाणो माता पर शरद पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा. हजारों श्रद्धालुओं ने रंग बिरंगे परिधानों में हाथ में पताका लिए अखंड ज्योति के दर्शन कर मनौतियां मांगी.
गुमानो मां के दरबार में पूर्णिमा के अवसर पर आए श्रद्धालु बता दें कि भक्त मां के दरबार में पैदल यात्रा करके यहां पर पहुंचते है. हाल ही में नवरात्रों में यहां पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब भी देखने को मिला था. साथ ही श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन ने अच्छी व्यवस्था कर रखी है. वहीं माता की दर्शन के लिए काफी संख्या में नवविवाहित जोड़े भी पहुंचे.
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चुम्बकीय शक्ति के नाम से है माता की पहचानः
प्रसिद्ध करणपुर वाली गुमाणो देवी को चुम्बकीय शक्ति के नाम से जाना जाता है. यूं तो राजस्थान में कई देवियां हैं लेकिन करणपुर वाली माता की कुछ अलग ही महिमा है. यहां दो देवियां है जिसमें छोटी देवी का नाम गुमाणो ओर बड़ी देवी का नाम करणपुर वाली बीजासन देवी है. इन देवीयों पर मोतीचूर के लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाने की भी परम्परा है.
माता का 300 साल पुराना है इतिहासः
इतिहासकारों के अनुसार करणपुर वाली बीजासन और गुमाणो माता का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है. बड़ी देवी बीजासन माता को रामजीलाल चिरंजी लाल गोठिया के पूर्वज 300 साल पहले इंद्रगढ़ से यहां लाए थे. जादौन वंश में जन्मी गुमाणो देवी का विवाह रियासत काल में कोटा बूंदी में राजपूत घराने के हाड़ा गोत्र में कर दिया था. गुमाणो देवी एक बार करणपुर वाली बीजासन माता के दर्शन करने आई थी. उसी दौरान उसने माता के सामने दम तोड़ दिया और वह बीजासन माता के सामने प्रकट हो गई. तभी से छोटी बहन गुमाणो देवी का यहां एक मंदिर बना दिया गया. दोनों देवियों के मंदिर आमने सामने है. मन्दिर में लांगुरिया गीतों की धूम रहती है. श्रद्धालु गुमाणो माता के दरबार में लांगुरिया गीतों पर जमकर नृत्य करते है.
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मंदिर के महंत घनश्याम ने बताया की गुमानो माता की चुंबकीय शक्ति की जो महिमा है वह किसी से छुपी हुई नहीं है. कोई भी भक्त अगर मां से मनौती मांगता है और मन्नत पूरी होने के बाद वह मां के दरबार में नहीं आता है तो गुमानो मां भक्त के सपने में या किसी भी बहाने से याद दिला देती है.
साथ ही कहा कि जिन लोगों के संतान नहीं होती है, नौकरी नहीं लगती है या किसी परेशानी से परेशान होते हैं तो मां उनकी बहुत जल्दी सुनती है. भक्तो की मनौती पूरी होने के बाद भक्त यहां पर आकर छप्पन भोग, फूल बंगला झांकी, सवामणी का आयोजन भी करते हैं.