करौली.कोरोना महामारी की मार से कोई भी धंधा अछूता नहीं रहा. लगभग सभी व्यवसाय कोरोना संकट की भेंट चढ़ गए. लेकिन इसके विपरीत कोरोना काल मे करौली शहर में पतंग का व्यवसाय परवान पर चढ़ा है. दरअसल प्राचीनकाल से ही सावन माह की समाप्ती के साथ ही करौली जिले में पतंग उत्सव चालू हो जाता हैं. रक्षाबंधन से कृष्ण जन्माष्टमी तक बाजारों में पतंगों की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ जमा होती है, लेकिन इस बार कोरोना काल मे पतंगों के व्यापार ने खासी रफ्तार पकड़ी हुई है. जिससे पतंग विक्रेताओं के चेहरे पर खुशी की लहर और चमक भी दिखाई दे रही है.
बिक्री में 3 गुना हुआ इजाफा
पतंग विक्रेताओं ने बताया कि कोरोना संकट के कारण स्कूल बंद है. जिससे बच्चों को पढ़ाई की ज्यादा चिंता नहीं होने की वजह से वह घर पर खाली बैठे रहते हैं. ऐसे में पतंग का सीजन अन्य सालों के मुकाबले में अच्छा चल रहा है. बच्चे सुबह से शाम तक पतंगों को उड़ाने का आनंद लेते हैं. पहले स्कूल जाने के कारण देर शाम के समय ही पतंग उड़ा पाते थे. कोरोना की वजह से बाजार भी जल्दी बंद होने से अधिकांश लोग घरों में ही रहते हैं. तो वो इस वक्त बच्चों के साथ छत पर पतंगों का मजा लेते हैं. इस स्थिति में पतंगों की बिक्री में तीन गुना तक इजाफा हुआ है.
25 साल बाद लगी पतंग व्यवसाय में हवा
पतंग विक्रेता विष्णु गुप्ता ने बताया कि वह बीते 25 सालों से पतंगों का धंधा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहली बार पतंगों का सीजन परवान पर पहुंचा है. इस बार सुस्ताने को भी फुर्सत नहीं है. राखी और जन्माष्टमी के दिनों में बीस से पच्चीस हजार की बिक्री हो पाती थी. जबकि कोरोना महामारी के चलते इस बार 50 से 60 हजार तक की बिक्री हो रही है. पिछले साल के मुकाबले में पतंग, मांझा और डोर की कीमतों में इजाफा हुआ है. फिर भी बिक्री में कमी नहीं आयी है. करौली में तीन दर्जन से अधिक दुकानें पतंगों की हैं. सब पर इन दिनों खासी भीड़ नजर आ रही है.