करौली.यूं तो भगवान शिव त्रिदेवों में एक देव हैं, इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं. लोग इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से और तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है. त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं. लेकिन विश्व भर में फैल रही कोरोना महामारी का असर शिव भक्तों पर भी खूब देखने को मिल रहा है. जहां सावन माह में शिव मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ा करती थी. वहां आज शिव मंदिर खाली नजर आते हैं. या फिर बहुत कम संख्या में शिव भक्त मंदिरों में पहुंच रहे हैं.
ईटीवी भारत की टीम जब करौली जिले के सपोटरा उपखंड मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर दूर अरावली पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित रामठरा के प्राचीन अलौकिक शिव मंदिर पहुंची, जिसकी प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रंग बदलती है. वहां पहुंचने पर देखा कि इस साल शिव मंदिर में पिछले साल की तुलना में भक्तों की भीड़ कम थी. मंदिर में शिव भक्तों पर कोरोना का असर साफ-साफ देखने को मिला.
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यूं तो साल भर ही यहां श्रद्धालुओं की आवक रहती है. लेकिन सावन माह में भक्तों की संख्या और अधिक बढ़ जाती है. लेकिन इस बार कोरोना के चलते भक्तों की भीड़ देखने को नहीं मिल रही. शिव भक्त सेवानिवृत्त अध्यापक छोटूलाल शर्मा का कहना है कि इस साल कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण भगवान शिव पर बेलपत्र चढ़ाने वाले भक्तों के बीच सामाजिक दूरी रखते हुए पारी के क्रम से बिल्ब पत्र चढ़ाए जा रहे हैं.
यह है मन्दिर का इतिहास
इतिहासकारों के अनुसार बंजारा जाति के लोगों ने रामठरा में किले के नीचे महादेव मंदिर की स्थापना कराई थी. यह शिव मंदिर करीब 400 साल से अधिक पुराना प्राचीन मंदिर है. जो कालीसिल बांध के तट के समीप स्थित है. दर्जनों सीढियां चढ़कर भक्त मंदिर तक पहुंचते हैं. बता दें कि सैकड़ों साल पहले प्राचीन रामठरा के शिव मंदिर में भगवान शिव की बड़े आकार की श्वेत चमत्कारिक प्रतिमा है, जिसकी गर्दन टेढ़ी है. शिव के दाई ओर गणेश और बांयी ओर माता पार्वती की प्रतिमा है. जबकि सामने शिवलिंग और नंदी की प्रतिमाएं स्थापित हैं. इतिहासकार और बुर्जुगों के अनुसार शिव भगवान की प्रतिमा प्रतिदिन तीन रंग बदलती है. सुबह के समय प्रतिमा का रंग श्वेत रहता है. जबकि दोपहर में यह आसमानी हो जाती है. सायंकाल प्रतिमा मटमैले रंग में नजर आती है, जिसे देखने यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु भी आश्चर्यचकित हो उठते हैं. शिव भक्तों और ग्रामीणों का कहना है कि जो भी भक्त इस मंदिर पर आता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है.
ऐसे मुड़ी प्रतिमा की गर्दन